ड्रोन संचालन को लेकर जिला प्रशासन हुआ सतर्क, नियमों के उल्लंघन पर होगी कड़ी कार्रवाई
ड्रोन संचालन को लेकर जिला प्रशासन सतर्क हो गया है। जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय और पुलिस अधीक्षक डॉ. दुर्गेश कुमार ने संयुक्त प्रेस वार्ता में ड्रोन उड़ाने के नियमों की जानकारी दी और नागरिकों से अपील की कि वे ड्रोन संचालन से पहले सभी नियमों का पालन करें। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा निर्धारित 2022 के नियमों के तहत ड्रोन उड़ाने के लिए डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण, यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर (UIN) और ज़ोन के अनुसार अनुमति लेना अनिवार्य है। नैनो श्रेणी को छोड़कर बाकी ड्रोन के लिए लाइसेंस जरूरी है।

ड्रोन संचालन को लेकर जिला प्रशासन हुआ सतर्क
जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक ने की संयुक्त प्रेस वार्ता
डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण अनिवार्य
ग्रीन, येलो और रेड ज़ोन के नियमों की दी गई जानकारी
400 फीट से अधिक ऊंचाई पर ड्रोन उड़ाना प्रतिबंधित
उ रई । जनपद में ड्रोन उड़ाने से संबंधित नियमों की जानकारी देने और नागरिकों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय व पुलिस अधीक्षक डॉ दुर्गेश कुमार ने आज विकास भवन के रानी लक्ष्मीबाई सभागार में एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता आयोजित कर जानकारी दी।
जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि ड्रोन एक अत्याधुनिक तकनीक है, जिसका उपयोग यदि नियमों के अंतर्गत हो, तो यह विकास में सहायक बन सकता है। लेकिन यदि इसका दुरुपयोग किया गया या नियमों का उल्लंघन हुआ, तो यह जनसुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।जिलाधिकारी ने कहा कि वर्तमान में भारत में ड्रोन संचालन के लिए वर्ष 2022 में लागू नियमों का पालन किया जा रहा है, जिनमें समय-समय पर संशोधन एवं स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं। उन्होंने कहा कि ड्रोन उड़ाने से पूर्व हर नागरिक को डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है तथा अपने ड्रोन के लिए यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर (UIN) प्राप्त करना होता है। इसके अतिरिक्त, प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध इंटरैक्टिव एयरस्पेस मैप को देखकर ही यह तय किया जाना चाहिए कि ड्रोन उड़ाने की अनुमति उस क्षेत्र में है या नहीं। ग्रीन ज़ोन में बिना अनुमति ड्रोन उड़ाया जा सकता है, परंतु येलो और रेड ज़ोन में पूर्व अनुमति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कुछ स्थानों जैसे कि हवाई अड्डों, अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं, दिल्ली के विजय चौक, राज्य सचिवालय परिसर तथा सैन्य और रणनीतिक प्रतिष्ठानों के आसपास ड्रोन संचालन पूरी तरह प्रतिबंधित है। साथ ही, ड्रोन की ऊँचाई सीमा अधिकतम 400 फीट निर्धारित की गई है, जिसका पालन अनिवार्य है। ड्रोन को पाँच श्रेणियों — नैनो, माइक्रो, स्मॉल, मीडियम एवं लार्ज — में वर्गीकृत किया गया है। नैनो श्रेणी को छोड़कर अन्य सभी ड्रोन के संचालन के लिए अधिकृत पायलट के पास वैध लाइसेंस अथवा परमिट होना आवश्यक है। जिलाधिकारी ने अपील की कि कोई भी व्यक्ति ड्रोन उड़ाने से पहले सभी नियमों और शर्तों को भलीभांति समझ ले, क्योंकि नियमों का उल्लंघन न केवल दंडनीय है, बल्कि इससे आम जन की सुरक्षा को भी खतरा उत्पन्न हो सकता है।
पुलिस अधीक्षक डॉ. दुर्गेश कुमार ने प्रेस को संबोधित करते हुए ड्रोन संचालन के कानूनी पक्षों पर विशेष प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जनसुरक्षा से संबंधित कारणों से ड्रोन संचालन को लेकर सख्त प्रावधान किए गए हैं। यदि कोई व्यक्ति बिना अनुमति के ड्रोन उड़ाता है या प्रतिबंधित क्षेत्रों में ड्रोन का संचालन करता है, तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विदेशी ड्रोन के आयात पर भारत में प्रतिबंध है, केवल कुछ विशिष्ट मामलों में ही छूट दी जाती है। इसके अलावा, ड्रोन की रिमोट आईडी में किसी प्रकार की छेड़छाड़, उसे निष्क्रिय करना अथवा बायपास करना पूर्णतः गैरकानूनी है। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा ड्रोन संचालन के लिए जो दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, उनमें दृश्य रेखा में उड़ान (Visual Line of Sight), पायलट की मेडिकल फिटनेस तथा पृष्ठभूमि जांच जैसी शर्तें शामिल हैं। इन सभी प्रावधानों का पालन करना प्रत्येक ड्रोन उपयोगकर्ता की जिम्मेदारी है।