“करिया चढ़े महोबा जाए” की गूंज,  जालौन में महिला आल्हा गायन महोत्सव का भव्य आगाज़

जालौन में महिला आल्हा गायन महोत्सव का भव्य शुभारंभ, वीर रस की गूंज से टाउन हॉल हुआ मंत्रमुग्ध

“करिया चढ़े महोबा जाए” की गूंज,   जालौन में महिला आल्हा गायन महोत्सव का भव्य आगाज़

महिला कलाकारों की दमदार प्रस्तुति ने बुंदेलखंडी वीर रस को दी नई ऊर्जा, लोक संस्कृति का जीवंत उत्सव बना टाउन हॉल

उरई । बुंदेलखंड की धरती वीर रस की स्वर लहरियों से गूंज उठी जब मुक्ता काशी मंच, टाउन हॉल में दो दिवसीय महिला आल्हा गायन महोत्सव का शुभारंभ हुआ। उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान, लखनऊ (संस्कृति विभाग, उ.प्र.) एवं जिला प्रशासन जालौन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस महोत्सव ने लोक संस्कृति को एक नया आयाम दिया।
कार्यक्रम का उद्घाटन सदर विधायक गौरी शंकर वर्मा, माधौगढ़ विधायक मूलचंद निरंजन, विधायक कालपी विनोद चतुर्वेदी, जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय, पुलिस अधीक्षक डॉ. दुर्गेश कुमार एवं संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया। उद्घाटन के साथ ही सभागार तालियों की गड़गड़ाहट और लोक धुनों की स्वर लहरियों से गूंज उठा।
रायबरेली की शीलू सिंह और नेहा सिंह, महोबा की प्रतीक्षा यादव तथा रायबरेली की ही अलका बाजपेयी ने जब आल्हा की अमर गाथाओं को अपने सधे हुए सुरों और दमदार प्रस्तुति के साथ प्रस्तुत किया तो पूरा टाउन हॉल मंत्रमुग्ध हो उठा। वीर रस की गूंज ने ऐसा समां बांधा मानो रणभूमि की झलक आंखों के सामने सजीव हो उठी हो।वक्ताओं ने इस अवसर पर कहा कि आल्हा गायन केवल एक कला नहीं, बल्कि बुंदेलखंड और उत्तर प्रदेश की आत्मा है। महिला कलाकारों की भागीदारी इस परंपरा को नई ऊर्जा दे रही है और आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम बन रही है। टाउन हॉल में आल्हा की स्वर लहरियों और दर्शकों के उत्साह ने यह साबित कर दिया कि लोक संस्कृति की जड़ें आज भी उतनी ही गहरी और जीवंत हैं जितनी सदियों पहले थीं।
इस मौके पर अपर जिलाधिकारी (नमामि गंगे) प्रेमचन्द मौर्य, नगर मजिस्ट्रेट राजेश कुमार वर्मा, भाजपा जिला अध्यक्षा उर्विजा दीक्षित, संजीव उपाध्याय सहित बड़ी संख्या में अधिकारी, जनप्रतिनिधि और नगरवासी मौजूद रहे।