धर्म की तरह मित्रता भी सनातन भाव

संयुक्त राष्ट्र ने 2011 में 30 जुलाई को आधिकारिक तौर पर अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस घोषित किया था, लेकिन कई देश, विशेष रूप से भारत, इसे अगस्त के पहले रविवार को मनाते हैं।

धर्म की तरह मित्रता भी सनातन भाव

 राकेश अचल
दुनिया ने मैत्री दिवस कोई डेढ दशक पहले मनाना शुरू किया किंतु मैत्री भाव उतना ही पुराना भाव है जितना धर्म. जैसे धर्म की उत्पत्ति को लेकर दुनिया में मतैक्य नहीं है वैसे ही मैत्री को लेकर हर भूभाग में अपनी अलग परिभाषा है. लेकिन दुनिया में कोई भी ऐसा नहीं है जिसके भीतर मैत्री भाव न हो. दुनिया में दोस्ती सबसे अनमोल रिश्ता है. रक्त संबंध भी जहाँ काम नहीं आते वहाँ दोस्ती काम आ जाती है.असुर, किन्नर सब मित्रता के भूखे होते हैं यहाँ तक कि जलचर, थलचर और नभचर भी मित्रता के दीवाने होते हैं.
संयुक्त राष्ट्र ने 2011 में 30 जुलाई को आधिकारिक तौर पर अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस घोषित किया था, लेकिन कई देश, विशेष रूप से भारत, इसे अगस्त के पहले रविवार को मनाते हैं। इस दिन लोग अपने दोस्तों के साथ समय बिताते हैं, उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं, और मैत्री सूत्र बांधते हैं। साल 2025 में, यह 3 अगस्त को है. यह दिन दोस्ती के बंधन को सेलिब्रेट करने और आपसी समझ, शांति, और एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।
हमारे यहाँ मित्रता की अनंत कहानियाँ हैं. हितोपदेश की कहानियाँ तो सबसे अनूठी हैं हमारे कहानीकारों ने अंधे ंलंगडों की मैत्री की कहानियाँ खूब लिखीं. बंदर, मगर की दोस्ती, चूहे शेर की दोस्ती के कितने किस्से हैं. दर्जनों भारतीय फिल्में और उनके गीत का केंद्र ये मित्रता ही है. संस्कृत में कहावत है कि आदो मित्रोपरिक्षेत् न तो मित्रो समाश्रयेत. अर्थात मित्र बनाने से पहले उसे परखो फिर उस पर आश्रित होना चाहिए. असल मित्र वो है जो सुखमें, दुख में समभाव रखता हो.
हम लोग बचपन से मित्राश्रित रहे हैं. जिसका कोई दुश्मन न हो वो सबका मित्र यानि अजातशत्रु कहलाता है. जो सबका शत्रु होता है उसके पास भी एक न एक मित्र अवश्य होता है. मित्र समाज, राजनीति, अर्थव्यवस्था, कारोबार, संप्रभुता सबमें उपयोगी होता है. हमारी फिल्मों के गीत तो कहते हैं कि कोई जब राह न पाए, मेरे संग आए, पग पग दीप जलाए. तेरी दोस्ती मेरा प्यार.. दोस्ती का रिश्ता ईमान का और जिंदगी भर का रिश्ता है. तभी हम कह पाते हे कि ये दोस्ती, हम नहीं तोडेंगे. यार की शादी हो या कुछ और अलग ही आनंद देता है.
सनातन कहानियाँ आपने पढी ही होँंगी. त्रेता में राम और केवट की मैत्री द्वापर में कृष्ण सुदामा की दोस्ती के उदाहरण आज भी दिए जातें हैं. 
कृष्ण और सुदामा बचपन में गुरुकुल में साथ पढ़ते थे और गहरे मित्र बन गए। कृष्ण, जो भगवान विष्णु के अवतार थे, बाद में द्वारका के राजा बने, जबकि सुदामा एक गरीब ब्राह्मण रहे। वर्षों बाद, सुदामा की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई। उनकी पत्नी ने उन्हें कृष्ण से मदद मांगने का सुझाव दिया, लेकिन सुदामा को संकोच था। फिर भी, वह अपने मित्र से मिलने द्वारका गए, अपने साथ केवल एक मुट्ठी चावल  लेकर, जो उनकी पत्नी ने प्रेम से बांधा था।
जब सुदामा द्वारका पहुंचे, कृष्ण ने उनका भव्य स्वागत किया। सुदामा की सादगी और उनके द्वारा लाए गए चावल को देखकर कृष्ण भावुक हो गए और उन्होंने वह पोहा बड़े प्रेम से खाया। सुदामा अपनी गरीबी के बारे में कुछ न कह सके, लेकिन कृष्ण, जो अंतर्यामी थे, उनकी स्थिति समझ गए।
जब सुदामा घर लौटे, तो उन्होंने देखा कि उनकी झोपड़ी एक भव्य घर में बदल गई थी, और उनकी सारी आर्थिक समस्याएं दूर हो गई थीं। यह सब कृष्ण की कृपा थी, जिन्होंने अपने मित्र की मदद बिना कहे कर दी।
यह कहानी सच्ची मित्रता की शक्ति को दर्शाती है, जो धन, वैभव, या सामाजिक स्थिति से परे होती है। कृष्ण और सुदामा की मित्रता हमें सिखाती है कि सच्चा मित्र वही है जो बिना स्वार्थ के अपने मित्र की मदद करता है और उसका सम्मान करता है।
दुनिया में किसी का भी शासन रहा हो दोस्ती हर वक्त सराही गई. कोई भी प्रजाति हो दोस्ती सबको अजीज रही. कलियुग में दोस्ती के बिना तो बात बनती ही कहाँ है. व्यक्तियों की दोस्ती दो राष्ट्रों की दोस्ती में बदल जाती है. संस्कृतियों में भी मैत्री भाव रिश्तों को प्रगाढ करता है. भारत रुस की दोस्ती की तो नजीर पेश की जाती है. आजकल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दोस्ती अग्निपरीक्षा से गुजर रही है.
हकीकत ये है कि दोस्त के बिना कोई भी सुखी नहीं रह सकता. दोस्ती चहे पावक को साक्षी मान की जाए या बिना किसी साक्षी के अपना काम करती है. दोस्ती परस्पर प्रेम, लगाव,, विश्वास, और समर्थन के मजबूत स्तंभों पर खडी होती है. दोस्ती बैशाखी नहीं है, दोस्ती आलंबन है. तीसरा नेत्र है. दोस्ती कंधा भी है और कवच भी.
बहरहाल आज आप भी अपने दोस्त के साथ दिन बिताइए. जिसके पास दोस्त नहीं होता, वो मेरी दृष्टि में सबसे गरीब इनसान है. इसलिए हरदम दोस्ती जिंदाबाद का नारा बुलंद रखिए. क्योंकि जहाँ मिल जाऐ चार यार वही ं जिंदगी गुलजार हो जाती है.