देशभर में 21 नवम्बर 2025 से लागू हुए नए 4 लेबर कोड — व्यापार व उद्योग जगत के लिए बड़ा परिवर्तन : चम्पालाल बोथरा
भारत में 21 नवंबर 2025 से चार नए लेबर कोड लागू हो गए हैं, जिनसे 29 पुराने श्रम कानून समाप्त हो गए हैं। अब सभी उद्योग, फैक्ट्रियाँ, MSMEs और टेक्सटाइल-गारमेंट सेक्टर इन्हीं नए नियमों के तहत संचालित होंगे। ये चार कोड — वेज कोड, इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड, सोशल सिक्योरिटी कोड और OSH वर्किंग कंडीशंस कोड — श्रम सुधारों में बड़ा बदलाव लाते हैं।
देशभर में 21 नवम्बर 2025 से लागू नए चार लेबर कोड—टेक्सटाइल व उद्योग जगत में बड़ा बदलाव
Surat,भारत सरकार द्वारा श्रम सुधारों को आधुनिक, सरल और एकीकृत बनाने के लिए लाए गए चार नये श्रम कोड 21 नवम्बर 2025 से पूरे देश में लागू हो गये हैं। इन नए कानूनों ने देश में चल रहे 29 पुराने श्रम कानूनों को समाप्त कर दिया है और अब सभी उद्योगों, फैक्ट्रियों, MSMEs, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और टेक्सटाइल-गारमेंट सेक्टर को इन्हीं नए कोड्स के तहत संचालित किया जाएगा।
सरकार द्वारा अधिसूचित ये चार लेबर कोड —
(1) वेज कोड, (2) इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड, (3) सोशल सिक्योरिटी कोड और (4) ऑक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड — संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के श्रमिकों व नियोक्ताओं के लिए एक बड़ी संरचनात्मक बदलाव की दिशा में कदम हैं। टेक्सटाइल और गारमेंट उद्योग, जो देश के सबसे बड़े रोजगार देने वाले MSME क्षेत्रों में से एक है, पर इन कोड्स का सीधा प्रभाव पड़ेगा।
CAIT–Textile & Garment Committee ने कहा कि उद्योग जगत, मिल मालिकों, प्रोसेस हाउस, पावरलूम, रेडीमेड गारमेंट यूनिट्स, होलसेल-रिटेल ट्रेड और बुनकर समुदाय के लिए यह कोड्स समझना बेहद आवश्यक है ताकि वे भविष्य के अनुपालन और श्रम संबंधों का प्रबंधन सुचारू रूप से कर सकें।
नए वेज कोड के लागू होने के बाद देशभर में एक समान वेतन की परिभाषा, बेसिक वेतन की नई गणना, ओवरटाइम नियम और कर्मचारी लाभों पर प्रभाव दिखेगा। सोशल सिक्योरिटी कोड के लागू होने से EPF, ESI, ग्रेच्युटी, मातृत्व लाभ जैसी सभी योजनाएँ एक ही ढांचे में आ जाएँगी, जिससे कर्मचारियों को अधिक स्पष्टता और सुरक्षा मिलेगी। इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड से हायरिंग–फायरिंग, कंडक्ट, विवाद निपटान, ट्रेड यूनियन संरचना और उद्योग संबंधों में नए प्रावधान लागू हुए हैं। वहीं OSH वर्किंग कंडीशंस कोड से टेक्सटाइल, डाईंग, प्रिंटिंग, प्रोसेस हाउस, केमिकल उपयोग और मशीन-आधारित यूनिट्स में सुरक्षा, कार्यस्थल स्वास्थ्य और लाइसेंसिंग प्रक्रिया में परिवर्तन आया है।
CAIT Textile & Garment Committee ने यह भी स्पष्ट किया कि उद्योग को राहत देने के उद्देश्य से कई केंद्रीय नियम सरल किए गए हैं, लेकिन केंद्र एवं राज्यों के अधीन रूपरेखा में अंतर को देखते हुए संबंधित राज्यों द्वारा जारी की जाने वाली अधिसूचनाओं पर भी उद्योग को ध्यान देना पड़ेगा। समिति ने कहा कि MSME सेक्टर को नए बदलावों की विस्तृत जानकारी समय पर मिलना अत्यंत आवश्यक है, नहीं तो अनुपालन बोझ, दस्तावेज व्यवस्था या निरीक्षण के दौरान कठिनाइयाँ सामने आ सकती हैं।
समिति के राष्ट्रीय चेयरमैन श्री चंपलाल बोथरा ने कहा कि टेक्सटाइल और गारमेंट उद्योग बहु-स्तरीय, श्रम-प्रधान और विविध प्रक्रियाओं वाला उद्योग है, इसलिए सरकार से यह अपेक्षा है कि वह MSME यूनिट्स, हज़ारों बुनकरों, घर-आधारित कामगारों, ठेका श्रमिकों और छोटे व्यापारियों के लिए विशेष दिशानिर्देश शीघ्र जारी करे। उन्होंने मांग की कि नए कोड्स के लागू होने के बाद उद्योग और श्रमिक दोनों को लाभ मिले, इसके लिए स्पष्टीकरण (clarifications), FAQs, राज्य नियम, विशेष वेब पोर्टल और हेल्पडेस्क तुरंत उपलब्ध कराए जाएँ।
CAIT Textile & Garment Committee ने देशभर के व्यापारियों, मिल मालिकों, गारमेंट निर्माताओं और यूनिट ऑपरेटर्स से अपील की है कि वे नए कानूनों का अध्ययन करें, अपने रिकॉर्ड और वेतन संरचना की समीक्षा कराएँ और आवश्यकता पड़ने पर विशेषज्ञ सलाह लें, ताकि व्यापार बिना किसी रुकावट के चलता रहे और श्रमिकों का हित सुरक्षित बना रहे।
प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस