पर्युषण पर्व के तृतीय दिवस कल्पसूत्र और दादा गुरुदेव के जीवन पर प्रकाश

बाड़मेर जैन श्री संघ द्वारा आयोजित सर्वमंगलमय वर्षावास आध्यात्मिकता और ज्ञान से परिपूर्ण दिन

पर्युषण पर्व के तृतीय दिवस कल्पसूत्र और दादा गुरुदेव के जीवन पर प्रकाश

पुण्यतिथि का आयोजन और जीवन चरित्र का गुणगान

भक्ति गीतों और पूजा में श्रद्धालुओं की भागीदारी

बाड़मेर जैन श्री संघ द्वारा आयोजित सर्वमंगलमय वर्षावास के दौरान पर्वाधिराज पर्युषण पर्व का तीसरा दिन आध्यात्मिकता और ज्ञान से परिपूर्ण रहा। इस पावन अवसर पर खरतरगच्छाचार्य, संयम सारथी, शासन प्रभावक श्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वर जी म.सा. ने कल्पसूत्र की ज्ञान पूजा संघ में प्रथम बार विधिवत कराकर उसके गहन महत्व पर प्रकाश डाला।

आचार्य श्री ने बताया कि कल्पसूत्र सिर्फ एक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह 24 तीर्थंकरों से लेकर सिद्ध, साधु-साध्वी और श्रावक-श्राविकाओं के चारित्रिक जीवन, उनके कर्तव्यों और कार्यों का सार है।

मुनि श्री शाश्वत सागर जी ने कल्पसूत्र को केवल पढ़ने या सुनने का विषय मानने की बजाय जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और आत्मिक विकास की कुंजी बताया। उन्होंने तीन आवश्यक गुणों पर ज़ोर दिया जो कल्पसूत्र श्रवण के लिए अनिवार्य हैं:

 * ग्राहक शीलता: सुनने की समझ और ग्रहण करने की क्षमता।

 * ग्राहण शीलता: सुने हुए ज्ञान को हृदय में आत्मसात करना।

 * संवेदनशीलता: गुरुवाणी और जिनवाणी के प्रति भाव और संवेदनशीलता रखना।

उन्होंने कहा कि इन तीन गुणों के साथ कल्पसूत्र का श्रवण करने पर ही इसका वास्तविक लाभ मिलता है।

जीवन में बदलाव और आध्यात्मिक प्रेरणा

मुनि श्री ने आगे कहा कि कल्पसूत्र हमें आध्यात्मिक अनुशासन, आत्म-नियंत्रण और जीवन जीने की कला सिखाता है। उन्होंने नाग केतु का उदाहरण देते हुए समझाया कि पूर्व जन्म की तपस्या और संकल्प वर्तमान जीवन में भी हमें सही मार्ग दिखाते हैं। यह हमें सिखाता है कि अगर हम धर्म में दृढ़ विश्वास रखें, तो हमारे कार्य अवश्य सफल होते हैं।

दादा मणिधारी जिनचन्द्र सूरी जी को श्रद्धांजलि

इस धार्मिक आयोजन के साथ-साथ दादा मणिधारी जिनचन्द्र सूरी जी की पुण्यतिथि भी मनाई गई। आचार्य श्री ने मधुर कंठ से उनके जीवन चरित्र का गुणगान किया और सभी श्रावकों को भक्ति गीतों से जोड़ा। दोपहर में उनकी स्मृति में एक बड़ी पूजा का आयोजन किया गया।

बाड़मेर जैन श्री संघ के वरिष्ठ सदस्य श्री चंपालाल बोथरा ने बताया कि आज की धर्म आराधना में सैकड़ों भक्तों ने स्नात्र पूजा, भगवान की पूजा और आचार्य श्री के मुखारविंद से कल्पसूत्र का वाचन सुनने का लाभ लिया। उन्होंने कहा कि दादा गुरुदेव के उपकारों की महिमा सुनकर सभी को यह महसूस हुआ कि वे कितने धन्य हैं कि उन्हें ऐसे महान गुरु मिले जिन्होंने शासन को आगे बढ़ाया।

आज का दिन कल्पसूत्र के ज्ञान और दादा गुरुदेव के प्रति श्रद्धा से भरा रहा, जिसने सभी भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान की।

संकलन :-चम्पालाल बोथरा सूरत 

9426157835