बंगाल में दुष्कर्म की सजा होगी मौत! विधानसभा में ममता सरकार ने पेश किया बिल
आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या से घिरी ममता सरकार मंगलवार को विधानसभा में एंटी रेप बिल लेकर आई है। इस बिल में पॉक्सो, आईपीसी और भारतीय न्याय संहिता में रेप और सेक्सुअल क्राइम से संबंधित प्रावधानों में संशोधन करने का प्रावधान है। विधेयक के नए मसौदे के मुताबिक, अगर रेप या यौन उत्पीड़न के कारण किसी की मौत हो जाती है या उसकी हालत गंभीर हो जाती है तो दोषी को मौत की सजा दी जाएगी। नए एंटी रेप बिल में प्रावधान किया गया है कि रेप या गैंगरेप करने वाले दोषियों को पूरी जिंदगी के लिए आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी। वेस्ट बंगाल क्रिमिनल लॉ एंड अमेंडमेंड बिल 2024 को अपराजिता महिला और बाल विधेयक का नाम दिया गया है।
21+15 यानी 36 दिनों में पूरी करनी होगी जांच
पश्चिम बंगाल विधानसभा में पेश एंटी रेप बिल (अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक) में बलात्कार करने वालों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। सजा के लिए भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 में संशोधन करने का प्रस्ताव है। विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि बलात्कार के मामलों की जांच प्रारंभिक रिपोर्ट के 21 दिनों के भीतर पूरी की जानी चाहिए। अभी तक इस जांच के लिए दो महीने की समय सीमा तय है। अगर केस दर्ज होने की तारीख से 21 दिनों के भीतर किसी कारणवश जांच पूरी नहीं हो सकती है तो इसे पुलिस अधीक्षक या सीनियर अफसर के आदेश के बाद सिर्फ 15 दिनों के लिए बढ़ा सकेंगे। जांच अधिकारी समय सीमा बढ़ाने के कारणों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 192 के तहत बनाए गए केस डायरी में दर्ज करना होगा। कुल मिलाकर जांच 36 दिनों में पूरी करनी होगी।
जिला स्तर पर बन सकेगी टास्क फोर्स
नए कानून में रेप के मामलों में जल्द फैसले के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का प्रस्ताव किया गया है। विधेयक के मसौदे में बताया गया है कि रेप के मामलों की जांच विशेष टीम और सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी। जांच के लिए जिला स्तर पर टास्क फोर्स बनाया जाएगा, जिसे डीएसपी स्तर के अधिकारी लीड करेंगे। इस फोर्स में अनुभवी पुलिसकर्मी और तकनीकी तौर से सक्षम कर्मचारी शामिल होंगे, ताकि पीड़ित परिवार को जांच के दौरान बार-बार मानसिक आघात से बचाया जा सके।
2020 में महाराष्ट्र में भी पारित हुआ था शक्ति बिल
2020 में महाराष्ट्र विधानसभा ने शक्ति आपराधिक कानून (महाराष्ट्र संशोधन) विधेयक पारित किया था। यह बिल केंद्र सरकार और राष्ट्रपति को मंजूरी के लिए भेजा गया, मगर उस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं आया है। अब एनसीपी-एससीपी सांसद सुप्रिया सुले ने इस मुद्दे को उठाया है। सुप्रिया सुले ने कहा कि जब उद्धव ठाकरे की महा विकास अघाड़ी सरकार सत्ता में थी, तब अनिल देशमुख शक्ति विधेयक लाए और इसे दिल्ली भेजा, लेकिन तब मोदी सरकार थी, उन्होंने कुछ नहीं किया। आज एनडीए सरकार है लेकिन दुर्भाग्य से उन्होंने भी कुछ नहीं किया। अब इंडिया गठबंधन के नेता देश के गृह मंत्री से मिलेंगे और उनसे इस विधेयक को मंजूर करने का अनुरोध करेंगे।
पूर्व प्राचार्य संदीप घोष गिरफ्तार
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज मामले में आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि संदीप घोष की गिरफ्तारी भ्रष्टाचार के मामले में की गई है। दरअसल जांच के दौरान ही संदीप घोष पर मेडिकल कॉलेज के पूर्व अधिकारी ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे, जिसकी भी सीबीआई ने जांच शुरू की थी। 9 अगस्त को मेडिकल कॉलेज में जब डॉक्टर की ड्यूटी पर दुष्कर्म के बाद हत्या की गई तो उस मामले में भी संदीप घोष की भूमिका सवालों के घेरे में है।
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