500 करोड़ का घोटाला: : टेक होम राशन घोटाले में लोकायुक्त की जांच शुरू, पूर्व सीएस इकबाल सिंह और एलएम बेलवाल पर आरोप

एमपी के पूर्व मुख्य सचिव भ्रष्टाचार के केस में फंस गए लगते हैं। उनके खिलाफ लोकायुक्त ने जांच शुरु कर दी है।

500 करोड़ का घोटाला: : टेक होम राशन घोटाले में लोकायुक्त की जांच शुरू, पूर्व सीएस इकबाल सिंह और एलएम बेलवाल पर आरोप

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और पूर्व सीईओ ललित मोहन पर 500 करोड़ रुपये के घोटाले में FIR दर्ज की गई है. पूर्व विधायक पारस सकलेचा की शिकायत पर यह कार्रवाई हुई है.

Bhopal – एमपी के पूर्व मुख्य सचिव भ्रष्टाचार के केस में फंस गए लगते हैं। उनके खिलाफ लोकायुक्त ने जांच शुरु कर दी है। प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और आजीविका मिशन के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ ये जांच शुरू की गई है। प्रदेश के पूर्व विधायक पारस सकलेचा की शिकायत पर भोपाल लोकायुक्त ने ये कार्रवाई की है। सकलेचा ने पूर्व मुख्य सचिव बैंस और बेलवाल पर सन 2018-19 से सन 2021-22 के दौरान पोषण आहार तथा अन्य योजनाओं में 500 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। ऑडिटर जनरल ने मार्च 2025 में विधानसभा में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख किया है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि इकबाल सिंह बैंस ने सन 2017 में अपने चहेते बेलवाल को वन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर लाकर आजीविका मिशन का सीईओ बना दिया था।

ललित मोहन बेलवाल सन 2018 में सेवानिवृत्त हो गए थे। तब भी इकबाल सिंह बैंस ने जून 2020 में उन्हें संविदा आधार पर पुनः आजीविका मिशन का मुख्य कार्यकारी अधिकारी बना दिया। एक वर्ष के लिए की गई इस नियुक्ति के फौरन बाद बेलवाल ने पोषण आहार बनाने का काम एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन से लेकर आजीविका मिशन को दे दिया।

शिकायतकर्ता कांग्रेस विधायक पारस सकलेचा का आरोप है कि इकबाल सिंह बैंस और उनके चहेते बेलवाल ने षड्यंत्रपूर्वक पोषण आहार बनाने वाली सातों फैक्ट्री का कार्य आजीविका मिशन को दिया। दिसंबर 2018 में कमलनाथ की कांग्रेस सरकार बनने पर घोटाले को देखते हुए यह काम पुनः एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन को दे दिया गया था।

ऑडिट रिपोर्ट में हुआ भ्रष्टाचार का खुलासा

सन 2018 से सन 2021 तक पोषण आहार में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार किया गया। वितरण, परिवहन और गुणवत्ता में बड़ी

गड़बड़ी की गई। ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट से भी इसकी पुष्टि हुई। ऑडिटर जनरल ने सन 2018-19 से लेकर सन 2021-22 तक 481.79 करोड़ का घोटाला पाया। 4 साल की अवधि में महज 8 जिलों की जांच में यह गड़बड़ी पाई गई थी। मार्च 2025 में विधानसभा के पटल पर यह प्रतिवेदन रखा गया।

रिटायर होने के बाद संविदा पर आ गए बेलवाल

इतना ही नहीं बैंस ने मुख्य सचिव बनने के बाद बेलवाल को सेवानिवृत्ति होने पर संविदा आधार पर फिर से आजीविका मिशन का सीईओ बना दिया था। उन्होंने शिकायत में कहा है कि बेलवाल को लेकर बैंस का प्रेम देखकर लगता है कि बैंस भी इस पूरे घोटाले में शामिल हैं। इसलिए उनके खिलाफ भी जांच की जाए। हालांकि अभी तक बैंस के खिलाफ कोई भ्रष्टाचार नहीं पाया गया है, जबकि बेलवाल पर आजीविका मिशन में भर्ती को लेकर पहले से प्रकरण दर्ज हैं। लोकायुक्त संगठन ने महिला एवं बाल विकास विभाग, आजीविका मिशन और अन्य संबंधित विभागों एवं कार्यालयों में जानकारी मांगने के बाद जांच पंजीबद्ध की है