थार की जीवनरेखा “टांकों” को समाप्त करने का निर्णय असंवेदनशील — सरकार आदेश वापस ले : चम्पालाल बोथरा

प्रवासी राजस्थानी समाज के वरिष्ठ समाजसेवी एवं CAIT के राष्ट्रीय चेयरमैन चम्पालाल बोथरा ने राजस्थान सरकार द्वारा नरेगा के तहत “टांकों” के निर्माण पर रोक लगाने के आदेश को असंवेदनशील और थार के जीवन पर प्रहार बताया है। उन्होंने कहा कि टांके थार की संस्कृति और जलस्रोत की जीवनरेखा हैं, जिनसे जलसंकट कम हुआ और आत्मनिर्भरता बढ़ी। बोथरा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से आदेश वापस लेने, नरेगा में टांका निर्माण दोबारा शुरू करने और “थार वॉटर हार्वेस्टिंग मॉडल” को राज्यव्यापी योजना बनाने की मांग की है।

थार की जीवनरेखा “टांकों” को समाप्त करने का निर्णय असंवेदनशील — सरकार आदेश वापस ले : चम्पालाल बोथरा

चम्पालाल बोथरा ने राजस्थान सरकार से नरेगा के तहत टांका निर्माण पर लगी रोक हटाने की मांग की, कहा— “टांके थार की जीवनरेखा हैं, आदेश वापस लिया जाए”

सूरत,राजस्थान सरकार के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा 21 अक्टूबर 2025 को जारी आदेश, जिसके अंतर्गत नरेगा के माध्यम से टांकों के निर्माण कार्य को रोकने के निर्देश दिए गए हैं, उस पर गहरी आपत्ति व्यक्त करते हुए प्रवासी राजस्थानी समाज के वरिष्ठ समाजसेवी एवं राष्ट्रीय चेयरमैन , टेक्सटाइल एंड गारमेंट कमेटी (CAIT)  चम्पालाल बोथरा ने कहा कि—

“यह आदेश नहीं, बल्कि थार के लोगों की पीठ में खंजर है। यह निर्णय रेगिस्तान के जीवन और अस्तित्व दोनों पर प्रहार है।”

टांका केवल एक जलस्रोत नहीं, बल्कि जीवन की सांस है।

थार के लोगों की संस्कृति, परिश्रम और प्रकृति के साथ सामंजस्य का यह जीवंत उदाहरण है। सदियों से ये टांके पीने के पानी, पशुधन और कृषि — तीनों की जीवनरेखा रहे हैं। जिस इज़राइल मॉडल की पूरी दुनिया जल प्रबंधन के लिए सराहना करती है, उससे कहीं अधिक प्रभावशाली और स्वदेशी उदाहरण हमारे थार के पारंपरिक टांके हैं*।

नरेगा के माध्यम से पिछले वर्षों में 3.5 लाख से अधिक टांके बनाए गए हैं, जिन्होंने दूरस्थ मरुस्थलीय क्षेत्रों में जीवन का आधार तैयार किया। इन टांकों ने न केवल जलसंकट को दूर किया बल्कि पलायन रोककर आत्मनिर्भरता को भी बढ़ाया ।

बोथरा ने कहा—

 जल मंत्री  C. R. पाटिल सूरत से प्रवासी राजस्थानी समाज के सहयोग से राजस्थान के कई जिलों में लाखों रुपये के वॉटर हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट्स सफलतापूर्वक करवा रहे हैं। जब केंद्र सरकार और जल मंत्रालय इस दिशा में प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं, तब राजस्थान सरकार द्वारा टांकों को रोकना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और विरोधाभासी है।

उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार को चाहिए कि वह इस निर्णय को तत्काल रद्द करे और “थार वॉटर हार्वेस्टिंग मॉडल” को पूरे देश में प्रेरक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करे। यह मॉडल न केवल पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है, बल्कि यह मरुस्थलीय जनजीवन की संस्कृति, संघर्ष और आत्मनिर्भरता की पहचान है ।

बोथरा ने बताया कि इस संदर्भ में विस्तृत पत्र राजस्थान के मुख्यमंत्री  भजनलाल शर्मा जी को भेजा गया है और इसकी प्रति केंद्रीय जल मंत्री  C. R. Patil को ईमेल द्वारा भेजकर सकारात्मक हस्तक्षेप की अपील की गई है*।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह मुद्दा राजनीतिक नहीं, बल्कि जीवन, अस्तित्व और अस्मिता की लड़ाई है।

“सरकार को समझना होगा कि बरसाती पानी को सहेजने का इससे बेहतर मॉडल पूरी दुनिया में नहीं है ।”

मुख्यमंत्री  भजनलाल शर्मा जी के नाम पत्र का सारांश:

   • 21 अक्टूबर 2025 के आदेश को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए।

   •  नरेगा के तहत “टांकों” के निर्माण कार्य को पुनः प्रारंभ किया जाए।

     थार वॉटर हार्वेस्टिंग मॉडल को राज्यव्यापी योजना के रूप में अपनाया जाए ।

   •   प्रवासी राजस्थानी समाज के सहयोग से जल संरक्षण अभियानों को प्रोत्साहन मिले ।