'लव जिहाद' पर होगी उम्र कैद, योगी सरकार ने विधानसभा में पेश किया विधेयक
उत्तर प्रदेश में धर्म परिवर्तन लव जिहाद को लेकर अब प्रदेश के योगी सरकार ने सख्त रूप अख्तियार किया है. इस तरह के अपराध पर अब उम्रकैद की सजा होगी. दरअसल, पूर्व में कैबिनेट से प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के बाद आज यानी मंगलवार योगी सरकार अध्यादेश को विधानसभा पटल से पास कराएगी. बताया जा रहा है कि इस विधेयक में कई अहराधों में सजा दोगुनी तक बढ़ा दी गई. लव जिहाद और धर्म परिवर्तन के तहत नए अपराध भी शामिल किए गए हैं.
जानकारी के अनुसार, इस विधेयक में विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन के लिए फंडिंग को भी कानून के तहत अपराध के दायरे में लाने की तैयारी है. बता दें कि लव जिहाद के खिलाफ 2020 में उत्तर प्रदेस की योगी सरकार ने पहला कानून बनाया था जिसे और कड़ा करने का अध्यादेश कल सदन में पेश किया गया है. इसे आज यानी 30 जुलाई को पेश किया गया है.
बता दें कि अब अगर यूपी में गुमराह करके शादी करने और अनुसूचित जाति व जनजाति के धर्म परिवर्तन के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य के योगी सरकार ने यह फैसला किया है. इसके अंतर्गत अब उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिशेध संशोधन विधेयक को राज्य सरकार विधानसभा व विधान परिषद से पास करने का काम करेगी.
वहीं, योगी सरकार ने इससे पहले विधानसभा में धर्म संपरिवर्तन प्रतिशेध विधेयक 2021 पारित किया था जिसमें विधेयक में 1 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया था. अब संशोधन के माध्यम से पिछले विधेयक को सजा और जुर्माना की दृष्टि से अब और मजबूत और कड़ा करने की राज्य सरकार ने पहल की है.
बता दें कि नए प्रावधानों के अनुसार यदि किसी नाबालिक दिव्यांग अथवा मानसिक रूप से दुर्बल व्यक्ति, महिला एससी एसटी का धर्म परिवर्तन कराया जाता है तो दोष सिद्ध होने पर उसे आजीवन कारावास और एक लाख रुपए जुर्माने से दंडित किए जाने का प्रावधान रखा गया है. इसी प्रकार सामूहिक धर्म परिवर्तन पर भी आजीवन कारावास और एक लाख रुपये जमाने की सजा का प्रावधान इस नए संशोधन विधेयक में किया गया है.
योगी सरकार के नए प्रस्तावित विधेयक में बहला फुसलाकर शादी करने और नाबालिक एससी-एसटी का धर्म परिवर्तन करने पर उम्र कैद के प्रावधान वाला विधायक विधानसभा में पेश किया गया है जिसे आज विधानसभा के दोनों सदनों यानी विधानसभा और विधान परिषद में पारित कराया जाएगा. दोनों सदनों से यह विधेयक पास होने के बाद इसे राज्यपाल और फिर राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा.
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