भारतीय कपड़ा और गारमेंट (परिधान )उद्योग पर तिहरी नीति मार – अमेरिका, UK और GST दबाव से MSME और निर्यातकों की चिंता बढ़ी,चम्पालाल बोथरा टेक्सटाइल & गारमेंट कमेटी
अमेरिकी टैरिफ, UK FTA और GST बढ़ोतरी ने बढ़ाई निर्यातकों की चिंता

GST दर वृद्धि से MSME टेक्सटाइल यूनिट्स पर छाए संकट के बादल
Surat : कैट (CAIT) – टेक्सटाइल एवं गारमेंट कमेटी ने भारत के कपड़ा और गारमेंट उद्योग, जो कि ₹2.5 लाख करोड़ से अधिक के वार्षिक निर्यात का प्रमुख स्रोत है और 4.5 करोड़ से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देता है, इस समय अंतरराष्ट्रीय और घरेलू नीतियों के त्रि-मार्गीय दबाव में है।
1.अमेरिका द्वारा 25% टैरिफ वृद्धि –
हाल ही में अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारत से निर्यातित टेक्सटाइल एवं गारमेंट उत्पादों पर 25% तक की टैरिफ वृद्धि की घोषणा ने भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा शक्ति को चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों के सामने कमजोर कर दिया है।
भारत का अभी जो गारमेंट का कुल एक्सपोर्ट है उसमे से 35% का एक्सपोर्ट अमेरिका में है उसमे 13% से 15% की लगभग टैक्स बढ़ोतरी हो जाएगी । जो टेक्सटाइल उद्योग को काफ़ी प्रभावित करेगी ।
2 . UK-India FTA का असंतुलित प्रारूप –
UK के साथ प्रस्तावित FTA (Free Trade Agreement) के तहत भारत से कपड़ा निर्यातकों को सीमित लाभ मिल रहे हैं जबकि UK की ब्रांडेड कंपनियों को भारत में आसान प्रवेश मिल रहा है। इससे घरेलू MSME और लघु निर्माताओं पर दबाव बढ़ेगा और असंतुलन पैदा होगा।
3.GST दर वृद्धि (5% से 12%) प्रस्तावित –
सितंबर 2025 में प्रस्तावित GST काउंसिल बैठक में कपड़ा और रेडीमेड गारमेंट पर 12% GST लगाने का प्रस्ताव सामने आया है।
वर्तमान में कई MSME यूनिट 5% GST में कार्यरत हैं।
यदि यह दर बढ़ाई जाती है, तो छोटे व्यापारियों और उत्पादन इकाइयों को अतिरिक्त टैक्स बोझ, इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर और नकदी प्रवाह की समस्या से जूझना पड़ेगा।
व्यापारिक प्रभाव और चुनौतियाँ:
• MSME क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा घटेगी, उत्पादन लागत बढ़ेगी।
• नकद प्रवाह की समस्या और ऑर्डर कैंसलेशन की संभावना।
• बांग्लादेश, वियतनाम और चीन के सस्ते उत्पादों के सामने भारत कमजोर पड़ेगा।
• रोजगार संकट: श्रमिकों और कारीगरों की नौकरियाँ खतरे में।
टेक्सटाइल गारमेंट कमेटी के राष्ट्रीय चेयरमैन चम्पालाल बोथरा ने कहा:
“भारत का कपड़ा एवं गारमेंट (परिधान )उद्योग न केवल लाखों MSMEs और कारीगरों को रोजगार देता है, बल्कि देश की आर्थिक रीढ़ भी है। ऐसे समय में अमेरिका द्वारा 25% टैरिफ, UK FTA की असंतुलित शर्तें और अब प्रस्तावित 12% GST दर इस उद्योग को त्रस्त कर रही हैं। यह तीनों नीतिगत दबाव मिलकर छोटे उत्पादकों, निर्यातकों और व्यापारियों की रीढ़ तोड़ सकते हैं। मैं केंद्र सरकार से मांग करता हूँ कि वह अमेरिका और UK से संतुलित व्यापार वार्ताएं करे, और GST दर को यथावत 5% पर ही रखे। साथ ही टेक्सटाइल MSMEs को राहत पैकेज, ब्याज छूट और एक्सपोर्ट इंसेंटिव जैसे ठोस कदमों की तत्काल ज़रूरत है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘मेक इन इंडिया’ नीति को आगे बढ़ाने के नीतिगत निर्णय ले कपड़ा उद्योग को सहयोग करे ।
मांगें (Demands):
1. टेक्सटाइल पर 5% GST यथावत रखा जाए।
2. अमेरिका व UK से संतुलित FTA और टैरिफ वार्ता की जाए।
3. MSME टेक्सटाइल यूनिट के लिए विशेष राहत पैकेज घोषित किया जाए।
4. निर्यातकों को सब्सिडी/इंसेंटिव स्कीम को पुनः मजबूत किया जाए।और अमेरिका के बढ़े टैक्स के सामने उतना इंसेंटिव बढ़ाये ।ताकि बांग्लादेश , वियतनाम , चाइना के सामने एक्सपोर्ट में सामना कर सके ।