वैराग्यानंद गिरी महाराज ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को लिखा पत्र, परमानंद गिरी महाराज व ज्योतिर्मयानंद गिरी की गतिविधियों की उच्च स्तरीय जांच की मांग
स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज ने अपने पत्र में लिखा है कि उज्जैन चारधाम मंदिर अखंड आश्रम को ज्योतिर्मयानंद ने गुंडागर्दी के बल पर हड़प लिया

धार्मिक संस्थाओं, संत समाज व मासूम बच्चों से जुड़े गंभीर आरोपों पर सीबीआई या एसआईटी जांच की अपील
भोपाल, 19 जुलाई।पंचायती श्रीनिरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर संत परमानंद गिरी महाराज और उनके शिष्य ज्योतिर्मयानंद गिरी द्वारा संत परंपरा, धार्मिक संस्थाओं और जनकल्याण योजनाओं के दुरुपयोग से संबंधित मामलों की सीबीआई या स्वतंत्र एसआईटी से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज ने अपने पत्र में लिखा है कि उक्त व्यक्तियों द्वारा संन्यास धर्म की मर्यादा के विपरीत पारिवारिक वंश परंपरा को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके अलावा संत समाज की आड़ में संगठित अपराधों को संरक्षण देना, कई साधुओं की रहस्यमयी मृत्यु में संदिग्ध भूमिका, बालिकाओं और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों की संदिग्ध मौतों में संलिप्तता, तांत्रिक क्रियाओं से विरोधी संतों को हटाने के प्रयास, सरकारी संस्थानों से आर्थिक लाभ लेकर वित्तीय अनियमितताएँ, गुंडागर्दी से धार्मिक ट्रस्टों और आश्रमों की संपत्तियों पर कथित कब्जा, जैसे गंभीर और शर्मनाक आरोप सामने आए हैं।
स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज ने अपने पत्र में लिखा है कि उज्जैन चारधाम मंदिर अखंड आश्रम को ज्योतिर्मयानंद ने गुंडागर्दी के बल पर हड़प लिया है। इसी प्रकार उप्र के जिला उरई में नित्यराम के आश्रम पर कब्जा, हरिद्वार में रातो रात बालानंद गिरी महाराज की हत्या, दिल्ली दिसाथ गार्डन में महामंडलेश्वर अनूभूतानंद महाराज की हत्या, चित्रकूट में जगत त्यागी प्रकाश की रहस्यमी तरीके से हत्या में ज्योतिर्मयानंद गिरी की संलिप्तता का पता चला है।
पत्र में स्वामी वैराग्यानंद गिरी ने स्पष्ट रूप से लिखा है कि यदि समय रहते ऐसे तत्वों पर कठोर कार्यवाही नहीं हुई तो संत समाज की गरिमा और आम जन की धार्मिक आस्था को गहरा आघात पहुँचेगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि इन मामलों की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही अखाड़ा परिषद और अन्य धर्माचार्य संगठनों से भी अपील की कि वे ऐसे कथित साधुओं को धार्मिक पदों से तत्काल हटाएं ताकि संन्यास परंपरा की गरिमा अक्षुण्ण बनी रहे।