पहले आतंकवाद के खिलाफ रुख साफ करो, फिर नोबेल की बात करो – ट्रंप पर वैश्विक हमला

लोगों ने इनकी रोज़ रोज़ की दादागिरी से तंग आकर कहा - इन्हें तत्काल पुरस्कार दे दीजिए ताकि उनके सिरफिरे दिमाग को शांति मिल जाए।---- इनको तो बस शांति नॉवेल पुरस्कार मिल जाए भले ही आतंकी इनके देश और पूरी दुनिया को तबाह कर दें इनको कोई फर्क नहीं पड़ता।----- क्या पूरी दुनिया में अशांति फैलाके और कई सारे देशों को लड़वाके एवं भड़काके अपने आप को क्रांतिवीर और शांतिवीर घोषित करना चाहते है और दुनियां को दो धड़ों में बाँटना चाहते हैं, लेक़िन एक अच्छी तरह से समझ लीजिए ये सब आपको ही भारी पड़ने बाला हैं ?

पहले आतंकवाद के खिलाफ रुख साफ करो, फिर नोबेल की बात करो – ट्रंप पर वैश्विक हमला

सुनील त्रिपाठी

प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्स्प्रेस

मुझे नॉवेल चाहिए - लेक़िन पहले आतंकी पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ़ अपना रुख साफ़ करिए फ़िर शांति पुरुस्कार की बात करिए, अभी आपका आतंकवाद के खिलाफ रुख साफ नहीं है....

नई दिल्ली। नोबेल शांति पुरस्कार जिसे विश्व में सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानजनक पुरस्कारों में गिना जाता है, लेक़िन अब एक नई बहस का केंद्र बन चुका है। इस बार विवाद की शुरुआत आतंकबाद के खिलाफ़ लड़ रहें कई देश से हो गयी हैं। मुद्दा डोनाल्ड ट्रंप को आतंकी पाकिस्तान के द्वारा नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किए जाने से शुरू हुआ हैं। 

लेक़िन आज़ की चर्चा में लोगों ने इस पर खुला ऐतराज जताया और डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए उन्हें सिरफिरा तक बताया। सभी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बताया कि अब ये बात किसी से छुपी नहीं हैं कि सिरफिरे चौधरी ट्रंप को सिर्फ नॉवेल चाहिए और इसके लिए वो पूरी दुनियां में दादागिरी भी करने के लिए आतुर हैं। वहीं, कितनी हेरात कि बात हैं की आतंक की फैक्ट्री चलाके निर्दोष लोगों को मारने बाला आतंकी देश पाकिस्तान ट्रांप के लिए शांति की बात कर रहा हैं, और अपने पुराने आर्थिक मददगार को शांति पुरस्कार का पहला हकदार बता रहा और इसीलिए पूरी दुनियां में युद्ध को हवा देने पर भी ये शांति नॉवेल पुरस्कार की मांग अपने पालतू भिखारी को बार बार रोटी डालके के करवा रहे हैं। लेक़िन जो सिरफिरा पागल कई सारे देशों को लड़वाने और भड़काने का काम कर रहा हो, जो पूरी दुनिया में अशांति फैला करके अपने आप को क्रांतिवीर और शांतिवीर घोषित करना चाहता है। जो अपनी खनक में अपने आप को पूरी दुनिया का जनक मान रहा है। इनको तो बस शांति नोबेल पुरस्कार मिल जाए भले ही आतंकी इनके देश और पूरी दुनिया को तबाह कर दें इनका कोई फर्क नहीं पड़ता।

उन्होंने आगे कहा कि अपने इसी लालच और पागलपन के चलते ये अपने देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनियां में आग भड़का रहे हैं, साथ ही पूरी दुनिया में आतंकवाद को बढ़ावा भी दे रहे हैं। यह आतंकवादियों को वर्ल्ड बैंक से आतंक फैलाने के लिए भरपूर मात्रा में पैसा भी दिलवाते हैं और अपने आप को शांतिवीर भी कहलाते हैं। बताओं, ऐसे सिरफिरे आदमी की बात पर कौन सा शांति प्रिय देश भरोसा करेगा। शांति नोबेल पुरस्कार पाने के लिए यह आतंक और आतंकियों का भी समर्थन कर रहें हैं और अपने आप को शांतिवीर बताते हैं।

