अब जाग जाओ... Trump टैरिफ पर पूर्व RBI गवर्नर ने सरकार को दी चेतावनी और अहम सलाह
US टैरिफ को अमेरिका-भारत संबंधों के लिए एक झटका बताते हुए, राजन ने चिंता व्यक्त की कि इस कदम से विशेष रूप से झींगा किसानों और कपड़ा निर्माताओं जैसे छोटे निर्यातकों को नुकसान होगा। इससे उनकी आजीविका खतरे में पड़ जाएगी।

ट्रंप टैरिफ के बीच RBI के पूर्व गवर्नर की चेतावनी: "अब भी नहीं जागे तो होगा बड़ा नुकसान"
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर और प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. रघुराम राजन ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ को बेहद चिंताजनक बताया. साथ ही उन्होंने इसे भारत के लिए किसी एक व्यापारिक साझेदार पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए स्पष्ट चेतावनी करार दिया.
बुधवार से लागू हुए अमेरिका के 50 फीसदी टैरिफ की पृष्ठभूमि में बोलते हुए डॉ. राजन ने चेतावनी दी कि आज की वैश्विक व्यवस्था में व्यापार, निवेश और वित्त को तेज़ी से हथियार बनाया जा रहा है और भारत को सावधानी से कदम उठाने चाहिए.
रघुराम राजन ने दी ये चेतावनी
रघुराम राजन ने कहा कि भारत के लिए किसी एक व्यापारिक साझेदार पर अधिक निर्भर रहना ही आपदा के समान है और ये एक बड़ी चेतावनी है।
राजन ने चेतावनी दी कि आज की वैश्विक व्यवस्था में व्यापार, निवेश और वित्त को तेजी से हथियार बनाया जा रहा है और भारत को सावधानी से कदम उठाने चाहिए।
रूसी तेल खरीद की नीति की करें समीक्षा
हालांकि, उन्होंने कहा कि अमेरिका से भी व्यापार जारी रखना चाहिए। उन्होंने रूस से तेल आयात करने की अपनी नीति का फिर से मूल्यांकन करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा, "हमें यह पूछना होगा कि इससे किसे फायदा हो रहा है और किसे नुकसान। रिफाइनर अत्यधिक लाभ कमा रहे हैं, जबकि निर्यातक टैरिफ के जरिए इसकी कीमत चुका रहे हैं।" उन्होंने आगे कहा, “अगर फायदा ज़्यादा नहीं है, तो शायद यह विचार करने लायक होगा कि क्या हमें ये खरीद जारी रखनी चाहिए।”
इस संकट को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री ने आगे तर्क दिया कि भारत को इस संकट को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए। राजन ने कहा, “चीन, जापान, अमेरिका या किसी और के साथ भी काम ज़रूर करें। लेकिन उन पर निर्भर न रहें। सुनिश्चित करें कि आपके पास विकल्प मौजूद हों, जिसमें जहाँ तक संभव हो, आत्मनिर्भरता भी शामिल है।”
निर्यात बाजारों में विविधता लानी होगी
चीन से भारत की तुलना करते हुए, राजन ने कहा कि मुद्दा निष्पक्षता का नहीं, बल्कि भू-राजनीति का है। उन्होंने कहा, "हमें किसी पर बहुत ज़्यादा निर्भर नहीं रहना चाहिए। व्यापार को हथियार बना दिया गया है। निवेश को हथियार बना दिया गया है। वित्त को हथियार बना दिया गया है। हमें अपने आपूर्ति स्रोतों और निर्यात बाजारों में विविधता लानी होगी।"