मां का अंतिम संस्कार छोड़कर ड्यूटी पर डटी बीएलओ नीलू गौड़ , समर्पण देख रो पड़े लोग

इंदौर में बीएलओ नीलू गौड़ ने मां के कैंसर से निधन के बावजूद निर्वाचन ड्यूटी से पीछे नहीं हटीं. पार्थिव शरीर घर आने तक उन्होंने घर-घर जाकर SIR फॉर्म इकट्ठा किए. नीलू ने फर्ज और समर्पण की अनोखी मिसाल पेश की है.

मां का अंतिम संस्कार छोड़कर ड्यूटी पर डटी बीएलओ नीलू गौड़ , समर्पण देख रो पड़े लोग

Indore News: सॉफ्टबॉल खिलाड़ी और विक्रम अवॉर्ड विजेता नीलू गौड़ ने साबित कर दिया कि ड्यूटी और समर्पण सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि अपनी सीमाओं से आगे बढ़कर निभाया जाने वाला वादा है. मां कैंसर से लड़ रही थीं, घर पर हालात बेहद मुश्किल थे, लेकिन नीलू ने तब भी अपना कर्तव्य निभाया. उनका यह समर्पण उस समय और भी बड़ा हो गया जब उनकी मां का निधन हुआ. उनका जज्बा देख अफसर भी भावुक हो गए.

वे कमर्शियल टैक्स ऑफिस इंदौर में असिस्टेंट ग्रेड-III के पद पर कार्यरत हैं. निर्वाचन कार्यों के दौरान उन्हें विधानसभा क्षेत्र इंदौर-5 पर बूथ लेवल अधिकारी (BLO) का दायित्व सौंपा गया है. नीलू गौड़ ने न सिर्फ शानदार खिलाड़ी हैं, बल्कि उन्होंने यह भी सिद्ध कर दिया कि वे एक ईमानदार, और समर्पित बूथ लेवल अधिकारी भी हैं.

दरअसल, जब उन्हें BLO का कार्यभार बनाया गया, तब उनकी मां कैंसर की लास्ट स्टेज से जूझ रही थीं और इंदौर के एक अस्पताल में भर्ती थीं. परिवार पर संकट के बादल मंडरा रहे थे, लेकिन नीलू गौड़ ने कर्तव्य से समझौता नहीं किया. दिनभर अपने काम और फिर अस्पताल में मां की देखभाल करती रहीं. सुबह से लेकर रात 9-10 बजे तक लगातार घर-घर जाकर SIR फॉर्म पहुंचाना, भरवाना, कलेक्ट करना और डिजिटाइजेशन कराना आदि कामों में जुटी रहीं.

22 नवम्बर को आया सबसे दुखद पल

डॉक्टरों ने उन्हें पहले ही बता दिया था कि उनकी मां लास्ट स्टेज पर हैं और किसी भी पल स्थिति गंभीर हो सकती है, लेकिन नीलू गौड़ ने इसको भी अपनी जिम्मेदारी की राह में बाधा नहीं बनने दिया. 22 नंबवर को मां की मौत के बाद उन्होंने सुबह 6 बजे रोते हुए अधिकारियों को फोन किया और मां की मौत के बारे में बताया. उन्होंने कहा- सर, अभी मां के पार्थिव शरीर को अस्पताल से लाने में समय लगेगा, तब तक मैं मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के काम में लगी रहती हूं और फॉर्म कलेक्ट करके घरों से ले आती हूं.

भावुक हुए अफसर

उनकी बात सुनकर प्रशासनिक और निर्वाचन विभाग के अधिकारी भावुक हो उठे. आज तक वे 540 से अधिक मतदाताओं के घरों तक फॉर्म पहुंचा चुकी हैं और लगभग 125 से अधिक फॉर्म कलेक्ट कर डिजिटाइज भी कर चुकी हैं. यह उपलब्धि किसी भी बूथ लेवल अधिकारी के लिए प्रेरणादायक है.