राहुल गांधी के 'वोट चोरी' आरोप पर चुनाव आयोग की चुनौती – शपथपत्र दें या माफी मांगें"

राहुल गांधी की ओर से कल यह दावा किए जाने के बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक सहित कई राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने उन्हें पत्र लिखकर मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 20(3)(B) के तहत हस्ताक्षर कर के शपथ के साथ मतदाताओं के विशिष्ट नाम मांगे, ताकि कार्रवाई शुरू की जा सके

राहुल गांधी के 'वोट चोरी' आरोप पर चुनाव आयोग की चुनौती – शपथपत्र दें या माफी मांगें"

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए 

 नई दिल्ली। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को एक बार फिर से कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने गुरुवार को एक पीसी कर कथित सबूत पेश किया, जिसके तहत राहुल गांधी ने दावा किया कि चुनाव आयोग वोटर लिस्ट में लागातार धांधली कर रहा है।

दरअसल, राहुल गांधी ने कर्नाटक लोकसभा की एक विधानसभा क्षेत्र का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि यहां पर एक लाख वोट काटे गए हैं। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि वोटों में चोरी भी कई गई है। राहुल गांधी के इन आरोपों पर चुनाव आयोग ने संज्ञान लिया है।

EC ने भेजा शपथ पत्र

राहुल गांधी के आरोपों पर संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने अपनी प्रतिक्रिया दी। चुनाव आयोग ने कहा कि वे एक शपथ पत्र पर हस्‍ताक्षकर करें कि जो भी वह कह रहे हैं वह सही है और सबूत भी दें। अगर उनके आरोप और सबूत गलत पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

हालांकि, इस शपथ पत्र पर कांग्रेस सांसद या पार्टी की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। इस बीच चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को एक बार फिर से चुनौती दी है वे या तो शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करें या फिर देश से माफी मांगे।

चुनाव आयोग ने क्या कहा?

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा कि अगर राहुल गांधी घोषणापत्र पर हस्ताक्षर नहीं करते हैं, तो इसका मतलब होगा कि उन्हें अपने विश्लेषण और परिणामी निष्कर्षों और बेतुके आरोपों पर विश्वास नहीं है। ऐसी स्थिति में, उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए। इसलिए, उनके पास दो विकल्प हैं: या तो घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करें या ईसीआई के खिलाफ बेतुके आरोप लगाने के लिए देश से माफी मांगें।

जानकारी दें कि चुनाव आयोग का ये बयान राहुल गांधी द्वारा कर्नाटक के बेंगलुरु मध्य लोकसभा क्षेत्र के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए 1,00,250 फर्जी वोट डालने का दावा करने के बाद आया है।

शपथ पत्र में क्या लिखा गया?

बताया जा रहा है कि कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) ने कड़े शब्दों में जवाब देते हुए राहुल गांधी को एक हलफनामे पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा है।

चुनाव आयोग ने जो पत्र जारी किया है, उसमें कहा गया है कि यह ज्ञात है कि आज आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, आपने पैरा 3 में उल्लिखित मतदाता सूची में अपात्र मतदाताओं को शामिल करने और पात्र मतदाताओं को बाहर करने का उल्लेख किया था। आपसे अनुरोध है कि आप मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 20(3)(बी) के तहत संलग्न घोषणा/शपथ पर हस्ताक्षर करके ऐसे मतदाताओं के नाम सहित वापस भेजें ताकि आवश्यक कार्यवाही शुरू की जा सके।

राहुल के आरोप और दावों को समझिए

इससे पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को संस्थागत चोरी करार देते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को दावा किया कि चुनाव आयोग गरीबों के मताधिकार को छीनने के लिए इस चोरी को अंजाम देने के लिए भाजपा के साथ खुलेआम मिलीभगत कर रहा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि बिहार में SIR इसलिए लाया गया है, क्योंकि चुनाव आयोग जानता है कि हमने उनकी चोरी पकड़ ली है।

राहुल गांधी अपने दावों को दोहराते हुए कहा कि कर्नाटक की बंगलूरू सेंट्रल लोकसभा सीट के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में पांच तरह की हेराफेरी के जरिए 1 लाख से ज्यादा वोट चुराए गए। 2024 के लोकसभा चुनावों में महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1,00,250 वोट चुराए गए। मुझे पूरा विश्वास है कि भारत में ऐसी 100 से ज्यादा सीटें हैं। यहां जो हुआ है, वही इन सीटों पर भी हुआ है। अगर भाजपा की 10-15 सीटें कम होतीं, तो मोदी प्रधानमंत्री नहीं होते और भारत में विपक्षी गठबंधन इंडिया सरकार होती।

राहुल ने कहा कि जब वे छोटे थे, 1980 में, वे अपनी बहन प्रियंका के साथ रात में बाहर जाकर प्रचार के लिए पोस्टर चिपकाते थे। उन्होंने कहा, 'मैं चुनावों को समझता हूं और पिछले 20 साल से खुद चुनाव लड़ रहा हूं। मतदान कैसे होता है, मतदान केंद्रों का प्रबंधन कैसे होता है, मतदाता सूची, फॉर्म 17, मैं ये सब समझता हूं। कुछ समय पहले हमें लगा कि कुछ गड़बड़ है। चुनाव नतीजे माहौल के उलट होते हैं। मुझे याद है उत्तराखंड में हम चुनाव हार गए थे। मैंने उम्मीदवार से कहा कि जाकर पता करो कि हमें कितने वोट मिले, जहां एक रोड शो हुआ था। हजारों लोग रोड शो में आए थे, लेकिन किसी ने भी मतदान केंद्रों पर वोट नहीं डाला। यह नामुमकिन था, ऐसा हो ही नहीं सकता। फिर छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के नतीजे आए और हमें एहसास हुआ कि कुछ गड़बड़ है।

राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश के बारे में भी बात की, जहां पार्टी ने 2018 में जीत हासिल की थी। उन्होंने कहा कि बाद में कांग्रेस की सरकार छीन ली गई। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भाजपा शासन के खिलाफ जबरदस्त सत्ता विरोधी लहर दिखी, लेकिन 2023 में हमें केवल 65 सीटें मिलीं। यह असंभव है। फिर महाराष्ट्र आया और हमें पहली बार इसका प्रमाण मिला। लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच जादू से नए मतदाता उभरे। इन नए मतदाताओं ने जहां भी वोट दिया, उनका वोट भाजपा को गया।

उन्होंने कहा कि जब हमें संदेह हुआ तो हमने अपने गठबंधन सहयोगी नेताओं के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। हमने चुनाव आयोग से मतदाता सूची और वीडियो रिकॉर्डिंग मांगी। उन्होंने न तो हमें मतदाता सूची दी और न ही वीडियो रिकॉर्डिंग, जिससे संदेह पैदा हुआ। इससे हमारे मन में यह सवाल उठा कि क्या चुनाव आयोग भाजपा की मदद कर रहा है। क्या चुनाव आयोग चुनाव चुराने में लिप्त है? हमने एक टीम बनाई और उन्हें सच्चाई का पता लगाने को कहा।