उमा भारती ने अपनी ही सरकार को घेरा, कहा- हम लोग पाप न करें,हिमाचल एवं उत्तराखंड में हुई भीषण त्रासदी हमे बहुत बड़ी चेतावनी दे रही
उमा भारती ने लिखा, 'हिमाचल एवं उत्तराखंड में हुई भीषण त्रासदी हमे बहुत बड़ी चेतावनी दे रही है। हिमालयीन राज्यों की विकास प्रक्रिया पर हमे तुरंत थमकर प्रकृति, पर्यावरण, पर्यटन एवं आस्था का संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है।'

BJP नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने धराली आपदा को लकेर अपनी ही पार्टी और सरकार को घेरा है. उन्होंने सिलसिलेवार पोस्ट्स में पार्टी और सरकार दोनों को सलाह दी है.
भाजपा की वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व मु्ख्यमंत्री उमा भारती ने उत्तराखंड के धराली में हुई बादल फटने की घटना और इसके बाद मची तबाही पर गंभीर चिंता जताई है और केंद्र सरकार से हिमालयीन राज्यों में चल रही विकास परियोजनाओं को तुरंत रोकने की मांग की है। धराली में आई इस त्रासदी का मूल कारण उन्होंने बादल फटने की घटना को नहीं माना, बल्कि इसके लिए ऊपर पहाड़ पर बने तालाबों को कारण बताया और इसके लिए वहां चल रहे पॉवर प्रोजेक्ट्स को जिम्मेदार बताया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक के बाद एक कुल छह पोस्ट करते हुए उमा भारती ने इस हादसे पर अपनी प्रतिक्रिया दी और खास तौर पर अपनी पार्टी के नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि हम भाजपा के लोग अपने समय पर हिमालय, गंगा और हमेशा पानी से भरपूर नदियों को नष्ट करने का पाप ना करें और भविष्य में होने वाली ऐसी किसी भी आशंका को रोक दें।
त्रासदी हमें बड़ी चेतावनी दे रही'
इस विषय पर किए अपने पहली पोस्ट में भारती ने लिखा, 'हिमाचल एवं उत्तराखंड में हुई भीषण त्रासदी हमे बहुत बड़ी चेतावनी दे रही है। हिमालयीन राज्यों की विकास प्रक्रिया पर हमे तुरंत थमकर प्रकृति, पर्यावरण, पर्यटन एवं आस्था का संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है।'
त्रासदी का मूल कारण बादल फटना नहीं'
इसके बाद की अपनी पोस्ट में पूर्व सीएम ने लिखा, 'जोशीमठ की त्रासदी के तुरंत बाद आई इसरो की रिपोर्ट को इसरो ने ही तुरंत वापस ले लिया था। उस चेतावनी की हमने अनदेखी कर दिया। धराली और हर्षिल घाटी में आई त्रासदी का मूल कारण सिर्फ बादल फटना नहीं है बल्कि धराली के ऊपर के पहाड़ों पर बने हुए प्राकृतिक ताल हैं, जो कि भारी बारिश के चलते तय सीमा से ज्यादा भर गए थे और उनमें से कुछ तालों का पानी पहाड़ों से गिरते हुए, भारी मलबे को साथ लेते हुए नीचे बह गया, उसी मलबे और पानी से यह सारी तबाही और जनहानि हुई।'
पॉवर प्रोजेक्ट बना रहे खतरनाक तालाब
इसके बाद की अपनी पोस्ट में भारती ने लिखा, 'ये तो प्राकृतिक ताल हैं लेकिन अब तो कुछ पॉवर प्रोजेक्ट चोरी से और कुछ अनुमति लेकर ऐसे सैकड़ों तालाब पहाड़ों में बनाते जा रहे हैं, जिससे जोशीमठ, धराली या हर्षिल घाटी जैसी प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं एवं राष्ट्र की अमूल्य धरोहर नष्ट हो रही हैं।'
गंगा कार्य योजना को लागू करने की जरूरत बताई
अपनी चौथी पोस्ट में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने लिखा, 'जल संसाधन मंत्रालय की गंगा कार्य योजना अक्टूबर 2014 से सितम्बर 2016 तक बनी एवं इसका शुभारंभ भी हो गया, वो हिमालय एवं हिमालय की सभी नदियों पर लागू हो सकती हैं। लेकिन उसके बाद वो थम सी गई जिसमें सुप्रीम कोर्ट में गंगा मंत्रालय द्वारा दिया हुआ हलफनामा भी शामिल है।'
पांचवी पोस्ट में उमाश्री भारती ने लिखा, 'अब जरूरत है कि हम उसका (गंगा कार्य योजना) फिर से आरम्भ कर दें। क्योंकि वह ऐसी कार्ययोजना है जिससे गंगा और उसकी सहायक नदियां भी बचेंगी, हिमालय भी बचेगा, आस्था भी रहेगी, विकास भी होगा और पहाड़ों में रोजगार भी बढ़ेगा किंतु विकास के आवरण में विनाश नहीं होगा। हालांकि वह कार्ययोजना टुकड़ों में लागू होकर परिणामविहीन हो गई है।'
नदियों को नष्ट करने करने के लिए भाजपा नेताओं को चेताया
अपनी छठवीं व आखिरी पोस्ट में उन्होंने लिखा, 'हम भाजपा के लोग, अपने समय पर हिमालय, गंगा और अन्य सदा नीरा नदियों को नष्ट करने का पाप ना करे और भविष्य में ऐसी किसी संभावना को रोक दें।' अपनी इस पोस्ट को उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के हैंडल को भी टैग किया।
बता दें कि उत्तराखंड में मंगलवार को आई इस त्रासदी में सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार चार लोगों की मृत्यु हो गई है। जबकि बाढ़ में 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं क्योंकि पानी के अचानक आने से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने का मौका ही नहीं मिला। यह हादसा तब हुआ, जब बादल फटने से खीरगंगा नदी में आई भीषण बाढ़ में करीब आधा गांव तबाह हो गया था। धराली गंगोत्री धाम से करीब 20 किलोमीटर पहले पड़ता है और यात्रा का प्रमुख पड़ाव है।