रीवा में कांग्रेस को झटका, पूर्व जिलाध्यक्ष सहित सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने दिया इस्तीफा, बोले...


 मध्यप्रदेश में जब से लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई है, तब से लेकर अब तक लागातार सियासी भूचाल मचा हुआ है। चुनावी उठापटक के बीच नेताओं के दलबदल और इस्तीफा देने का सिलसिला जारी है। कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता लगातार थोक के भाव में बीजेपी का दामन थाम रहे हैं। अगर बात की जाए मध्यप्रदेश के रीवा जिले की तो लोकसभा चुनाव का आगाज होते ही यहां पर अब तक 600 से अधिक कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। सोमवार को एक बार फिर कांग्रेस के पूर्व जिला ग्रामीण अध्यक्ष अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। अब अटकलें हैं कि ये कांग्रेसी मंगलवार को रीवा में सीएम मोहन यादव के हाथों बीजेपी की सदस्यता ले सकते हैं।

रीवा कांग्रेस के पूर्व ग्रामीण जिला अध्यक्ष त्रियुगी नारायण शुक्ला ने सोमवार को सैकड़ों कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के साथ पद से इस्तीफा दे दिया। नारायण ने पत्रकारवार्ता का आयोजन किया और कांग्रेस पार्टी के रीति-नीति पर सवालिया निशान लगाते हुए पार्टी के नेताओं पर भी गंभीर आरोप लगाए।पत्रकारवार्ता के दौरान 100 से अधिक कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने पार्टी से सामूहिक इस्तीफा दिया है। हालांकि, कांग्रेस नेता त्रियुगी नारायण शुक्ला ने अभी यह तय नहीं किया है कि वह अपने समर्थकों के साथ किस दल का दामन थामेंगे।

कांग्रेस नेताओ पर लगाए आरोप

पत्रकारवार्ता करते हुए कांग्रेस नेता त्रियुगी नारायण शुक्ला ने कहा कि साल 1985 से कांग्रेस में रहा। मुझे कांग्रेस पार्टी में काम करते लगभग 39 साल बीत गए। दो बार पार्टी ने उन्हें विधानसभा की टिकट दी और उन्होंने चुनाव लड़ा। त्रियुगी ने कहा कि रीवा कांग्रेस संगठन की बात करें तो विधानसभा के प्रत्यासी और ब्लॉक के जो भी अध्यक्ष रहें, इन सबकी मेहनत से ही संगठन जिले में खड़ा हुआ है।त्रियुगी शुक्ला ने कहा कि विषम परिस्थिति यह है कि हर बार रीवा जिले को प्रयोगशाला बना दिया जाता है। हमारे लाखों साथी जो जिले में हैं, जमीनी स्तर पर मेहनत करते हैं और अपनी पूंजी खर्च करके अपना जी जान लगा देते हैं।

पार्टी ने क्यों नहीं दी अन्य नेताओं को टिकट

त्रियुगी नारायण शुक्ला ने कहा कि जब टिकट देने की बारी आती है, तब हर बार दो तीन टिकट ऐसी दे दी जाती है, जिसका असर चुनाव में देखने को मिलता है और हमें हार का सामना करना पड़ता है।अगर बात की जाए वर्तमान में होने वाले रीवा लोकसभा की टिकट की तो क्या हमारे जिले में सेमरिया विधायक अभय मिश्रा के अलावा सात विधानसभा प्रत्याशी थे, जिन्हें चुनाव में 65 हजार और 63 हजार वोट प्राप्त हुए और जिन्हें टिकट भी नहीं मिली थी। उनमें से हमारे कांग्रेस के बहुत सारे साथी थे, जिसमें महिला नेत्री थीं, जो की टिकट पाने की हकदार थीं। लेकिन हमारी पार्टी ने ऐसा क्या मापदंड चलाया कि जो हमारे पार्टी के प्रारंभिक मेंबर नहीं थे, उन्हें विधानसभा की टिकट दे दी गई और अब लोकसभा चुनाव में उन्हीं की पत्नी को टिकट दे दी गई।

कांग्रेस में हावी परिवारवाद

त्रियुगी शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस के ही नेता परिवारवाद का विरोध करते थे। लेकिन अब वह इसका समर्थन कर रहे हैं। हमने इसका काफी विरोध किया, लेकिन पार्टी के नेताओं ने हमारी बात नहीं मानी, जिसके चलते वह और पार्टी के सैकड़ों साथी पार्टी से इस्तीफा दे रहे हैं। त्रियुगी नारायण ने कहा कि मेरा व्यक्तिगत विरोध अभय मिश्रा और नीलम मिश्रा से नहीं है। इन्होंने काम नहीं किया और पार्टी के नेताओं ने उन्हें ही टिकट दे दी। इनकी जगह अगर किसी अन्य नेता को टिकट दी जाती तो हम इसका समर्थन करते।

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