तेज हवा में गिरा महाकाल मंदिर का स्वर्ण ध्वज, पुजारियों ने जताई चिंता, क्या यह अनिष्ट का संकेत?

उज्जैन में तेज नौपता मे भी गर्मी अपने तेवर ना दिखाते हुए मौसम अपने तेवर दिखा रहा है. और तेज आंधी-तूफान चल रहेगा है. इसी दौरान महाकालेश्वर मंदिर के शिखर का स्वर्ण ध्वज गिर गया. घटना के समय मंदिर परिसर में श्रद्धालु मौजूद थे. कोई जनहानि नहीं हुई है. मंदिर प्रशासन ने तुरंत ध्वज को सुरक्षित किया

तेज हवा में गिरा महाकाल मंदिर का स्वर्ण ध्वज, पुजारियों ने जताई चिंता, क्या यह अनिष्ट का संकेत?

महाकाल मंदिर का स्वर्ण ध्वज तेज आंधी से गिरा.

मंदिर प्रशासन ने ध्वज को सुरक्षित किया, कोई जनहानि नहीं हुई.

पुजारी ने इसे अनिष्ट का संकेत माना, परंतु महाकाल पर विश्वास जताया.

Golden flag – एमपी के उज्जैन के महाकाल लोेक में बड़ा हादसा हुआ है। यहां के विश्व प्रसिद्ध मंदिर का शिखर का स्वर्ण ध्वज गिर गया है। रविवार दोपहर अचानक महाकाल मंदिर परिसर में यह अप्रत्याशित घटना घटित हुई। करीब 16 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली हवा से महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर स्थापित स्वर्ण ध्वज अचानक नीचे गिर गया। सौभाग्यवश इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई। स्वर्ण शिखर को वापस स्थापित करने का कार्य भी शुरू हो गया है। महाकाल लोक में लगाए गए कई डेकोरेटिव शेड और केनोपी भी फट गए और उड़ने लगे थे। इस हादसे ने मंदिर प्रशासन की सतर्कता और संरचनात्मक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे महाकाल लोक की सुरक्षा और निर्माण गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।

श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के ठीक ऊपर स्थापित स्वर्ण ध्वज, जो वर्षों से भक्ति और परंपरा का प्रतीक रहा है, दो-तीन दिन पहले चली तेज हवाओं में ढीला होकर नीचे गिर गया। यह घटना उस समय हुई जब परिसर में सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए मौजूद थे। मंदिर प्रशासन ने तत्काल शिखर क्षेत्र को खाली कराया और गिरा हुआ ध्वज सुरक्षित किया।

मंदिर पुजारियों के अनुसार, यह घटना अत्यंत दुर्लभ और धार्मिक दृष्टि से चिंता का विषय है। परंपरा के अनुसार, गिरा हुआ ध्वज पुन: स्थापित किया जाएगा, इसके लिए शिखर पर मचान बांधकर ध्वजा रखने का कार्य चल रहा है।

गुणवत्ता पर उठे सवाल

तेज हवाओं ने सिर्फ शिखर तक ही असर नहीं डाला। महाकाल लोक में लगाए गए एल्यूमिनियम व फाइबर के कई डेकोरेटिव शेड और केनोपी तेज हवा की चपेट में आकर फट गए और उड़ने लगे। इससे महाकाल लोक की सुरक्षा और निर्माण गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। गार्डों ने बताया कि कुछ शेड उड़कर पर्यटक पथ के पास गिरे, जिससे थोड़ी देर अफरा-तफरी मच गई। हालांकि कोई व्यक्ति घायल नहीं हुआ, लेकिन यह एक बड़ी अनहोनी से बचाव माना जा रहा है।

घटना पर प्रशासन मौन

घटना के बाद श्रद्धालुओं में भय और असमंजस की स्थिति बनी रही। कई लोगों ने सवाल उठाए कि इतने महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल पर संरचनात्मक निगरानी इतनी कमजोर क्यों है? मंदिर समिति या जिला प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

हालांकि सूत्रों का कहना है कि प्रशासन ने मंदिर और महाकाल लोक की संरचनाओं की समीक्षा के लिए इंजीनियरों की एक टीम को बुलाया है जो जांच कर रिपोर्ट देगी।

महाकाल मंदिर का शिखर नागर शैली में बना है

बता दें कि महाकाल मंदिर का शिखर नागर शैली में बना है। मंदिर के मुख्य शिखर के आसपास 100 से अधिक शिखरावलियां हैं। करीब दो दशक पहले इन शिखरावलियों को स्वर्ण मंडित कराने के लिए स्वर्ण शिखर योजना चलाई गई थी। इसके लिए भक्तों ने बढ़चढ़ कर स्वर्ण दान दिया और इसी सोने से शिखरावलियों को स्वर्ण मंडित किया गया था। मंदिर का शिखर चूने से बना है। इनपर स्वर्ण का आवरण का बारीक नट से कसा गया है।