उदयपुर फ़ाइल’ पर ग़ाज़ियाबाद में दर्शकों का जोश, सेंसर बोर्ड के 62 कट पर तीखी आलोचना — हाउसफुल शो के बाद भी सिर्फ एक स्क्रीनिंग, दर्शकों में रोष - अभिनेता प्रताप वर्मा

ग़ाज़ियाबाद के गोर मॉल स्थित वेव सिनेमा में ‘उदयपुर फ़ाइल’ के हाउसफुल शो में दर्शकों का जबरदस्त उत्साह देखने को मिला, लेकिन पूरे शहर में सिर्फ एक ही शो होने पर नाराज़गी जताई गई। सेंसर बोर्ड द्वारा लगाए गए 62 कट पर दर्शकों ने तीखी आलोचना की, इसे सच्चाई दबाने की कोशिश बताया।

उदयपुर फ़ाइल’ पर ग़ाज़ियाबाद में दर्शकों का जोश, सेंसर बोर्ड के 62 कट पर तीखी आलोचना  — हाउसफुल शो के बाद भी सिर्फ एक स्क्रीनिंग, दर्शकों में रोष - अभिनेता प्रताप वर्मा

ब्यूरो सुनील त्रिपाठी

सिर्फ एक शो होने पर दर्शकों में नाराज़गी

 सेंसर बोर्ड के 62 कट पर गुस्सा और आलोचना

रविंद्र आर्य का आरोप—सच दबाने की कोशिश

अभिनेता प्रताप वर्मा का खुलासा—महत्वपूर्ण सीन काटे गए

राजस्थान पुलिस और सरकार की निष्क्रियता पर सवाल

ग़ाज़ियाबाद के गोर मॉल स्थित वेव सिनेमा में ‘उदयपुर फ़ाइल’ को लेकर दर्शकों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। न्यूज़ 31 इंडिया के रजत शर्मा शो के दौरान वहाँ पहुँचे और दर्शकों से बातचीत की। कई लोगों ने कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इतना भारी रुझान देखने को मिलेगा, लेकिन शो हाउसफुल रहा और टिकट मिलने में भी कई लोगों को परेशानी हुई।

दर्शकों का कहना था कि पूरे ग़ाज़ियाबाद में फ़िल्म का केवल एक ही शो होना दुर्भाग्यपूर्ण है। भीड़ इतनी थी कि हॉल के बाहर भी लोग फ़िल्म के बारे में चर्चा करते नज़र आए।

सेंसर के 62 कट पर गुस्सा

सेंसर बोर्ड द्वारा फ़िल्म के 62 दृश्यों को हटाए जाने पर दर्शकों ने कड़ी नाराज़गी जताई। फ़िल्म देखने आए दर्शक और लेखक रविंद्र आर्य ने कहा—

“जैसे कांग्रेस सरकार ने आज़ादी के बाद से सच को दबाया और झूठ को बढ़ावा दिया, वैसे ही अब धार्मिक उन्माद का हवाला देकर सच्चाई को रोकने की कोशिश हो रही है। जमाते इस्लामी ने सुप्रीम कोर्ट में उदयपुर फ़ाइल के सत्य के विरोध में याचिका डाली, जो भारत में लोकतंत्र पर सवाल खड़े करती है।”

उन्होंने यह भी कहा कि यूरोप में चरमपंथ के खिलाफ खुलकर विरोध संभव है, जबकि भारत में इस्लामी कट्टरता पर आवाज़ उठाने वालों को सेंसर और प्रतिबंध का सामना करना पड़ता है।

अभिनेता प्रताप वर्मा का खुलासा

उदयपुर फ़ाइल देखने के दौरान अभिनेता प्रताप वर्मा, जो फ़िल्म में मौलाना मार्केजी उर्फ़ मौलाना मदनी का किरदार निभा रहे थे, अपनी फैमिली के साथ पहुंचे। उन्होंने रजत शर्मा को बाइट में बताया—

“1975 में मैंने ऐक्टिंग डिप्लोमा लिया था, फिर कुछ मजबूरी के कारण यह लाइन छोड़ दी। लेकिन पिछले 7 वर्षों से सक्रिय हूँ—अब तक 400 टीवी सीरियल एपिसोड, 12 फ़िल्में और 10 ऐड फ़िल्म कर चुका हूँ।

एक्टर प्रताप वर्मा ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा—

“मेरे किरदार पर हाई कोर्ट से रिलीज़ पर स्टे लग गया और मेरे कई सीन हटा दिए गए। पहले तो सेंसर ने ही 52 कट लगा दिए थे, उसके बाद मेरा एनकाउंटर वाला सीन और चार अन्य सीन भी काट दिए गए।”

राजस्थान सरकार ओर पुलिस पर सवाल

दर्शक अस्वनी ने कहा कि फ़िल्म में जहाँ यूपी पुलिस की सराहना की गई है, वहीं राजस्थान पुलिस और सरकार की निष्क्रियता को उजागर किया गया है।

“समय आ गया है कि देश और हिंदू समाज, अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज के भीतर पनप रही जेहादी सोच को पहचानें। कांग्रेस जैसी पार्टियाँ हमेशा ऐसे तत्वों को बढ़ावा देती रही हैं। सच दिखाने वाली फ़िल्मों को सेंसर काट देता है और मुस्लिम पक्ष को तरजीह देता है।”

बॉक्स ऑफिस और दर्शकों के आरोप

विवादों के बीच रिलीज़ हुई ‘उदयपुर फ़ाइल’ को भारत और विदेशों में बड़े पैमाने पर 4,500 से अधिक स्क्रीन पर उतारा गया, जिनमें भारत के साथ अमेरिका, ब्रिटेन और यूएई भी शामिल हैं।

डिस्ट्रीब्यूटर ओर प्रमोशन सेंसर बोर्ड के कारण भारत में धीमी शुरुआत देखने को मिली—पहले दिन करीब ₹13 लाख और दूसरे दिन मात्र ₹1 लाख की कमाई हुई।

कुछ दर्शकों का आरोप है कि डिस्ट्रीब्यूटर की “इस्लामिक चाल” और बॉलीवुड में “मुल्ला-मियाओं के गिरोह” का दबदबा इस फ़िल्म की रिलीज़ और प्रमोशन में बाधा बन रहा है। उनका कहना है—

“जब तक उत्तर प्रदेश, नोएडा में बॉलीवुड जैसी टीवी इंडस्ट्री नहीं बनेगी, तब तक सच को लोकतांत्रिक और मानवता के नाम पर दबाया जाता रहेगा।”