न 75 साल पर रिटायर होउंगा, ना किसी को होने के लिए कहूंगा : RSS प्रमुख मोहन भागवत का बयान, क्या हैं यू-टर्न के मायने
सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि मैंने कभी यह नहीं कहा है. हम स्वयंसेवक हैं. हम वही करते हैं, जो संघ हमसे करने के लिए कहता है. न 75 साल पर रिटायर होउंगा, ना किसी को होने के लिए कहूंगा.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खुद के 75 वर्ष की उम्र पूरी होने के बाद रिटायरमेंट की अटकलों को खारिज कर दिया.
RSS chief Mohan Bhagwat U-turn: करीब एक महीने के पहले की ही बात है... जुलाई माह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में एक कार्यक्रम में कहा था कि 75 साल की उम्र पूरी होने के बाद लोगों को दूसरों को भी काम करने का मौका देना चाहिए। उन्होंने कहा था- 75 साल पूरा होने पर किसी भी नेता को जब शॉल ओढ़ाई जाती है तो इसका एक मतलब है, उनकी उम्र हो चुकी है। अब आपको दूसरे लोगों को मौका देना चाहिए। उस समय भागवत के बयान को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बढ़ती उम्र से जोड़कर देखा गया था। उनके बयान के बाद माना जा रहा था कि भागवत का इशारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ है कि उन्हें 75 साल की उम्र के बाद किसी अन्य को मौका देना चाहिए।.
चल रही थी अफवाहें
दरअसल, पीएम मोगी के 75वें जन्मदिन के बाद उनके राजनीति से संन्यास लेने की अटकलें चल रही थी, जिसे RSS प्रमुख ने पूरी तरह से खारिज कर दिया. कहा जा रहा छा कि बीजेपी और संघ की परंपरा के मुताबिक 75 साल की उम्र पूरी होने पर नेता को सक्रिय राजनीति से दूरी बना लेते हैं. जिसका खंडन मोहन भागवत ने कर दिया.
घुसपैठ पर भी टिप्पणी
घुसपैठ के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि घुसपैठ को रोकना चाहिए. सरकार कुछ प्रयास कर रही है, धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है लेकिन समाज के हाथ में है कि हम अपने देश में रोज़गार अपने देश के लोगों को देंगे. अपने देश में भी मुसलमान नागरिक हैं. उन्हें भी रोज़गार की जरूरत है. मुसलमान को रोज़गार देना है तो उन्हें दीजिए. जो बाहर से आया है उन्हें क्यों दे रहे हो? उनके देश की व्यवस्था उन्हें करनी चाहिए..
संघ प्रमुख के यू-टर्न के मायने : हालांकि अब मोहन भागवत ने लगभग यू-टर्न लेते हुए कहा है कि मैंने रिटायरमेंट पर कुछ नहीं कहा। न खुद के लिए और न ही किसी और के लिए। उन्होंने कहा कि वे 75 साल में भी काम करने के लिए तैयार हैं। हम जीवन में कभी भी सेवानिवृत्त होने के लिए तैयार हैं और जब तक संघ चाहेगा तब तक काम करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि संघ में हम सभी स्वयंसेवक हैं, हमें जो करने को कहा जाता है, वह हमें करना ही पड़ता है, हम किसी भी काम को मना करने के लिए अपनी उम्र का हवाला नहीं दे सकते। भागवत के बयान की काफी चर्चा है। लोगों का कहना है कि एक महीने में ही ऐसा क्या हो गया कि संघ प्रमुख ने यू-टर्न ले लिया।
क्या दूर हो गई संघ की नाराजगी : भागवत के इस बयान के राजनीतिक गलियारों में अर्थ खोजे जा रहे हैं। जानकारों का मानना है कि भाजपा और संघ के बीच संबंधों में पिछले समय आई 'खटास' लगता है कि अब खत्म हो चुकी है। क्योंकि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान के बाद भाजपा को लेकर संघ में काफी नाराजगी देखने को मिली थी। नड्डा ने कहा था कि भाजपा को अब आरएसएस की जरूरत नहीं है। हालांकि संघ ने इसको खुलकर कभी नहीं बोला, लेकिन नाराजगी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी।
भागवत के ताजा बयान के बाद माना जा रहा है कि भाजपा और संघ में सुलह हो गई है। मोदी को लेकर संघ में जो थोड़ा नाराजगी का भाव था वह भी खत्म हो गया है। अब कोई आश्चर्य नहीं कि मोदी 2029 में भी प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदार के रूप में सामने आएं। यह भी माना जा रहा है कि भाजपा इस बात पर सहमत हो गई है कि पार्टी अध्यक्ष संघ की पसंद का होगा। ऐसे में लंबे समय से अटका अध्यक्ष पद का चुनाव भी अब जल्द हो सकता है।