मालेगांव विस्फोट मामले में प्रज्ञा ठाकुर अदालत में हुईं पेश, जमानती वारंट रद्द किया गया
मालेगांव बम धमाके मामले में शुक्रवार को भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर विशेष अदालत ने पेश हुई। इस दौरान अदालत ने उनके खिलाफ जारी जमानती वारंट रद्द कर दिया है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत वर्तमान में सीआरपीसी के तहत आरोपियों के बयान दर्ज कर रही है।मालेगांव बम धमाके मामले में शुक्रवार को भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर विशेष अदालत ने पेश हुई। इस दौरान अदालत ने उनके खिलाफ जारी जमानती वारंट रद्द कर दिया है। अदालत ने 11 मार्च को प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ 10,000 रुपये का जमानती वारंट जारी किया था, जो सितंबर 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में बार-बार चेतावनी के बावजूद पेश होने में विफल रहने पर आरोपी है।
प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ जमानती वारंट किया रद्द
विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी ने उस समय प्रज्ञा सिंह ठाकुर को 20 मार्च को उसके समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था, लेकिन वह यह दावा करने में विफल रहीं कि वह यहां एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। अदालत ने 20 मार्च को अस्पताल से छुट्टी मिलने तक वारंट के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी।
कोर्ट के सामने पेश हुई प्रज्ञा सिंह ठाकुर
शुक्रवार को प्रज्ञा सिंह ठाकुर विशेष अदालत में पेश हुईं और अपने वकील के जरिए जमानती वारंट रद्द करने के लिए अर्जी दाखिल की। अदालत ने उसके मेडिकल कागजात पर गौर किया और वारंट रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि खराब स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए और मेडिकल कागजात के अवलोकन से पता चलता है कि वह निर्धारित तारीखों पर उपस्थित नहीं रह सकीं।
प्रज्ञा ठाकुर ने कहा-बैठने और चलते में असमर्थ हूं
प्रज्ञा ठाकुर ने अपने आवेदन में दावा किया कि वह बैठने, चलने और यहां तक कि हस्ताक्षर करने में भी असमर्थ है। अदालत ने प्रज्ञा ठाकुर को उनके खिलाफ चल रहे मुकदमे में अपना अंतिम बयान दर्ज कराने के लिए 28 मार्च को उसके समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया।
क्या है मामला
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत वर्तमान में सीआरपीसी के तहत आरोपियों के बयान दर्ज कर रही है। 29 सितंबर, 2008 को उत्तरी महाराष्ट्र में मुंबई से लगभग 200 किमी दूर मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक घायल हो गए है। 2011 में एनआईए को हस्तांतरित होने से पहले महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते ने शुरुआत में मामले की जांच की थी।
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