गौवंश संरक्षण को लेकर कलेक्ट्रेट सभागार में हुई महत्वपूर्ण बैठक, व्यवस्थाएं रहें दुरुस्त, गौशालाएं बनें आत्मनिर्भर: राजेश सिंह सेंगर
उरई में गौवंश संरक्षण और गौशालाओं की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से कलेक्ट्रेट सभागार में महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। गौ सेवा आयोग के सदस्य राजेश सिंह सेंगर और जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय ने संयुक्त रूप से अधिकारियों को निर्देश दिए कि सड़कों पर विचरण कर रहे गौवंशों को शीघ्र आश्रय स्थलों में भेजा जाए और वहां सभी आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं। गौशालाओं में सीसीटीवी, 24x7 केयरटेकर, बीमार गौवंश के लिए अलग व्यवस्था, वृक्षारोपण, और आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए पंचगव्य उत्पादों के निर्माण जैसे कदमों पर जोर दिया गया। पशुपालकों पर कार्रवाई और कैटल कैचिंग टीम को सक्रिय करने के निर्देश भी दिए गए। बैठक में कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

गौवंश संरक्षण को लेकर कलेक्ट्रेट में हुई समीक्षा बैठक, आश्रय स्थलों की व्यवस्था और आत्मनिर्भरता पर दिया गया जोर
उरई । सदस्य गौ सेवा आयोग राजेश सिंह सेंगर ने जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय के साथ संयुक्त रूप ने गौवंश संरक्षण एवं गौशालाओं की व्यवस्थाओं को और सुदृढ़ करने हेतु आज कलेक्ट्रेट सभागार में जिला गौ संरक्षण अनुश्रवण एवं मूल्यांकन समिति की बैठक कर सम्बंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
उन्होंने निर्देश दिए कि सड़कों और मुख्य मार्गों पर विचरण करते पाए जाएं गौवंशों को शीघ्र गौशालाओं में संरक्षित किया जाए, तथा आश्रय स्थलों में स्वच्छता, कीचड़ मुक्त परिसर, भूसा, दाना व हरे चारे की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने सभी गौ आश्रय स्थलों पर सीसीटीवी कैमरों के नियमित संचालन और 24x7 केयरटेकर की उपस्थिति पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि बीमार व अशक्त गौवंशों के लिए पृथक कक्ष में इलाज और विशेष देखभाल की व्यवस्था हो, और जनपद के प्रत्येक आश्रय स्थल पर वृक्षारोपण अभियान चलाया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि कैटल कैचिंग टीम को और अधिक सक्रिय किया जाए, और ऐसे पशुपालक जो अपने पालतू पशुओं को सड़कों, सार्वजनिक स्थलों या अन्य व्यक्तियों की भूमि पर छोड़ देते हैं, उनके विरुद्ध पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत विधिक कार्रवाई करते हुए जुर्माना भी वसूला जाए।उन्होंने गौशालाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने हेतु विभिन्न विभागों के समन्वय से बायोगैस, कम्पोस्ट, पंचगव्य उत्पाद (जैसे- साबुन, फिनाइल, अगरबत्ती), जैविक खाद, कीटनाशक, गोबर गमले, लकड़ी (लट्ठे), और सीएनजी प्लांट जैसे उत्पादों के निर्माण और विक्रय की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी के.के. सिंह, जिला विकास अधिकारी प्रशांत पाण्डेय, परियोजना निदेशक अखिलेश तिवारी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज अवस्थी सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।