भारत ने पूरी तरह बंद कर दी है रूसी तेल की खरीद', चीन से ट्रेड टॉक से पहले ट्रंप का बड़ा बयान
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि भारत ने रूस के ऊर्जा क्षेत्र पर लगे नए अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद रूसी तेल की खरीद पूरी तरह बंद कर दी है. ट्रंप ने कहा कि चीन भी रूसी तेल की खरीद घटा रहा है और वह शी जिनपिंग से इस मुद्दे पर दक्षिण कोरिया में चर्चा करेंगे.
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने ऐसा दावा किया है। उन्होंने पहले कहा था कि भारत धीरे-धीरे अपनी खरीद कम करेगा और साल के अंत तक यह 'लगभग शून्य' हो जाएगी। इसी कड़ी में बीते दिनों ट्रंप ने रूसी तेल की दिग्गज कंपनियां रोसनेफ्ट और लुकऑयल पर प्रतिबंध लगा दिए
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन द्वारा रूसी तेल खरीदने पर कहा कि शी जिनपिंग के साथ चीन द्वारा रूसी तेल खरीदने पर चर्चा हो सकती है. ट्रंप ने साथ ही दावा किया कि भारत पूरी तरह से कटौती कर रहा है. हालांकि, ऐसा है नहीं. भारत अभी भी रूस से तेल खरीद रहा है. बता दें कि अमेरिका, रूस पर दबाव बनाने के लिए ये हथकंडे अपना रहा है. लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि वह किसी दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है.
डोनाल्ड ट्रंप लगातार रूस पर यूक्रेन के साथ युद्ध खत्म करने का दबाव बना रहा है. इसके लिए वो भारत और चीन जैसे देशों पर दबाव बना रहे हैं कि रूस से तेल न खरीदें. इधर, वह रूस की तेल कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगा रहे हैं. ट्रंप ने मॉस्को की तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर नए अमेरिकी प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए दावा किया कि भारत ने रूस से तेल खरीदने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है और चीन ने भी कमी कर दी है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, 'चीन ने रूसी तेल की खरीद में पिछले कुछ दिनों में भारी कटौती की है और ने तो पूरी तरह से रोक लगा दी है. हमने भी रूसी तेल कंपनियों पर रोक लगा दी है.'
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब दक्षिण कोरिया में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से उनकी मुलाकात होने वाली है. अमेरिका और चीन के बीच ये बैठक व्यापार, प्रौधोगिकी और कच्चे माल पर जारी ट्रेड वॉर को लेकर हो रही है. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक के दौरान चीन और अमेरिका के बीच चला रही ट्रेड वॉर थम जाएगी.
ट्रंप ने क्यों किया ये दावा?
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान सिर्फ एक सामान्य टिप्पणी नहीं है, बल्कि यह उनकी विदेश नीति की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा लगता है. वह अगले सप्ताह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने वाले हैं, और इस मुलाकात से पहले वह यह दिखाना चाहते हैं कि उनके द्वारा लगाए गए प्रतिबंध सफल हो रहे हैं. यह दावा कर कि भारत जैसे बड़े खरीदार ने घुटने टेक दिए हैं, ट्रंप चीन पर भी वैसा ही करने के लिए मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने भारत की तेल खरीद को लेकर ऐसा दावा किया हो. इससे पहले भी वह कह चुके हैं कि भारत धीरे-धीरे अपनी खरीद कम करेगा और इस साल के अंत तक यह “लगभग शून्य” हो जाएगी. ट्रंप का यह बयान उनके इस विश्वास को दिखाता है कि अमेरिकी प्रतिबंध मॉस्को को आर्थिक रूप से कमजोर कर सकते हैं.
भारत ट्रंप के दावों को करता आया है खारिज
भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति कुछ भी दावा करें, लेकिन भारत ने उनके बयानों को लगातार और स्पष्ट रूप से खारिज करता रहा है. नई दिल्ली का रुख इस मामले में बिल्कुल साफ रहा है. भारत सरकार ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि उसकी ऊर्जा नीति किसी बाहरी दबाव से नहीं, बल्कि पूरी तरह से अपने राष्ट्रीय हितों और देश की जनता के लिए किफायती आपूर्ति की जरूरत से तय होती है.
भारत ने कभी भी अमेरिकी नेतृत्व वाले किसी ऐसे बयान पर सहमति नहीं दी है, जिसमें रूसी तेल आयात में कमी करने की बात कही गई हो. भारत का मानना है कि एक संप्रभु राष्ट्र के तौर पर उसे यह अधिकार है कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए दुनिया में किसी भी देश से तेल खरीद सके. नई दिल्ली के लिए, ऊर्जा सुरक्षा सर्वोपरि है और वह इसे किसी भी भू-राजनीतिक दबाव के आगे नहीं झुकाएगा.
ट्रंप का रूस पर कड़ा एक्शन
इस दावे के पहले, ट्रंप प्रशासन ने रूस पर वित्तीय दबाव बढ़ाने के लिए दो बड़ी रूसी तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट (Rosneft) और लुकऑयल (Lukoil), पर नए और कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. इन प्रतिबंधों का एकमात्र उद्देश्य मॉस्को के खजाने को खाली करना है, ताकि वह अपने सैन्य अभियानों के लिए ऊर्जा निर्यात से मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल न कर सके. ट्रंप का यह दावा कि भारत ने खरीद बंद कर दी है, असल में दुनिया को यह संदेश देने की एक कोशिश है कि उनके ये कड़े प्रतिबंध कितने असरदार हैं
प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस