'केशव प्रसाद मौर्य ने BJP छोड़ने का फैसला कर लिया', सपा नेता आईपी सिंह के दावे से हलचल तेज
यूपी में सियासी खींचतान बढ़ती जा रही है। मामला गुटबाजी तक पहुंच गया है। भाजपा के सहयोगी और सरकार के मंत्री डिप्टी सीएम केशव मौर्य के पास हाजिरी लगा रहे हैं। इसे सिर्फ औपचारिक मुलाकात ही नहीं, बल्कि सरकार और संगठन के बीच चल रही खींचतान में शक्ति प्रदर्शन भी माना जा रहा है
समाजवादी पार्टी के नेता आईपी सिंह ने इस मुलाकात को लेकर बीजेपी पर तंज कसा और कहा कि केशव प्रसाद मौर्य अब सीएम योगी आदित्यनाथ से टक्कर लेने के लिए तैयार हो गए हैं. उन्होंने केशव प्रसाद मौर्य का स्वागत करते हुए कहा कि देखते हैं कि वो बीजेपी छोड़ते या सीएम योगी हटाए जाते हैं.
बीजेपी की कलह कम होने का नाम नहीं ले रही है. इस बीच यूपी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर सोमवार को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात की, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया वायरल हो रही है, जिसके बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. समाजवादी पार्टी ने इसे लेकर बीजेपी पर तंज कसा है.
सपा का रिएक्शन
इस मुलाकात पर सपा नेता आईपी सिंह ने सोशल मीडिया पर तस्वीर पोस्ट कर लिखा, 'दोनों साहबान को सिर्फ मालदार विभाग चाहिए राजभर को अमित शाह से पैरबी करके पंचायती राज मिल गया. दूसरे केशव प्रसाद मौर्या को दोबारा PWD चाहिए जिसे CM दे नहीं रहे हैं उसी लिए आपस में मारामारी मची हुई है.'
उन्होंने आगे बड़ा दावा करते हुए लिखा, 'उत्तर प्रदेश के खजाने को केंद्र के इशारे पर बेरहमी से लूटा जा रहा है. फॉर्मूला- खुद खाओ हमें भी खिलाओ.' बता दें कि बीते दिनों के दौरान सियासी मुलाकात काफी सुर्खियों में रही है. खास तौर पर केशव प्रसाद मौर्य की बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के काफी मायने निकाले गए हैं. अब ओम प्रकाश राजभर से मुलाकात के बाद फिर से पुरानी अटकलों को हवा मिली है.
आखिर क्यों नाराज हैं केशव?
2017 में यूपी विधानसभा चुनाव के समय केशव मौर्य भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। पार्टी को बंपर चुनावी कामयाबी मिली, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी योगी आदित्यनाथ को मिल गई। केशव को डिप्टी सीएम बनकर संतोष करना पड़ा। इसके बाद अक्सर केशव और योगी के बीच मन-मुटाव की खबरें आती रहीं।
2022 के विधानसभा चुनाव में केशव अपनी विधानसभा सीट सिराथू से भी हार गए। इस चुनाव से पहले भी योगी और केशव के बीच अनबन की खबरें सामने आती रहीं। इन चर्चाओं को रोकने के लिए योगी खुद केशव के घर गए और साथ में भोजन किया।
2022 के विधानसभा चुनावों में केशव की हार को उस वक्त भी पार्टी में दबी आवाज में कहा गया कि वो हारे नहीं, साजिश के तहत हराए गए। इसके बाद पार्टी में केशव की स्थिति कमजोर मानी गई। अब लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद पार्टी के अंदरखाने योगी की स्थिति कमजोर मानी जा रही है। इसके चलते फिर से योगी और केशव के बीच मतभेद की खबरें सामने आ रही हैं।
केशव ने 14 जुलाई को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में यह कहकर सियासी हलचल बढ़ा दी कि सरकार से बड़ा संगठन है। उन्होंने कहा था- संगठन सरकार से बड़ा था, बड़ा है और हमेशा बड़ा रहेगा। मैं उपमुख्यमंत्री बाद में हूं, पहले कार्यकर्ता हूं।
ऐसा पहली बार नहीं है, जब मौर्य ने संगठन को सरकार से बड़ा बताया। 2 साल पहले 21 अगस्त, 2022 को भी मौर्य ने यही बयान दिया था। उस समय कौशांबी की सिराथू विधानसभा सीट से चुनाव हारने के 5 महीने बाद उनका ये पहला बयान था। तब भी योगी और सरकार के प्रति मौर्य की नाराजगी की चर्चा थी।
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