"चुन-चुन कर मारो आतंकियों को, दया नहीं दिखलाना है" — जोशी, ऑपरेशन सिंदूर काव्य गोष्ठी संपन्न राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में आयोजित राष्ट्र गौरव पर केंद्रित आभासी काव्य गोष्ठी
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा आयोजित आभासी काव्य गोष्ठी में ऑपरेशन सिंदूर और राष्ट्र गौरव को केंद्र में रखते हुए देशभक्ति कविताएं प्रस्तुत की गईं। देशभर के शिक्षकों, कवियों व साहित्यप्रेमियों ने भारत माता और भारतीय सेना की वीरता को नमन करते हुए ओजस्वी रचनाएं सुनाईं। कार्यक्रम में डॉ. शैलेंद्र शर्मा, डॉ. रश्मि चौबे, सुंदरलाल जोशी, श्वेता मिश्रा सहित अनेक वक्ताओं और कवियों ने भाग लिया। संचालन श्वेता मिश्रा ने किया, और गोष्ठी की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई।

ऑपरेशन सिंदूर पर आधारित राष्ट्र गौरव काव्य गोष्ठी में देशभर के कवियों ने दी काव्यांजलि, सैनिकों की वीरता को किया नमन
उज्जैन,राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा राष्ट्र गौरव: ऑपरेशन सिंदूर एवं भारत माता, मातृभूमि वंदना विषय पर एक आभासी काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। इस गोष्ठी में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा— "ऑपरेशन सिंदूर के कारण भारत की प्रतिष्ठा और गौरव बढ़ा है। हमारे असली नायक हमारे सैनिक हैं। हमें राष्ट्र और सैनिकों के लिए बनाए गए फंड में सहयोग देना चाहिए।"
मुख्य संयोजक सुवर्णा जाधव ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा— "हम छोटे-छोटे कामों को बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं, जबकि सैनिक अपनी जान की बाजी लगाते हैं।"
राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता डॉ. रश्मि चौबे (गाजियाबाद) ने कहा— "पहलगाम में मानवता हारी, भारत ने दिखा दिया कि भारत मां सबसे भारी है— ऑपरेशन सिंदूर इसका प्रमाण है।"
अंतरराष्ट्रीय कवि सुंदरलाल जोशी सूरज (नागदा) ने अपनी कविता में कहा—
> "पहल गांव के पापी हैं,
यह मनुज नहीं चौपाए हैं।
धर्म पूछकर मारा इनने,
कर्म पूछकर इनको मारो।
चुन-चुन मारो आतंकी को,
दया नहीं दिखलाना है।"
हिंदी परिवार इंदौर अध्यक्ष हरे राम वाजपेई ने अपनी कविता में कहा—
"यह केवल सिंदूर नहीं, शक्ति का श्रृंगार है। इसे मिटाने वाले सुन लें, यह बन जाता अंगार है।"
वरिष्ठ कवयित्री प्रतिभा सिंह ने कहा— "करुण क्रंदन सुन मां बाहों में लपेट लेती है।"
राष्ट्रीय संयोजक पदम चंद्र गांधी ने कविता में कहा—
"माटी मेरी चंदन है,
मातृभूमि को वंदन मेरा।"
विशिष्ट अतिथि मुक्तता कान्हा कौशिक (छत्तीसगढ़) ने कहा— "भारतीय सेना ने 7 मई की रात ऑपरेशन सिंदूर चलाया था।"
पुणे से श्वेता मिश्रा (राष्ट्रीय सचिव) ने कविता में कहा—
"मैं सैनिक की संगिनी, सारे कर्तव्य निभाती हूं।"
वरिष्ठ कवयित्री शशि त्यागी ने कहा—
"कहां समझ ले तू आतंकिस्तान,
केसर की क्यारी में तूने मारे बान,
मिटेगा तेरा नाम-ओ-निशान।"
महाराष्ट्र से मुमताज खान पठान ने गीत गाया—
"चलो चलो नौजवानों, आज़ादी के परवानों,
आज है दिन आया, कुछ कर दिखाएं नया।"
प्रदेश उपाध्यक्ष हंसा गुनेर ने गाया—
"म्हारो तिरंगो तीन रंग बालो रे,
बीच में चक्र विशाल, अणिरो जवाब नहीं।"
कार्यक्रम का सुंदर संचालन श्वेता मिश्रा ने किया। प्रारंभ डॉ. अरुणा सराफ की सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत भाषण डॉ. रश्मि चौबे ने प्रस्तुत किया तथा संगोष्ठी की प्रस्तावना कोषाध्यक्ष डॉ. प्रभु चौधरी ने दी। अंत में आभार श्वेता मिश्रा ने व्यक्त किया।