मोहन सरकार ने बताया बड़ी सफलता,एमपी में OBC आरक्षण मसले पर SC में 23 सितंबर से रोज सुनवाई, MP सरकार के तर्कों से सहमत हुई सुप्रीम कोर्ट

मध्य प्रदेश सरकार के तर्कों पर सहमति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 23 सितंबर से फाइनल डिसीजन तक मामले की प्रतिदिन सुनवाई के लिए राजी हो गया. कोर्ट के इस फैसले पर मुख्यमंत्री मोहन यादव (Dr. Mohan Yadav) ने कहा कि हमारी सरकार OBC आरक्षण को लेकर पूरी तरह संकल्पित है.

मोहन सरकार ने बताया बड़ी सफलता,एमपी में OBC आरक्षण मसले पर SC में 23 सितंबर से रोज सुनवाई, MP सरकार के तर्कों से सहमत हुई सुप्रीम कोर्ट

मध्य प्रदेश में सरकारी भर्तियों में ओबीसी आरक्षण मामले की लड़ाई अब निर्णायक मोड पर पहुंच गई है। ओबीसी मामले में रोजाना सुनवाई 23 सितंबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अति महत्वपूर्ण मानते हुए 'टॉप ऑफ द बोर्ड' की श्रेणी में रखा है।

भोपाल। मध्यप्रदेश में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण के मद्देनजर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के प्रयास फलीभूत होते दिखाई दे रहे हैं। इस आरक्षण को लेकर प्रदेश सरकार संकल्पित है। दरअसल, मध्यप्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2019-ओबीसी आरक्षण की संवैधानिक वैधता को लेकर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने तर्क दिए थे। इन तर्कों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार से सहमत हुई। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में अंतिम सुनवाई के लिए सहमत है। इस मामले को 23 सितंबर 2025 को 'टॉप ऑफ़ द बोर्ड' श्रेणी में रखा गया है। यानी, अब अंतिम निर्णय तक इस मामले की रोज सुनवाई होगी।

गौरतलब है कि, राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता,अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम. नटराज और महाधिवक्ता प्रशांत सिंह द्वारा बताया गया कि उच्च न्यायालय द्वारा ओबीसी आरक्षण पर स्थगन के कारण नई भर्तियो में आ रही दिक्कत की गम्भीरता को देखते हुए जल्द सुनवाई की जाए।

बता दें, हाल ही में विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि हमारे अपने राज्य के अंदर 27% आरक्षण के मामले पर कांग्रेस दोहरा चरित्र अपना रही है। कांग्रेस ने जानकारी के बिना, कमजोर तथ्यों के साथ अपनी बात रखी। और अब उस बात के आधार पर झूठ बोलती फिरती है। हम डंके की चोट पर कह रहे हैं 27% आरक्षण देंगे। हमारे कई विभागों के अंदर जहां स्टे नहीं था वहां हमने 27% पहले ही आरक्षण दे दिया है। लेकिन, जहां कोर्ट में मामला अटका पड़ा है, वहां भी हम अपनी तरफ से सरकार के पक्ष में 27% आरक्षण की बात लिखकर दे रहे हैं।