भागवत बोले- भारत आंख मूंदकर आगे नहीं बढ़ सकता: अमेरिकी नीतियों से बचने के लिए भारत को अपनी राह खुद बनानी होगी'
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि अगर हमें विश्वगुरु बनना है तो बड़ा बदलाव लाना होगा। उन्होंने प्रधानमंत्री संग्रहालय में डॉ. राजीव कुमार की पुस्तक एवरीथिंग ऑल एट वन्स के विमोचन समारोह में यह बात कही। भागवत ने पर्यावरणीय और सतत विकास पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसी आर्थिक व्यवस्था बनानी होगी जो दुनिया के लिए मिसाल बने।

आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत को अपनी वर्तमान स्थिति से उबरने के लिए जो जरूरी हो, वह कदम उठाने चाहिए, लेकिन इसके लिए 'सनातन' दृष्टिकोण अपनाकर अपनी विकास यात्रा का मार्ग खुद तय करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया की बंटी हुई नीतियों के कारण आज भारत जैसी स्थिति में है, लेकिन भविष्य में इससे निपटने के लिए हमें अपनी पारंपरिक जीवन दृष्टि को अपनाना होगा।
Mohan Bhagwat Statement: RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कई मुद्दों पर बात की. ट्रंप टैरिफ और इमिग्रेशन नीतियों के फैसलों पर बोलते हुए कहा कि भारत को इन मुश्किलों से निकलने के लिए जो भी जरूरी काम हो उसके करना चाहिए. साथ ही भविष्य में आने वाली समस्याओं से निजात पाने के लिए खुद ही रास्ता बनाना होगा. विकास और प्रगति के 'सनातन' दृष्टिकोण का पालन करना होगा. इसके अलावा भागवत ने क्या कुछ कहा जानते हैं.
खुद बनाना होगा रास्ता
एक किताब के विमोचन में बोलते हुए भागवत ने आगे कहा कि भारत और अन्य देश आज जिस समस्या का सामना कर रहे हैं, वह उस व्यवस्था का परिणाम है जिसका पालन दुनिया पिछले 2000 वर्षों से विकास और खुशी के खंडित दृष्टिकोण पर आधारित कर रही है. ऐसे में हम जिस स्थिति का सामना कर रहे हैं उससे मुंह नहीं मोड़ सकते हैं. इससे निकलने के लिए हमें उस हर चीज को करना होगा, जो आवश्यक हो, हम आंख मूंदकर आगे नहीं बढ़ सकते हैं. इसलिए हमें अपना रास्ता खुद बनाना होगा, हम कोई रास्ता निकाल लेंगे लेकिन हमें भविष्य में किसी न किसी मोड़ पर इन सभी चीजों का फिर से सामना करना पड़ेगा.
पालन करना चाहिए ये लक्ष्य
ऐसे में हमें अपना रास्ता खुद बनाना होगा, हम कोई रास्ता निकाल लेंगे लेकिन अनिवार्य रूप से, हमें भविष्य में किसी न किसी मोड़ पर इन सभी चीजों का फिर से सामना करना पड़ेगा. क्योंकि इस बंटे हुए दृष्टिकोण में 'मैं' और 'हम' का अंतर रहता है. भारत को जीवन के चार पुराने लक्ष्यों - 'अर्थ' (धन), 'काम' (इच्छा और सुख), 'धर्म' (नैतिकता) और 'मोक्ष' (मुक्ति) का पालन करना चाहिए. ये धर्म से जुड़े हैं और ये सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी पीछे न छूटे. धर्म हमें एक साथ चलने का भी रास्ता दिखाता है.
अमेरिकी यात्रा का किया जिक्र
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक तीन साल पहले अमेरिका के एक व्यक्ति से अपनी मुलाकात याद करते हुए भागवत ने कहा कि उन्होंने सुरक्षा, आतंकवाद रोकथाम और अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों में भारत-अमेरिका साझेदारी की बात की, लेकिन हर बार वो बोला, बशर्ते अमेरिकी हित सुरक्षित रहें. उन्होंने साथ ही साथ ये भी बताया कि हर किसी के अलग-अलग हित होते हैं और यह संघर्ष हमेशा चलता रहेगा.