पर्युषण पर्व: आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उत्थान का महाकुंभ
महावीर जन्म वाचन का भव्य आयोजन

पर्युषण पर्व : तपस्या, आत्मचिंतन और आत्मिक उन्नति का संदेश
बाड़मेर जैन श्री संघ के सर्वमंगलमय वर्षावास में पर्वाधिराज पर्युषण के चौथे दिन, खरतरगच्छाचार्य, संयम सारथी, और शासन प्रभावक श्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वर जी म.सा. ने कल्पसूत्र के गूढ़ अर्थ को समझाते हुए कहा कि कल्पसूत्र का श्रवण तभी सार्थक होता है, जब व्यक्ति मिथ्यात्व से दूर रहने का संकल्प लेता है।
मुनि श्री शास्वत सागर जी ने भगवान महावीर के 27 पूर्वभवों की प्रेरक यात्रा का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भगवान महावीर ने नयसार नामक ग्रामचिन्तक के रूप में मुनियों की निःस्वार्थ सेवा कर सत्कर्म का बीज बोया, जो उनके तीर्थंकर बनने की आधारशिला बना। इस आध्यात्मिक यात्रा में उन्होंने देव, मनुष्य, ब्राह्मण, चक्रवर्ती, नरक और तिर्यंच जैसी विभिन्न योनियों का अनुभव किया।
यह यात्रा हमें सिखाती है कि सत्कर्म, संयम और निरंतर साधना से आत्मा किसी भी स्थिति से उठकर मोक्ष प्राप्त कर सकती है। यह आध्यात्मिक पुरुषार्थ का अद्वितीय उदाहरण है कि किस तरह एक जीव अपने निरंतर प्रयासों से वर्धमान महावीर के रूप में जन्म लेकर लोककल्याण के लिए निर्वाण तक पहुँचता है।
आचार्य श्री जिन पीयूषसागर सुरीश्वर जी ने महोपाध्याय श्रीमद देवचंद जी महाराज की 270 वीं पुण्यतिथि पर उनके अमूल्य योगदान का गुणगान किया। उन्होंने कहा कि देवचंद जी महाराज ने साहित्य के क्षेत्र में ऐसी अनुपम रचनाएं दी हैं जो जैन शासन के लिए अनमोल हैं।
मुनि श्री संवेग रत्न सागर जी ने श्रीमद देवचंद जी को खरतर गच्छ का एक ज्वाजल्यमान नक्षत्र बताया। 17वीं सदी के ये महान आध्यात्मिक पुरुष एक उत्कृष्ट विद्वान थे जिन्होंने जैन शासन और अपने गुरु को धन्य किया। उनकी रचनाएं, विशेषकर चौवीसी और स्नात्र पूजा, आज भी जनमानस में लोकप्रिय हैं। उनके भक्ति साहित्य की विशेषता यह है कि उसमें कहीं भी सांसारिक याचना नहीं, बल्कि अरिहंत प्रभु के अतुलनीय गुणों का उल्लेख कर उन जैसा बनने की भावना है। उन्होंने "ह्रींकार" में चौबीस तीर्थंकरों की स्थापना कर भक्ति साहित्य में अद्वितीय योगदान दिया है।
पर्युषण: तपस्या और आत्मचिंतन का पर्व
संघ के वरिष्ठ सदस्य चम्पालाल बोथरा ने बताया की कल्पसूत्र का वाचन और कल्पसूत्र की गहराई को समझने और उसे जीवन में उतारने की सभी श्रावकों को प्रेरणा मिली। यह पर्व आत्मिक उन्नति और आध्यात्मिक पुरुषार्थ का संदेश देता है, जहाँ हर व्यक्ति अपने भीतर के महावीर को जागृत करने का प्रयास करता है। पर्युषण पर्व में सैकड़ों श्रावकों के तपस्या चल रही है मंदिर जी में भव्य परमात्मा की आंगी रचना की गई है कल वीर भगवान महावीर का जन्म वाचन का कार्यक्रम रहेगा ।
संकलन :-
चम्पालाल बोथरा सूरत
9426157835