शमशान को नही मिल सकी सडक, सांची क्षेत्र से प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री पद के साथ अनेकों वरिष्ठ राजनेताओं की किस्मत चमकी


 अरुण कुमार शेंडे 

प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस 


वार्ड न, 1 शमशान को नही मिल सकी सडक

रायसेन ऐतिहासिक नगरी सांची वैसे तो यह स्थल एक विश्व विख्यात माना जाता है इस क्षेत्र से प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री सहित अनेक ऊंचे पदों तक राजनितिज्ञों ने राजनीतिक सफर किया परन्तु सांची के वार्ड 1 शमशान मे पहुंचने शवों को भी दलदल से होकर गुजरने पर मजबूर होना पड रहा है हमेशा मांग उठती रही परन्तु आश्वासन के अलावा कुछ नही मिल सका जिससे आज भी वार्ड न एक मे पहुंचने वाले शवों को दलदल से होकर गुजरने मजबूर होना पड रहा है यह विश्व प्रसिद्ध नगर विदिशा रायसेन संसदीय क्षेत्र एवं सांची विधानसभा क्षेत्र मे आता है इस स्थल पर आजादी के बाद से ही मृत शवों का अंतिम संस्कार होता रहा है परन्तु शासन ने यहां शवों के अंतिम संस्कार हेतु टीन शैड निर्माण तो करा दिया तथा इसके कायाकल्प सुधारने की कवायद भी शुरू कर दी गई बावजूद इस के इस शमशान तक पहुंच मार्ग नहीं मिल सका इस शमशान मे नगर के लगभग आधा दर्जन वार्ड के शवों को अंतिम संस्कार हेतु लाया जाता है वैसे तो बडे बडे विकास के दावे देखने सुनने मिलते रहते हैं शवों के अंतिम संस्कार के लिये पहुंचने वाले पहुंच मार्ग आज भी अपनी दलदली मार्ग की कहानी स्वयं बयां कर रहा है बताया जाता है यह स्थल विदिशा रायसेन संसदीय क्षेत्र मे आता है तथा सांची विधानसभा क्षेत्र का मुख्यालय माना जाता है तब इस संसदीय क्षेत्र ने प्रधानमंत्री पद सहित अनेक ऊंचे पदों को सुशोभित किया हाल ही मे लोकसभा चुनाव मे देश मे सबसे अधिक मतो से विजयी बनाकर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को सांसद चुना तथा उन्हें केंद्रीय कृषि मंत्री बनाया गया राज्य सरकार मे भी अनेक बार इस क्षेत्र से निर्वाचित सदस्यों ने सरकार मे उंचे पदों को सुशोभित किया इस शमशान सडक की मांग समय समय पर की जाती रही परन्तु आश्वासन तो मिलते रहे परन्तु शमशान पहुंच मार्ग नहीं मिल सका जिससे आज भी संसार से विदा लेने के बाद शवों को अंतिम संस्कार हेतु दलदल मे से होकर पहुंचने मजबूर होना पड रहा है जिससे लोगों को खासी परेशानी उठाने मजबूर होना पडता है तब लोगों मे रोष देखने को मिलता है इस शमशान की सुध न तो स्थानीय प्रशासन न ही जिला प्रशासन को ही आ रही है बताया जाता है कभी कभी तो शवों के साथ पहुंचने वाले लोगों को दलदल मे गिरते पडते पहुचना पडता है शवयात्रा मे शामिल होने वाले बुजुर्गों को दूसरों के सहारे शमशान तक पहुंचना पडता है बताया तो यहां तक जाता है कि यह पहुंच मार्ग लगभग पांचसौ मीटर का होगा परन्तु पानी कीचड़ भरे मार्ग से शवों को ले जाने मे खासी मशक्कत उठानी पड रही है हाल ही मे गुरुवार को एक शवयात्रा मे बडी संख्या मे लोग पहुंचे थे तब दलदली पहुंच मार्ग से बामुश्किल शवयात्रा शमशान पहुंची थी ऐसा भी नही है कि जिम्मेदारो को इसकी भनक न लगती हो लापरवाह प्रशासन को सुध लेने की फुरसत नहीं मिल पा रही है तब लोगों ने अपना गुस्सा भी जाहिर किया तथा सरकार को कोसते दिखाई दिये बावजूद इसके जिम्मेदार सुध लेने की जहमत नहीं उठा पा रहे हैं कहा नही जा सकता इस शमशान को कब तक पहुंच मार्ग मिलेगा जिससे शवों को शमशान तक आसानी से ले जाया जा सके

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