लापरवाह पुलिसकर्मियों पर गिरी गाज :इंस्पेक्टर और ASI का किया डिमोशन : रेप केस में 20 लाख की ब्लैकमेलिंग

इंदौर पुलिस विभाग ने एक बड़ा एक्शन लिया है। यौन शोषण के एक मामले में पैसों के लेन-देन की बात सामने आई। इस मामले में तत्कालीन MIG पुलिस स्टेशन के इंचार्ज इंस्पेक्टर अजय वर्मा को सब-इंस्पेक्टर के पद पर डिमोट किया गया है। वहीं, जांच अधिकारी सब-इंस्पेक्टर धीरज शर्मा को कांस्टेबल बनाया गया है।

लापरवाह पुलिसकर्मियों पर गिरी  गाज :इंस्पेक्टर और ASI का किया डिमोशन : रेप केस में 20 लाख की ब्लैकमेलिंग

मध्य प्रदेश के इंदौर में भ्रष्ट पुलिस अफसरों पर पुलिस कमिश्नर का ऐक्शन लगातार जारी है। कमिश्नर ने 15 दिन में पांचवीं बार भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें सजा सुनाई है।

इंदौर पुलिस कमिश्नर द्वारा 15 दिन में पांचवीं सजा सुनाते हुए भ्रष्ट पुलिस वालों पर कार्यवाही करते हुए उन्हे सीधे विभाग से बाहर का रास्ता दिखा दिया हैं। भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिसकर्मियों को पांचवी सजा सुनाई है। चार को सेवा से बर्खास्त कर चुके हैं। आयुक्त ने एएसआई रंजना खांडे, एएसआई कलमसिंह, एएसआई रामअवतार दीक्षित और एसआई विकास की पुलिस से छुट्टी कर दी थी।

 अनाज कारोबारी को हनीट्रेप में फंसा कर लाखों रुपये वसूलने वाले टीआई(निरीक्षक) अजय वर्मा और एएसआई (सहायक उपनिरीक्षक) धीरज शर्मा को पुलिस आयुक्त ने कड़ी सजा सुनाई है। दोनों का डिमोशन कर दिया गया है। टीआई को दो वर्ष के लिए एसआई (उपनिरीक्षक) और एएसआई को पांच साल के लिए आरक्षक बनाया गया है।

 2022 के एक मामले में एमआईजी टीआई रहे अजय वर्मा को उपनिरीक्षक बनाकर दंडित किया है। 2022 में एक महिला ने रवि नाम के व्यक्ति के खिलाफ रेप के मामले में आवेदन दिया था। इस मामले में आरोपी पक्ष से 20 लाख रुपए लेकर पूरे मामले का सेटलमेंट किया गया था। इसमें जांचकर्ता सहायक उपनिरीक्षक धीरज शर्मा थे, वहीं एक अन्य आरक्षक की भूमिका भी संदिग्ध मिली थी।

इसके बाद अजय वर्मा का तबादला उज्जैन कर दिया गया। पहले एडिशनल डीसीपी स्तर पर जांच की गई, जिसमें आरक्षक को हटाया गया। इसके बाद टीआई अजय वर्मा और धीरज शर्मा के खिलाफ जांच चली। दोनों की भूमिका जांच में संदिग्ध पाई गई। इस पर वरिष्ठ अधिकारियों ने शुक्रवार को आदेश जारी कर टीआई अजय वर्मा को उपनिरीक्षक और धीरज शर्मा को आरक्षक पद पर दंडित कर दिया।

भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई

इससे पहले भी इंदौर पुलिस ने भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है. विजय नगर थाने के टीआई रवींद्र गुर्जर को ऑनलाइन सट्टा प्रकरण में दोषी पाए जाने पर डिमोट कर एसआई बनाया गया था. इसी तरह, अन्य एसआई और आरक्षकों की वेतनवृद्धि रोक दी गई थी.

पहले हनी ट्रैप में फंंसाया और फिर ब्‍लैकमेलिंग कर 30 लाख वसूले 

एमआईजी थाना मामले में बताया गया कि आरोपी रवि अग्रवाल को प्रिया चौहान नामक महिला के जरिए हनीट्रैप में फंसाया गया. इसके बाद आरक्षक गोविंद द्विवेदी ने प्रिया के भाई साहिल के साथ मिलकर लगभग 30 लाख रुपए वसूले. गोविंद द्विवेदी को पहले ही सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है. इस कार्रवाई को पुलिस ने ‘ऑपरेशन क्लीन’ के तहत पांचवीं सजा बताया है. चार अधिकारियों को पहले ही सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है. पुलिस का कहना है कि भ्रष्टाचार और ब्लैकमेलिंग जैसी घटनाओं को रोकने के लिए निरंतर निगरानी और कड़ी कार्रवाई जरूरी है.