मोदी-भागवत ने पहली बार राम दरबार की पूजा की : कोविदार वृक्ष से जुड़ी विरासत लाएगी त्रेता युग की स्मृतियां, पीएम मोदी दबाएंगे इलेक्ट्रॉनिक बटन

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के 673 दिनों बाद PM मोदी राम मंदिर के शिखर पर आज ध्वजारोहण करेंगे। वह राम मंदिर पहुंच गए हैं। यहां मोहन भागवत के साथ पहली बार रामदरबार में पूजा की। फिर रामलला के दर्शन किए।

मोदी-भागवत ने पहली बार राम दरबार की पूजा की : कोविदार वृक्ष से जुड़ी विरासत लाएगी त्रेता युग की स्मृतियां, पीएम मोदी दबाएंगे इलेक्ट्रॉनिक बटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य शिखर पर भगवा धर्म ध्वजारोहण करेंगे। वह अयोध्या पहुंच चुके हैं। राम मंदिर पर ध्वजारोहण के साथ ही यह संदेश दिया जाएगा कि मंदिर का निर्माण कार्य संपूर्ण हो चुका है। 

राम मंदिर ध्वजारोहण कार्यक्रम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी 25 नवंबर को अयोध्या पहुंच गए हैं. पीएम मोदी का यह अयोध्या दौरा आध्यात्मिक रूप से बेहद खास है. नरेंद्र मोदी का रोड शो अयोध्या में साकेत कॉलेज से श्रीराम जन्मभूमि तक हो रहा है. यह रोड शो लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबा है.अयोध्या के निवासी और स्वयं सहायता समूह की महिलाएं प्रधानमंत्री का स्वागत कर रही हैं. वे पारंपरिक थालियों से आरती उतारेंगी.

वाल्मीकि रामायण में मिले ध्वज के प्राचीन संदर्भ

वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड में कोविदार ध्वज का उल्लेख मिलता है। जब वनवास के दौरान चित्रकूट में भगवान राम ने लक्ष्मण से कहा कि सेना से सुसज्जित रथ और अश्व दिखाई दे रहे हैं, तब लक्ष्मण ने कहा- ‘स एष हि महाकायः कोविदार ध्वजो रथे’। इस उद्धरण से स्पष्ट है कि कोविदार वृक्ष की छवि वाला ध्वज उस समय अयोध्या की पहचान, शक्ति, व्यवस्था और मर्यादा का राजचिन्ह हुआ करता था। समय गुजरने पर यह विरासत जन-स्मृति से विस्मृत हो गई, जिसे रीवा के इतिहासकार ललित मिश्रा ने शोध के बाद पुनः खोजा।

कोविदार ध्वज क्यों है इतना विशेष

ध्वज पर कोविदार वृक्ष के प्रतीक के साथ सूर्य और ऊं का चिन्ह अंकित है। सूर्य का प्रतीक राम के सूर्यवंशी रघुकुल का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि कोविदार वृक्ष रघुवंश का तप, त्याग और मर्यादा का प्रतीक माना जाता है। मंदिर ट्रस्ट की मानें तो यह ध्वज केवल वस्त्र नहीं, बल्कि सनातन गौरव का दर्प है, जो राम भक्तों के आत्मविश्वास को बढ़ाएगा।

कैसे तैयार हुआ यह अनूठा और विराट ध्वज

इस कोविदार ध्वज को अहमदाबाद की पैराशूट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी ने तैयार किया है। यह नायलॉन और रेशमी सिल्क के मिश्रित मजबूत फैब्रिक से बनाया गया है, ताकि तेज हवाओं और मौसम की चुनौतियों का सामना कर सके। तीन किलोमीटर की दूरी से भी यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा। सेना के अधिकारियों और रक्षा विशेषज्ञों की मौजूदगी में इसकी सख्त टेस्टिंग की गई है।

मंदिर परिसर में लगाए गए कोविदार वृक्ष

प्राण प्रतिष्ठा के समय ही राम मंदिर परिसर में कोविदार वृक्ष लगाए गए थे, जो अब 8 से 10 फीट की ऊंचाई तक बढ़ चुके हैं। जनमान्यता थी कि ‘कचनार’ रघुकुल वृक्ष है, लेकिन शोधों के बाद स्पष्ट हुआ कि वास्तविक प्रतीक ‘कोविदार’ है। अब मंदिर परिसर में यह वृक्ष श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित करेगा।

पहला हाइब्रिड प्लांट माना जाता है कोविदार

हरिवंश पुराण के अनुसार महर्षि कश्यप ने पारिजात और मंदार पौधों के गुणों को मिलाकर कोविदार का विकास किया था। इसलिए इसे दुनिया का पहला ‘हाइब्रिड प्लांट’ माना जाता है। 15 से 25 मीटर ऊंचा यह वृक्ष बैंगनी फूलों और पौष्टिक फलों से युक्त होता है, जो कचनार से मिलता-जुलता है। राम मंदिर निर्माण के बाद इस वृक्ष और ध्वज को फिर से राष्ट्रीय और आध्यात्मिक महत्व मिल रहा है, जिसे नए युग की शुरुआत के संकेत के रूप में देखा जा रहा है