किसानों की 200 बीघे जमीन पर मैनपुरी में भूमाफिया का कब्जा

मैनपुरी ज़िले के कांकन और दौलतपुर गांव में किसानों की पुश्तैनी ज़मीन पर भू-माफियाओं ने डाका डाल दिया। करीब 200 बीघा ज़मीन… जिसकी आज की बाज़ार कीमत करोड़ों रुपये में आँकी जा रही है, उसे फर्जी रजिस्ट्री के ज़रिए मैनपुरी चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम कर दिया गया

किसानों की 200 बीघे जमीन पर मैनपुरी में भूमाफिया का कब्जा

 ब्यूरो सुनील त्रिपाठी

मैनपुरी।उत्तर प्रदेश।उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से है। जहाँ एक ऐसा ज़मीन घोटाला सामने आया है, जिसने गरीब किसानों की ज़िंदगी दांव पर लगा दी है। जी हाँ, 200 बीघा ज़मीन को पंचायत और तहसील के भ्रष्ट कर्मचारियों की मिलीभगत से भू-माफियाओं के नाम कर दिया गया। फर्जी रजिस्ट्री, फर्जी विक्रेताओं और ट्रस्ट के नाम पर पूरी ज़मीन हड़प ली गई। अब पीड़ित किसान इंसाफ़ के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं… और दोषियों को राजनीतिक संरक्षण मिलने की भी चर्चा है।

वीओ – मैनपुरी ज़िले के कांकन और दौलतपुर गांव में किसानों की पुश्तैनी ज़मीन पर भू-माफियाओं ने डाका डाल दिया। करीब 200 बीघा ज़मीन… जिसकी आज की बाज़ार कीमत करोड़ों रुपये में आँकी जा रही है, उसे फर्जी रजिस्ट्री के ज़रिए मैनपुरी चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम कर दिया गया। इस पूरे खेल में पंचायत सचिव, लेखपाल, तहसील के बाबू और रजिस्ट्री विभाग के कर्मचारी तक शामिल बताए जा रहे हैं। यानी किसानों के अधिकार की ज़मीन, उन्हीं की आँखों के सामने कागज़ों पर छीन ली गई। आप को बतादे की इस घोटाले में मुख्य आरोपी बताए जा रहे हैं। जिस में मैनपुरी चैरिटेबल ट्रस्ट – प्रोफेसर मनोज यादव और विकास यादव। पंचायत और तहसील के कई कर्मचारी, जिन्होंने सरकारी सील और कागज़ों को मोहरा बनाया। यही नहीं, कई फर्जी विक्रेता भी बनाए गए। जिनमें शामिल हैं – जंग बहादुर S/o वीरेंद्र सिंह (बड़ेपुरा),संतोष कुमार उर्फ सीटू S/o किशोर कुमार,अमित S/o महेश (दौलतपुरा),राजीव सिंह उर्फ राजू बौस S/o बलवीर सिंह (दौलतपुरा)। इन सबके नाम पर रजिस्ट्री कराई गई… और बाद में पूरी ज़मीन सीधे मनोज यादव और विकास यादव को सौंप दी गई। धन देवी जाटव, राजा राम सिंह, मुनेंद्र सिंह, देवेंद्र सिंह, वीरेंद्र, भुवनेश, अवनीश, सत्यवान, इंद्रभान, वीरभान, गजेंद्र, विनोद सिंह, विटोलादवी, अमोल सिंह, महाराज सिंह उर्फ चतुर सिंह, राजाराम, गुलाब सिंह… और ऐसे सैकड़ों परिवार।

 इनका कहना है कि "हमारे पूर्वजों की जमीन को हमने खेती-किसानी से संभाला। लेकिन अचानक पता चला कि हमारे नाम की ज़मीन किसी और के पास चली गई। तहसील पहुँचते हैं तो फाइल में लिखा आता है कि ज़मीन बेच दी गई। लेकिन हमने कभी रजिस्ट्री ही नहीं कराई। यह सब फर्जीवाड़ा है। वही किसानों का आरोप है कि बिना नोटिस, बिना सहमति और बिना गवाह… पूरे प्लॉट्स की रजिस्ट्री कर दी गई। और अब भू-माफिया उन्हें ही खेत से बेदखल करने की कोशिश कर रहे हैं।

वीओ – किसानों की पुकार के बाद भी प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है। न तो तहसील स्तर पर कोई जाँच हुई, न ही ज़मीन हड़पने वालों पर एफआईआर दर्ज की गई। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर बिना प्रशासनिक संरक्षण के इतनी बड़ी ज़मीन रजिस्ट्री कैसे हो सकती है? क्या तहसील और रजिस्ट्री विभाग के अफसर, भू-माफियाओं के साथ सांठगांठ में हैं। और अगर नहीं… तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? किसानों ने साफ़ कहा है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई… तो वे आंदोलन करेंगे। हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगा रहे हैं कि हमारी ज़मीन वापस दिलवाई जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो सैकड़ों किसान भूमिहीन होकर सड़क पर आ जाएंगे। किसानों का आरोप है कि पंचायत के सचिव और लेखपाल ने ही फर्जी दस्तावेज तैयार कराए। तहसील के बाबुओं ने आँखें मूँद कर रजिस्ट्री पास कर दी। और अब पुलिस भी शिकायत पर कार्रवाई नहीं कर रही। मामले में बड़ा एंगल राजनीतिक संरक्षण का भी सामने आ रहा है। आरोपी ट्रस्ट से जुड़े नाम बड़े प्रभावशाली बताए जा रहे हैं। स्थानीय स्तर पर नेताओं की नज़दीकियों के चलते… प्रशासन अब तक हाथ डालने से बच रहा है। यानी गरीब किसान तो रोज़ाना तहसील और थाने के चक्कर लगा रहे हैं…लेकिन बड़े-बड़े आरोपी आराम से घूम रहे हैं।

वीओ - आप को बतादे की ,U.P. राजस्व संहिता 2006 के मुताबिक बिना मालिक की सहमति ज़मीन की रजिस्ट्री संभव नहीं। अगर फर्जी विक्रेता के नाम ज़मीन ट्रांसफर की गई है… तो यह सीधा धोखाधड़ी और जालसाज़ी का मामला है। यह भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471 और 120B के तहत गंभीर अपराध है। कानूनन दोषियों को 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सज़ा हो सकती है। लेकिन सवाल यही है कि क्या मैनपुरी प्रशासन इतनी बड़ी कार्रवाई करने की हिम्मत दिखाएगा? आप को बतादे की अगर इस मामले में तुरंत कार्रवाई नहीं हुई…तो सैकड़ों किसान भूमिहीन हो जाएंगे। उनकी रोज़ी-रोटी छिन जाएगी।और मैनपुरी जैसे इलाकों में भूमि विवाद और सामाजिक टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है।

क्लोज़िंग - तो ये था मैनपुरी का 200 बीघा ज़मीन घोटाला जहाँ गरीब किसानों की ज़मीन पर भू-माफिया और भ्रष्ट अफसरों ने कब्ज़ा कर लिया।

पीड़ित किसान अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इंसाफ की उम्मीद लगाए बैठे हैं। देखना होगा कि यूपी सरकार इस मामले में कब और कैसी कार्रवाई करती है।हम इस मुद्दे पर लगातार नज़र बनाए रखेगा…और किसानों की आवाज़ को ताक़त के साथ उठाता रहेगा। अब मुझे दीजिये इजाज़त नमस्कार