MP में बड़ी प्रशासनिक भूल, ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजया राजे का सीएम की सूची में नाम
मध्यप्रदेश में एक बड़ी प्रशासनिक गड़बड़ी सामने आई है। प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की आधिकारिक सूची में विजयाराजे सिंधिया का नाम भी शामिल कर लिया गया है जबकि वे कभी सीएम नहीं रहीं।
मप्र के मुख्यमंत्रियों को लेकर मप्र विधानसभा की वेबसाइट पर गलत जानकारी अपलोड की गई है। 1 नवम्बर 1956 के बाद से 16वीं विधानसभा तक राज्य में डॉ. मोहन यादव 19 वें मुख्यमंत्री हैं, जबकि मप्र विधानसभा की वेबसाइट उन्हें प्रदेश का 20वां मुख्यमंत्री बता रही है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि वेबसाइट पर स्व. श्रीमती विजयाराजे को भी मप्र का 5वां मुख्यमंत्री दर्शाया गया है, जबकि वे मप्र की मुख्यमंत्री नहीं रही हैं।
मध्यप्रदेश में एक ऐसी प्रशासनिक गलती सामने आई है जिसने इतिहास को ही थोड़ा रीराइट कर दिया। प्रदेश की विधानसभा की ऑफिशियल वेबसाइट पर राजमाता विजयाराजे सिंधिया को मध्यप्रदेश का पांचवां मुख्यमंत्री घोषित कर दिया गया है – जबकि हकीकत में वे कभी मुख्यमंत्री रहीं ही नहीं। विधानसभा की वेबसाइट के ‘मुख्यमंत्री’ सेक्शन में जब वर्तमान और भूतपूर्व मुख्यमंत्रियों की सूची खोली जाती है, तो पांचवें नंबर पर विजयराजे सिंधिया का नाम सजा दिखता है। इतना ही नहीं, उनके कार्यकाल की तारीखें भी बाकायदा लिखी हैं – 30 जुलाई 1967 से 25 मार्च 1969 तक! अब ये इतिहास का नया अध्याय है या वेबसाइट एडमिन का टाइपिंग ओवरकॉन्फिडेंस – ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा। वेबसाइट पर नीचे एक छोटा- सा तारांकित स्पष्टीकरण भी दिया गया है – ‘साधारणत: मुख्यमंत्री ही सदन का नेता होता है, लेकिन चौथी विधानसभा में गोविंद नारायण सिंह के कार्यकाल में विजयाराजे सिंधिया सदन की नेता थीं।’ मतलब, सदन की नेता थीं, लेकिन वेबसाइट वालों ने उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया वो भी डेट सहित! राजमाता विजयाराजे सिंधिया निस्संदेह भारतीय राजनीति की एक सशक्त शख्सियत रहीं, लेकिन उन्होंने कभी मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं संभाली। वे कई बार सांसद रहीं कांग्रेस से लेकर जनसंघ और बाद में बीजेपी की पहचान बनीं। अब सवाल उठ रहा है कि इतनी बड़ी गलती विधानसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर कैसे हो गई? इतिहास की गलती हो या वेबसाइट एडिट की जल्दबाजी इतना जरूर है कि इस गड़बड़ी ने मध्यप्रदेश की डिजिटल व्यवस्था की कार्यशैली पर एक और प्रश्न चिन्ह दर्ज करा दिया है। कहीं ऐसा न हो कि अगली बार वेबसाइट पर ‘भविष्य के मुख्यमंत्री’ की सूची भी अपलोड कर दी जाए।
वेबसाइट पर एक साल 8 महीने का दिखाया कार्यकाल
वेबसाइट पर दर्शाई गई पूर्व एवं वर्तमान मुख्यमंत्रियों/सदन के नेताओं की सूची में स्व. श्रीमती विजयाराजे सिंधिया का मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल एक साल 8 महीने दर्शाया गया है। वेबसाइट के अनुसार 30 जुलाई 1967 को चतुर्थ विधानसभा के दौरान वे मप्र की मुख्यमंत्री बनीं और 25 मार्च 1969 तक वे इस पद पर रहीं। खास बात यह है कि चतुर्थ विधानसभा के दौरान 30 जुलाई 1967 से ही गोविंद नारायण सिंह को भी मुख्यमंत्री बताया गया, लेकिन उनका कार्यकाल 12 मार्च 1969 तक दर्शाया गया है।
भूतपूर्व मुख्यमंत्री के रूप में बताया परिचय
(भूतपूर्व मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश)
श्रीमती विजयाराजे सिंधिया
चतुर्थ विधान सभा (1967-1972)
(दिनांक 30.07.1967 से 25.03.1969 तक)
वेबसाइट पर भूतपूर्व मुख्यमंत्री के रूप में स्व. विजयाराजे सिंधिया का सूची में नाम ही नहीं दिया गया है बल्कि अन्य पूर्व एवं वर्तमान मुख्यमंत्री की तरह उनका भी संक्षिप्त जीवन परिचय अपलोड है। इसमें उनके जन्म की तिथि 12 अक्टूबर 1919 से लेकर उनके निधन 25 जनवरी 2001 के बीच उनकी शिक्षा, विवाह, शिक्षा-दीक्षा को भी बताया गया है।
अधिकारियों ने मानी गलती
विधानसभा की वेबसाइट पर कोई जानकारी गलत अपलोड है अथवा आद्यतन नहीं हुई है तो उसे तुरंत ही सुधारा जाएगा। आपने बताया तो मैंने भी सूची चेक की है। मुख्यमंत्री ओब्लिक सदन के नेता दिया गया है। सदन का नेता ही मुख्यमंत्री होता है, फिर ऐसा क्यों और किसके द्वारा कराया गया। सोमवार को मैं दिखवाता हूं, गलत जानकारी होगी तो इसे ठीक कराएंगे।
प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस