कांग्रेस को झटका, आनंद शर्मा ने दिया इस्तीफा,छोड़ा विदेश विभाग अध्यक्ष का पद, इस्तीफे के पीछे बताई चौंकाने वाली वजह
वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने पार्टी के विदेश मामलों के विभाग (DFC) की अध्यक्षता से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा कि उनका यह कदम विभाग के पुनर्गठन को सरल बनाने और युवा नेताओं को इसमें शामिल किए जाने का मार्ग प्रशस्त करने की चाह के तहत उठाया गया है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने रविवार को पार्टी के विदेश मामलों के विभाग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। आनंद शर्मा ने भेजे अपने पत्र में इस्तीफे की वजह भी बताई है।
Anand Sharma Resign: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने रविवार को पार्टी के विदेश मामलों के विभाग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। आनंद शर्मा ने करीब एक दशक तक विभाग का नेतृत्व किया। इस्तीफा को लेकर वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह कदम इसलिए उठाया है ताकि विभाग का पुनर्गठन हो सके और पार्टी में युवा नेताओं को शामिल किया जा सके। हालांकि आनंद शर्मा कांग्रेस के सदस्य बने हुए हैं।
मल्लिकार्जुन खरगे को लिखा पत्र
आनंद शर्मा ने विदेश मामलों के विभाग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने लिखा कि मुझे यह जिम्मेदारी देने के लिए पार्टी नेतृत्व के प्रति मैं आभार व्यक्त करता हूं। मैं विदेश विभाग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा सौंप रहा हूं ताकि इसका पुनर्गठन हो सके।
पत्र में लिखी यह बात
अपने पत्र में आनंद शर्मा ने कहा कि डीएफए पिछले कुछ दशकों से दुनिया भर में समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों के साथ कांग्रेस के संबंधों को बनाने और मजबूत करने में सक्रिय रूप से लगा हुआ है, जो लोकतंत्र, समानता और मानवाधिकारों के मूल्यों को साझा करते हैं।
CWC के सदस्य हैं आनंद शर्मा
बता दें कि आनंद शर्मा कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य हैं। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर चार दशक तक कांग्रेस का प्रमुख चेहरा भी रहे हैं। वहीं ऑपरेशन सिंदूर के बाद विदेश में भारत का रूख सामने रखने के लिए सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य भी थे।
इस समझौते में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने भारत-अमेरिका परमाणु समझौते की वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत-विशिष्ट छूट की वकालत की थी। इसके अलावा उन्हें भारत-अफ्रीका साझेदारी को एक संरचित तरीके से संस्थागत बनाने और पहली भारत-अफ्रीका शिखर बैठक आयोजित करने का श्रेय भी दिया जाता है।