माकटेल से माकड्रिल तक की नौबत
 
                                राकेश अचल
आज की पीढी के लिए 'माकटेल' तो जाना पहचाना शब्द है किन्तु माकड्रिल और नौबत के बारे में शायद ही उसे पता हो. हम उस पीढी के लोग हैं जिन्होने माकड्रिल भी देखी है. हमने नौबत बजते भी देखी है और नौबत को आते जाते भी देखा है. 7मयी को माकड्रिल की नौबत पूरे 54 साल बाद आई है.
माकड्रिल का मतलब होता है छद्म अभ्यास. युद्ध के समय हवाई हमलों की पूर्व सूचना देने के लिए तेज आवाज में सायरन बजाकर जनता से सुरक्षित स्थानों में छिपने, ब्लैक आउट करने का अभ्यास कराया जाता है. पुराने जमाने में जब कल कारखाने बहुत थे तब हर शहर में कर्मचारियों को उनकी पाली शिफ्ट)की सूचना देने के लिए सायरन बजाए जाते थे. श्रमिक क्षेत्रों के अलावा मुख्य शहर के केंद्र में ऐसे सायरन बजाए जाते थे. युद्ध के सय भी इनका इस्तेमाल खतरे की सूचना देने के लिए किया जाता था.
हमने युद्ध के समय आखरी बार सायरन54साल पहले 1974में सुना था, लेकिन हमारे शहर में श्रमिकों के लिए सायरन 1992तक बजता रहा. ग्वालियर के हृदय स्थल महाराज बाडा पर वर्षों तक 10.30 बजे सायरन बजता था. इस सायरन का इस्तेमाल 30जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर 11बजे दो मिनिट का मौन धारण करने के लिए बजाया जाता था.
अब अगर 7 मई 2025 को आपके शहर में अचानक कोई तेज और डरावनी सायरन की आवाज सुनाई दे तो घबराएं नहीं, यह कोई आपात स्थिति नहीं, बल्कि एक मॉक ड्रिल यानी युद्ध जैसी स्थिति की तैयारी का अभ्यास है. इस दौरान एक ‘जंग वाला सायरन’ बजेगा, ताकि लोगों को बताया जा सके कि युद्ध या हवाई हमले जैसी स्थिति में क्या करना होता है?
जैसा कि मैने पहले ही बताया कि 1971 की जंग के बाद यह पहली बार है कि भारत सरकार ने ऐसा मॉक ड्रिल करने का आदेश दिया है.22अप्रैल को पहलगाम में 26लोगों की नृशंस हत्या के बाद एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की आहटें सुनाई दे रहीं हैं.ऐसे में आपके लिए यह जानना जरूरी है कि ये सायरन आखिर होता क्या है? कहां लगाए जाते हैं? इनकी आवाज कैसी होती है? कितनी दूरी तक सुनाई देती है? और जब ये बजता है तो लोगों को क्या करना चाहिए?
जंग वाला सायरन आमतौर पर प्रशासनिक भवनों, पुलिस मुख्यालय, फायर स्टेशन, सैन्य ठिकानों और शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों में ऊंचाई पर लगाए जाते हैं. इनका मकसद कि सायरन की आवाज ज्यादा से ज्यादा दूर तक पहुचाना है
’जंग वाला सायरन’ दरअसल एक तेज आवाज वाला वॉर्निंग सिस्टम होता है. यह युद्ध, एयर स्ट्राइक या आपदा जैसी आपात स्थिति की सूचना देता है. इसकी आवाज में एक लगातार ऊंचा-नीचा होता हुआ कंपन होता है, जिससे यह आम हॉर्न या एंबुलेंस की आवाज से बिल्कुल अलग पहचाना जा सके.
देश में 1971के बाद पैदा हुई पीढी के लिए माकड्रिल और सायरन की आवाज एक अनूठा अनुभव होगा. ऐसे अनुभव यूक्रेन, फिलिस्तीन, रुस और इजराइल के लोगों को बहुत हैंक्योंकि ये देश युद्धरत देश हैं किंतु शांतिप्रिय देशों की जनता के लिए ये अनुभव भयावह और चौंकाने वाले भी हो सकते हैं.
भारत ने 2019 में पुलवामा के बाद जम्मू-कश्मीर में हुए सबसे भीषण हमले को लेकर भारत किसी को बख्शने वाला नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह से मुलाकात की. अटकलें लगाई जा रही हैं कि नई दिल्लीअब पाकिस्तान को पहलगाम हत्याकांड का जबाब देने की तैयारी कर चुकी है इसीलिए नौबत माकड्रिल तक आई है.
अब आप नौबत के बारे में जान ही लीजिये. नौबत का एक अर्थ पारी, समय, बेला होता है तो एक अर्थ मंगल ध्वनि भी होता है. एक जमाने में राजा महाराजाओं के आवास महल, किले की ड्योढी यानि दरवाजे के बाहर सुबह सुब ढोल, नगाडे और शहनाई बजती थी, इसे भी नौबत बजाना कहा जाता था.
 प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस
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