साथ ही उन्होंने बताया कि जो आतंकियों का समर्थन करने लग जाएं, बताओ तुम इनसे शांति की उम्मीद कैसे कर सकते हो, कभी नहीं। बस, इन्हें पुरस्कार दे दीजिए ताकि उनके सिरफिरे दिमाग को शांति मिल जाए। यह कैसे दादा लोग हैं, यह कैसी लालची दुनिया में रहते हैं। यही वह लालची दंश है, जो पूरे पूरे शांति के मंच को नष्ट करने पर तुले हैं। जो देश आतंकवाद से लड़ रहे हैं, यह रोज-रोज उन्हीं से दादागिरी कर रहें हैं, उनको आंखे दिखाते हैं और साथ ही रोज़ रोज़ नई नई धमकियां भी दें रहें हैं, लेक़िन आतंकियों को घर बुलाकर दावत खिला रहें हैं। क्या पूरी दुनिया में अशांति फैला करके और कई सारे देशों को लड़वा के एवं भड़का के अपने आप को क्रांतिवीर और शांतिवीर घोषित करना चाहता है और दुनियां को दो धड़ों में बाँटना चाहते हैं, अच्छी तरह से समझ लीजिए ये सब आप को ही भारी पढ़ने बाला हैं ?

उन्होंने यह भी बताया कि - बताओ इन की आतंकबाद ख़त्म करने बाली बात पर अब कौन भरोसा करेगा? जहाँ ये चौधरी विश्व शांति दूत बनने की फिराक में युद्ध रत देशों के बीच युद्ध विराम करने वाले एक महान शांतिप्रिय नेता के रूप में स्वयं को स्थापित करना चाह रहे हैं। वहीं अपनी व्यवसायिक मानसिकता के कारण वे आतंकबाद से युद्धग्रस्त देशों को शस्त्रों की आपूर्ति करने में भी पीछे नहीं हैं। ट्रम्प शांति का नोबल पुरस्कार लेने की फिराक में तो जरूर हैं परन्तु उनके फैसले व गैर जिम्मेदार बयानों से यही नजर आ रहा है की उन्होंने पूरे विश्व को अशांत व विचलित करने का ठेका ले रखा है। खासकर चूंकि वे स्वयं एक व्यवसायी पृष्ठभूमि से सम्बन्ध रखते हैं इसलिये उनके अनेक फैसलों व बयानों में व्यवसायिकता का भाव साफ देखने को मिलता है। इत्तेफाक से यही डोनाल्ड ट्रम्प झूठ बोलने व भ्रामक दावे करने का भी विश्व कीर्तिमान बना चुके हैं। अमेरिकी प्रतिष्ठित समाचार पत्र वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक ट्रम्प ने अबतक 30,573 झूठे या भ्रामक दावे किए। यानी उन्होंने औसतन प्रतिदिन लगभग 21 झूठे दावे किए। 

आखिर में उन्होंने कहा - आज़, चौधरी ट्रांप, अपने रोज़ रोज़ के बेतुके ब्यानों और बेतुके फेसलों से पूरी दुनियां में अमेरिका की फ़जीहत करा रहें हैं। पूरी दुनियां को पता चल गया है, कि सिरफिरे चौधरी अपनी व्यवसायिक मानसिकता के कारण ना दोस्ती के लायक हैं ना भरोसे के। भले ही ट्रांप टेरीफ वॉर से दुनियां पर कितना भी दवाब बना लें। चाहे कुछ भी करलें, रूस-यूक्रेन हो या इसराइल-ईरान, या आतंकी पाकिस्तान की आर्थिक मदद हो, नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा और विश्व शांति के लिए यही सबसे ज़रूरी भी है! क्युकी पूरी दुनिया में रह रहे सभी भारतीय विश्व में शांति और खुशहाली चाहते हैं, इसलिए सबसे पहले आतंकी पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ़ अपना रुख साफ़ करिए फ़िर शांति पुरुस्कार की बात करिए अभी आपका आतंकवाद के खिलाफ रुख साफ नहीं है।