आयकर विधेयक 2025 लोकसभा में पारित - 63 साल पुराने कानून को बदलने के लिए लाया गया बिल महज तीन मिनट में पारित, जानें क्या बदलेगा
63 साल पुराने आयकर कानून को बदलने के लिए लाया गया नया आयकर विधेयक (संख्या 2) 2025 सोमवार को लोकसभा में बिना किसी बहस के केवल तीन मिनट में पारित हो गया। यह बिल एक व्यक्तियों और कंपनियों के लिए आयकर कानून में बदलाव से जुड़ा प्रमुख विधायी कदम है। आइए नए आयकर विधेयक की खासियत के बारे में विस्तार से जानें।

घर या फ्लैट के मालिकों के लिए बड़ी खबर! संसद में पेश किए गए नए इनकम टैक्स बिल 2025 में हाउस प्रॉपर्टी से होने वाली इनकम पर टैक्स से जुड़े दो अहम बदलावों को लेकर अब पूरी तस्वीर साफ हो गई है.
Income Tax Bill 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में संशोधन को लेकर इंडिया गठबंधन के सांसदों के प्रदर्शन के बीच, छह दशक पुराने आयकर संबंधी कानून की जगह लाए गए नए इनकम टैक्स बिल को सोमवार को लोकसभा में पास कर दिया गया. पुराने इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की जगह इसे निर्मला सीतारमण ने पेश किया.
सरकार ने फरवरी में पेश किए गए इनकम टैक्स बिल को पिछले हफ्ते औपचारिक तौर पर वापस ले लिया था, क्योंकि उसमें कुछ और बदलाव की जरूरत महसूस की गई थी. इस नए इनकम टैक्स बिल में बैजयंत पांडा की अगुवाई वाली प्रवर समिति के ज्यादातर सुझाव शामिल किए गए हैं.
63 साल पुराने आयकर कानून को बदलने के लिए लाया गया नया आयकर विधेयक (संख्या 2) 2025 सोमवार को लोकसभा में बिना किसी बहस के केवल तीन मिनट में पारित हो गया। यह बिल एक व्यक्तियों और कंपनियों के लिए आयकर कानून में बदलाव से जुड़ा प्रमुख विधायी कदम है।
क्या कुछ बदल जाएगा?
नए बिल में ऐसे कई बदलाव किए गए हैं, जिनसे इनकम टैक्स एक्ट को आसान बनाया जा सके. संसद में केन्द्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि इस बिल को लाने का असल मकसद भ्रम से बचना और अपडेटेड बिल पेश करना था. इस नए बिल में 536 सेक्शन, 23 चैप्टर और 16 शेड्यूल हैं, जिन्हें टेबल-फॉर्मूल के जरिए आसानी से समझने योग्य बनाया गया है.
नए बिल में सीबीडीटी (केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) को और अधिक अधिकार दिए गए हैं, ताकि टैक्स सिस्टम को ज्यादा पारदर्शी और डिजिटल बनाया जा सके. साथ ही, टीडीएस और डेप्रिसिएशन के नियमों को आसान किया गया है.
टैक्सपेयर्स के लिए यह बिल जुर्माने कम करने का प्रावधान करता है. टैक्स संबंधी विवाद कम हों, इसके लिए "पहले भरोसा, फिर जांच" की नीति अपनाई गई है. इसके अलावा, इनकम टैक्स रिटर्न देर से फाइल करने पर रिफंड से जुड़े नियमों में भी बदलाव किया गया है. पहले, वाजिब कारणों के बावजूद देर से रिटर्न दाखिल करने पर टैक्सपेयर्स को रिफंड नहीं मिलता था, लेकिन अब यह प्रतिबंध हटा दिया गया है.
सीबीडीटी को और अधिकार
टैक्सपेयर्स को बिना किसी टैक्स देनदारी के "Nil TDS" सर्टिफिकेट लेने की सुविधा का प्रावधान किया गया है, जिससे नकदी प्रवाह में सुधार हो सकता है. टैक्स प्रक्रिया को तेज और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए सीबीडीटी को नियम बनाने के पहले की तुलना में और अधिक अधिकार दिए गए हैं. इसके अलावा, बिल में फेसलेस असेसमेंट और ऑटोमैटिक केस अलोकेशन को बढ़ावा देने का भी प्रयास किया गया है.
इसके अलावा, नए इनकम टैक्स बिल में खाली पड़ी संपत्ति पर माना गया किराया और वास्तविक किराए की तुलना को और पूरी तरह से स्पष्ट करने को कहा गया. मकान की आय पर 30% स्टैंडर्ड डिडक्शन अब नगरपालिका टैक्स को घटाने के बाद लागू होगी.