भ्रमित किये जाने वाले उर्वरकों की विक्री, संचलन एवं भण्डारण पर होगी कार्यवाही
सुनील त्रिपाठी प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस
प्रतापगढ़। जिला कृषि अधिकारी/उर्वरक निबन्धन प्राधिकारी अशोक कुमार ने कहा है कि उर्वरक विनिर्माता, फुटकर उर्वरक विक्रेता एवं थोक उर्वरक विक्रेता द्वारा उन्हीं उत्पादों का विनिर्माण/विक्रय/भण्डारण/परिसंचयन किया जाये जो कि उर्वरक (अकाबर्निक, काबर्निक या मिश्रित) (नियंत्रण) आदेश 1985 में वर्णित हो अथवा राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित हो। उसके अतिरिक्त ऐसे किसी भी उत्पाद का विक्रय न किया जाये जिसके उर्वरक होने का भ्रम हो अथवा उर्वरकों के स्वरूप से मिलता जुलता है। फास्फेट रिच आर्गेनिक मैन्योर के प्रकरणों में यह सुनिश्चित किया जाये कि उनके बैगो में जैविक डीएपी, बायो डीएपी, आर्गेनिक डीएपी, डीएपी का विकल्प, भारत सरकार डीएपी, डीएपी (डयूरवल एग्रीकल्चर प्रोडक्ट), डीएपी (डबल एक्शन पावर), डीएपी व पोटास इत्यादि न अंकित हो। उन्होने बताया है कि जनपद में ऐसे सभी मिलते जुलते नामों वाले आभासी उर्वरकों की विक्री, उनके द्वारा संचलन तथा भण्डारण को पूर्णरूप से प्रतिबन्धित किया जाता है।
उन्होने कहा है कि जनपद के समस्त खुदरा/थोक एवं उर्वरक विनिर्माता कम्पनियों को आदेशित किया है कि आदेशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाये, यदि किसी खुदरा/थोक एवं विनिर्माता कम्पनी द्वारा भ्रमित किये जाने वाले उर्वरकों की विक्री, संचलन एवं भण्डारण किया जाता है, साथ यह भी सभी खुदरा/थोक एवं उर्वरक विनिर्माता कम्पनी यह सुनिश्चित कर ले यदि उनके पास भ्रामक उर्वरकों का भण्डारण हो तो उसे तत्काल हटवाना सुनिश्चित करें, यदि निरीक्षण के दौरान भ्रमिक उर्वरक पाये जाते है तो सम्बन्धित के विरूद्ध उर्वरक (अकाबर्निक, काबर्निक या मिश्रित) (नियंत्रण) आदेश 1985, उर्वरक संचालन नियंत्रण आदेश 1973 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के अन्तर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराते हुये विधिक एवं प्रशासनिक कार्यवाही की जायेगी जिसके लिये आप स्वयं उत्तरदायी होगें।
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