बाबाओं का स्वर्ग क्यों है हिंदुस्तान?
भारत एक धार्मिक और आध्यात्मिक देश रहा है जहाँ सदियों से साधु-संतों, गुरुओं और बाबाओं का सम्मान होता आया है।
 
                                राकेश अचल
दुनियां में यदि बाबाओं के लिए कोई स्वर्ग है तो वो है हिंदुस्तान. हिंदुस्तान में किसी भी उम्र, जाति या मजहब का बाबा रातों-रात करोडपति हो सकता है.यूपी एसटीएफ के इनपुट पर एटीएस के शिकंजे में आया जलालुद्दीन उर्फ झांगुर बाबा इसका एक और नया नमूना है. कहते हैं कि अब झांगुर बाबा की जांच ईडी भी करेगी। उसकी संस्थाओं के बैंक खातों में 100 करोड़ से ज्यादा का लेन-देन मिला है। कई देशों से उसके पास पैसे भेजने के सबूत मिले हैं।
ईडी मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत इस प्रकरण की जांच कर सकती है। एटीएस ने खुलासा किया था कि झांगुर बाबा ने फर्जी दस्तावेजों से 40 से अधिक संस्थाएं बना रखी थी। विदेशों से आने वाली रकम इन संस्थाओं के नाम से खोले गए खातों में ही भेजी गई थी। इन खातों से ही पता चला था कि झांगुर बाबा के इन खातों में 100 करोड़ से अधिक की रकम का लेन-देन हो चुका है।
इसके अलावा कुछ समय में ही झांगुर बाबा ने करोड़ों रुपये से कोठी, लग्जरी गाड़ियां खरीदी थी। एटीएस के एक अधिकारी के मुताबिक इस गिरोह के अन्य सदस्यों का खातों का भी ब्योरा निकलवाया जा रहा है। इस सम्बन्ध में भी एटीएस अपनी एक रिपोर्ट तैयार कर ईडी को देगी। एटीएस ने अब तक मिले साक्ष्यों का ब्योरा भी ईडी को भेजने की तैयारी कर ली है।
मजे की बात ये है कि यूपी में गत 7 साल से परम हिंदूवादी योगी आदित्य नाथ की सरकार है लेकिन झांगुर बाबा की भनक योगी सरकार को तब मिली जब एसटीएफ ने मेहनत की.बलरामपुर में धर्मांतरण कराने से चर्चा में आए मुख्य आरोपी झांगुर बाबा गिरोह का अपना अलग नेटवर्क था। उसके अलावा गिरोह के 14 सदस्य अहम भूमिका में रहते थे। इनका नेटवर्क कुछ समय बाद बलरामपुर से निकल कर यूपी के कई जिलों में फैल गया था। एटीएस और एसटीएफ इन 14 फरार सदस्यों को पकड़ने में लग गई है। एसटीएफ की तीन टीमें अलग से लगाई गई है।
एटीएस सूत्रों के मुताबिक झांगुर बाबा के गिरोह में अधिकतर सदस्य औरैया, सिद्धार्थनगर और आजमगढ़ के लोग हैं। ये लोग अक्सर मधपुर गांव में रहते थे। इस वजह से एटीएस की टीमें गांव में डेरा डाले हुए है। यह टीम ग्रामीणों से झांगुर बाबा के बारे में जानकारियां जुटाने में लगी है। ग्रामीण भी अब खुलकर इन्हें झांगुर की करतूतें बता रही है।
लोग जिस नसरीन, उसके पति व बेटी को मुस्लिम समझते थे, वह पहले सिन्धी थे। झांगुर ने उन्हें ब्रेनवॉश कर इस्लाम धर्म कुबूल करा दिया था। नीतू ही नसरीन बनी थी। उसके पति का नाम असली नाम नवीन मोहरा है। झांगुर द्वारा छपवाई गई किताब सदर-ए-तैयबा से आस पास के जिलों में इस्लाम का प्रचार प्रसार किया जाता था। इस किताब को छपवाने के लिए भी विदेशों से फंडिंग की गई थी।
बाबा चाहे झांगुर हो या झींगुर इससे कोई फर्क नहीं पडता. बाबाओं का काम भोले -भाले लोगों का ब्रेनवाश कर अपना उल्लू सीधा करना होता है. आज भी देश की जेलों में राम रहीम, आसाराम जैसे तमाम झांगुर, झींगुर भरे पडे हैं. जो जेल में नहीं गये हैं वे राजनीतिक दलों के लिए मजहबी काम कर रहे हैं. किसी एक का नाम लूं तो अभी तमाम प्रिय पाठकों को लाल-काली, हरी मिर्च परेशान कर सकती है.
हिंदुस्तान में बाबा किसी भी मजहब का हो, वो रातोंरात पुजने लगता है. देखते ही देखते अनाम गांव-खेडे धाम बन जाते है. इन नव विकसित धामों में छुटभैया नेताओं से लेकर पंत प्रधान तक हाजरी लगाते हैं. पिछले एक दशक से हिंदुस्तान में हिंदूवादी सरकार है इसलिए हिंदू बाबा पनप रहे हैं, दूसरे मजहबों के बाबाओं की दूकानें कम चल रहीं हैं लेकिन बंद नहीं हुई. यदि बंद हो जातीं तो ये झांगुर बाबा कैसे अपना धंधा कर पाता. धर्म को जितने भी बाबाओं ने धंधा बनाया है वे ऐश कर रहे हैं. सबसे कम उम्र के एक बाबा विदेशों में भगोडे नीरव मोदियों से ज्यादा मजे कर रहे हैं.
यूपी में यदि धर्मान्तरण का धंधा धडल्ले से चल रहा था तो मुख्यमंत्री योगी आदिनाथ को नैतिकता के आधार पर अब तक इस्तीफा दे देना चाहिए था. धर्मान्तरण का धंधा सब करते हैं फर्क सिर्फ इतना है कि कोई धर्मांतरण सरकार को राष्ट्र और धर्म की सेवा लगता है तो कोई राष्ट्रद्रोह और धर्मविरोधी लगता है. सवाल ये है कि धर्मान्तरण का धंधा हिंदुस्तान में ही क्यों फल-फूल रहा है? जबाब है कि इस देश में 80 करोड से ज्यादा ऐसे लोग हैं जो दो क्या एक जून की रोटी के लिए मोहताज़ हैं. सरकार यदि इन्हे न पाले तो ये रोटी के लिए अपना तन, मन, मजहब, मुल्क सब बेच दें.
कहने का आशय ये है कि धर्मान्तरण हमारी सरकारों की विफलता है. देश में न भूख से बिलबिलाते लोग हों और न कोई रोटी, रोजगार, दवा, शिक्षा के लिए अपना मजहब बदले. झांगुर बाबा भले ही झींगुर की मौत मरे लेकिन इससे ईंगुर (सिंदूर)का धंधा करने वालों का दोष समाप्त नहीं हो जाता. मैने आधी सदी में धर्मान्तरण की जितनी खबरें हिंदुस्तान में पढीं हैं उतनी दुनिया के किसी देश में नहीं. मै बार -बार सोचता हूं कि जस देश में हिंदू धर्म की ध्वजा फहराने के लिए चार शंकराचार्य, 14 अखाडा परिषदें, मठ, मंदिर और अब तो कोरीडोर साथ ही हिन्दू वादी सरकारें हों उस मुल्क में ये झांगुर, झींगुर, मक्खी, मच्छर, राम-रहीम, आसाराम आखिर अपना साम्राज्य खडा कैसे कर लेते हैं ?
 प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस
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