लोकसभा में विपक्ष ने अमित शाह पर कागज के गोले फेंके, सुरक्षा में दौड़े मार्शल , 130वें संविधान संशोधन बिल पर हंगामे के बीच अमित शाह की दो टूक
लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने तीन महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जिनमें प्रावधान है कि अगर प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री या किसी मंत्री पर गंभीर आरोप लगते हैं और वे न्यायिक हिरासत में रहते हैं तो उन्हें पद छोड़ना होगा। बिल पेश करते समय विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया और कागज़ के टुकड़े फेंके। अमित शाह ने कहा कि सरकार बिल को जेपीसी को भेजने के लिए तैयार है।

लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने तीन अहम विधेयक पेश किए, जिनमें प्रावधान है कि गंभीर आपराधिक आरोप में 30 दिन जेल में रहने पर मंत्री पद से हटाया जाएगा.
नई दिल्ली। लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को तीन अहम विधेयक पेश किए। विधेयक के तहत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या फिर किसी मंत्री पर 5 साल से अधिक सजा के प्रावधान वाले केस में आरोप लगता है और अगर वह तीस दिनों तक न्यायिक हिरासत में रहते हैं तो उन्हें पद छोड़ना होगा।
इसके तहत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के गंभीर अपराध के आरोप लगने और 30 दिनों तक जेल जाने की स्थिति में उन्हें उनके पद से हटाया जा सकेगा। बिल पेश करते ही विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया और बिल की कॉपी फाड़कर अमित शाह के सामने उछाल दी। सदन में हंगामा इतना अधिक बढ़ गया कि मार्शल तुरंत शाह की तरफ गए और उनके लिए सुरक्षा घेरा बना लिया।
तीन विधेयक - संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक - संसद में पेश किए गए, विपक्ष ने हंगामा करते हुए बिल की प्रतियां फाड़ दीं। विपक्ष बिल को वापस लेने की मांग कर रहा है। बिल की कॉपी फाड़े जाने पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला काफी नाराज हुए और सांसदों से ऐसा नहीं करने के लिए कहा। लोकसभा में अमित शाह और कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल के बीच थोड़ी बहस हुई।
वेणुगोपाल ने कहा, "यह विधेयक संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। जब अमित शाह गुजरात के गृह मंत्री थे, तब उन्हें गिरफ्तार किया गया था। क्या तब उन्होंने नैतिकता का पालन किया था?" इसपर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि उन्होंने गिरफ्तारी से पहले ही गुजरात के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। शाह ने कहा, "मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए थे। मैंने मुकदमा चलने तक नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया था। अदालत द्वारा सभी आरोपों से बरी होने तक मैंने कोई भी संवैधानिक पद नहीं संभाला था।"
मार्शलों ने शाह के चारों ओर बनाया सुरक्षा घेरा
संसद में जैसे ही विरोध प्रदर्शन बढ़ा, केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू और किरेन रिजिजू सहित बीजेपी सदस्य शाह के पास आ गए और विपक्ष और सत्ताधारी दल के सांसदों के बीच थोड़ी धक्का-मुक्की हुई। तीन हाउस मार्शलों ने शाह के चारों ओर एक सुरक्षा घेरा बना लिया। सदन स्थगित होने के बाद भी, विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी जारी रखी। विपक्ष की ओर से एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के मनीष तिवारी और केसी वेणुगोपाल, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन और समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने विधेयकों को पेश किए जाने का विरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि नियमों के अनुसार सात दिन पहले विधेयक पेश करने का नोटिस सदस्यों को नहीं दिया गया और इसकी प्रतियां भी समय पर नहीं वितरित की गईं।
जेपीसी में भेजा गया विधेयक
जब प्रेमचंद्रन ने कहा कि तीनों विधेयकों को सदन में पेश करने की सरकार को इतनी हड़बड़ी क्यों है? इस पर गृह मंत्री शाह ने कहा कि प्रेमचंद्रन जल्दबाजी की बात कर रहे हैं, लेकिन इसका सवाल इसलिए नहीं उठता क्योंकि मैं इस विधेयक को संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी को सौंपने का अनुरोध करने वाला हूं। संयुक्त समिति जो लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों, पक्ष और विपक्ष के सदस्यों की बनेगी और इस पर विचार करके विधेयक को आपके सामने लाएगी। सदन की कार्यवाही पहले तीन बजे तक और फिर पांच बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले एसआईआर के मुद्दे पर सदन की बैठक दो बार स्थगित हुई।पहली बार कार्यवाही शुरू होने के एक मिनट के अंदर दोपहर 12 बजे तक और फिर 12 बजकर 15 मिनट पर कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई।