सूरत में धर्म, साधना और संस्कारों का संगम: चातुर्मास 2025

सूरत में पूज्य श्री जिनपियूषसागरसूरीश्वरजी म.सा. के सान्निध्य में आयोजित बाड़मेर जैन श्री संघ सर्वमंगलमय चातुर्मास 2025 धर्म, साधना, सेवा और संस्कारों का महापर्व बन गया है। बच्चों की धर्म पाठशाला, युवाओं की तत्वज्ञान कक्षाएं, तीर्थ निर्माण कार्य, अंजनशलाका महोत्सव जैसे आयोजन इस चातुर्मास को एक जीवंत धर्मनगरी का रूप दे रहे हैं। संघ ने सभी समाजजनों से चातुर्मास में सहभागी बनने की अपील की है।

सूरत में छतीसगढ़ रत्न शिरोमणि , संयम सारथी , शासन प्रभावक खरतरगच्छाचार्य पूज्य श्री जिनपियूषसागरसूरीश्वरजी म.सा. ससंघ के सान्निध्य में आयोजित बाड़मेर जैन श्री संघ सर्वमंगलमय चातुर्मास 2025 धर्म, साधना और संस्कारों का एक महापर्व बन गया है। यह चातुर्मास न केवल धार्मिक आयोजनों की एक श्रृंखला है, बल्कि आत्म-निर्माण और संस्कारों के नव सृजन का एक सुनहरा अवसर है।

संस्कारों की पाठशाला: बच्चों में जगा धर्म का तेज

चातुर्मास के दौरान प्रति रविवारीय दोपहर में आयोजित बाल धर्म पाठशाला में सैकड़ों बालक-बालिकाएं पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ भाग ले रहे हैं। यहां वे जैन धर्म के मूल सिद्धांतों और जिनशासन की आराधना को समझ रहे हैं। पाठशाला में होने वाला सामूहिक नवकार मंत्र का जाप बच्चों के चेहरों पर एक विशेष तेज लेकर आया है, जो भविष्य के सशक्त और संस्कारी श्रावक समाज की एक झलक दिखाता है। यह नवकार मंत्र केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और मोक्ष का द्वार है, और बच्चे इस बात को गहराई से महसूस कर रहे हैं।

युवाओं की तत्वचर्चा: ज्ञान का गहरा प्रवाह

युवाओं को धर्म से जोड़ने के लिए प्रतिदिन रात 9 से 10 बजे तक युवा तत्वज्ञान कक्षा का आयोजन किया जा रहा है। इसमें 150 से अधिक युवक-युवतियां जैन दर्शन, चारित्र और श्रावकधर्म का गहन अध्ययन कर रहे हैं। यह कक्षा युवाओं को न सिर्फ आध्यात्मिक दृष्टि प्रदान कर रही है, बल्कि उन्हें जीवन को सही दिशा में ले जाने के लिए प्रेरित भी कर रही है।

तीर्थ निर्माण और तपस्या से सूरत बन रहा धर्मनगरी

चातुर्मास के साथ ही अजमेर दादावाड़ी के जीर्णोद्धार, खनन, शिलान्यास, कलश यात्रा और अलग अलग राज्यो के मंदिर की प्रतिमा अंजनशलाका महोत्सव जैसे शुभ कार्य भी सम्पन्न हुए हैं, जिससे सूरत एक जागृत धर्मनगरी के रूप में स्थापित हो रहा है।

चातुर्मास में आचार्य श्री की प्रेरणा से पूरा साधु-साध्वी वर्ग

ज्ञान -साधना -तपस्या और आराधना में लीन है।

बाड़मेर जैन श्री संघ के वरिष्ठ सदस्य श्री चम्पालाल बोथरा ने इस अवसर पर कहा, "यह चातुर्मास सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि जैन धर्म के मूल्यों और संस्कारों को बच्चों और युवाओं में स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। पूज्य आचार्य श्री जिनपियूषसागरसूरीश्वरजी म.सा. के सानिध्य में हम धर्म, संस्कार, सेवा और संयम के इस गहन संगम को जी रहे हैं। यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि हम सभी मिलकर एक स्वस्थ और संस्कारित समाज की नींव रख रहे हैं।"

संघ ने सभी समाजजनों से अपील की है कि वे इस पुण्य पर्व में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और अपने बच्चों व परिवार के साथ चातुर्मास के सभी धार्मिक आयोजनों में शामिल होकर सामूहिक आत्मकल्याण के इस स्वर्णिम अध्याय का हिस्सा बनें। आज वर्धमान शक्रस्तव अभिषेक पूजन का आयोजन किया गया जिसमे सकल संघ ने उत्साह के साथ पूजा की जो भावो की अनुमोदना के साथ देखने को बनती थी ।