मध्यप्रदेश के अजाक्स भवन का लोकार्पण अमर शहीद वीर मनीराम अहिरवार सम्मान संघर्ष समिति ने दी सभी को बधाईयां

अमर शहीद वीर मनीराम अहिरवार सम्मान संघर्ष समिति ने सभी अधिकारियों, कर्मचारियों और समाजसेवियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं।

मध्यप्रदेश के अजाक्स भवन का लोकार्पण अमर शहीद वीर मनीराम अहिरवार सम्मान संघर्ष समिति ने दी सभी को बधाईयां

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मूलचन्द मेधोनिया पत्रकार भोपाल

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1..भोपाल में अजाक्स भवन का लोकार्पण

 

2. मुख्य अतिथि और अध्यक्षता

 

3. समाज के आत्मगौरव का प्रतीक कार्यक्रम

 

4. वीर मनीराम अहिरवार के बलिदान का स्मरण

 

5. शहीद सम्मान संघर्ष समिति की शुभकामनाएं

भोपाल। मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी एंव कर्मचारी संघ (अजाक्स) द्वारा निर्मित नवीन अजाक्स भवन के लोकार्पण समारोह लिंक रोड क्रमांक 2, सेकण्ड स्टाप डा. अम्बेडकर जयंती मैदान के पास भोपाल में में हुआ। जिसमें नागर सिंह चौहान मंत्री मध्यप्रदेश शासन, अनुसूचित जाति कल्याण विभाग अतिथि के रूप में रहें। जबकि अध्यक्षता जे. एन. कांसोटिया प्रदेश अध्यक्ष अजाक्स तथा अपर सचिव मध्यप्रदेश शासन, गृह विभाग ने की। 

मध्यप्रदेश के अनुसूचित जाति- जनजाति समाज के आत्मगौरव व प्रदेश भर के अधिकारी कर्मचारी सहित समाजसेवियों की गरिमामयी उपस्थिति में भवन का लोकार्पण हुआ। 

नवीन अजाक्स भवन बनने पर अमर शहीद वीर मनीराम अहिरवार सम्मान संघर्ष समिति मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष, वरिष्ठ पत्रकार मूलचन्द मेधोनिया (शहीद सुपौत्र) सहित समिति के वरिष्ठ जनों की गरिमामयी उपस्थिति रहीं। इस भवन के लोकार्पण अवसर पर प्रदेश भर के अधिकारियों , कर्मचारियों को शहीद सम्मान संघर्ष समिति के द्वारा हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए अपेक्षा की है कि यहां पर से सामाजिक कल्याण के कार्य निरंतर जारी रहेंगे और समाज के महापुरुषों, अमर शहीद, स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान दिलाने की दिशा में काम किया जायेगा। वरिष्ठ पत्रकार मूलचन्द मेधोनिया ने समस्त प्रदेश भर के अधिकारी एंव कर्मचारियों से अपेक्षा की है हमारे देश और समाज के लिए जान गवाने वाले मध्यप्रदेश के जिला नरसिंहपुर, तहसील गाडरवारा के समीप चीचली नगर है। जहां पर शहीद मनीराम अहिरवार की जन्मभूमि है। उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी और बेगारी प्रथा का विरोध करने हेतु व गोंड आदिवासी राजा के महल और धरोहर बचाने के लिए सन 1942 में अंग्रेजों से युद्ध उन्हें परास्त कर खदेड़ दिया था। जिनकी कुर्बानी की बदौलत ही हमारे बुजुर्ग गुलामी से मुक्त होकर उन्होंने बच्चों को पढ़ाया, लिखाया तब जाकर अनुसूचित जाति जनजाति के लोग अधिकारी कर्मचारी बन सकें। 

यदि वीर मनीराम अहिरवार अंग्रेजों की शर्त मान लेते तो समाज के बुजुर्ग आज भी गुलाम होते। अंग्रेजों ने अनुसूचित जाति जनजाति को लाने के लिए मनीराम अहिरवार को सरदार तक बनाने का लालच दिया था। लेकिन उन्होंने समाज का स्वाभिमान के खातिर अंग्रेजों के हर जुल्म सहते हुए। अंग्रेजों की गुप्त जेल खाने में प्रताड़ना सहते हुए समाज हितों के लिए शहीद हो गयें। 

अमर शहीद मनीराम अहिरवार सम्मान संघर्ष समिति मध्यप्रदेश की टीम द्वारा अजाक्स संघ से अपेक्षा की है कि वह शहीद मनीराम अहिरवार के सम्मान हेतु आवाज उठाने में सहभागिता देते हुए नये भवन में एक प्रकोष्ठ/ विभाग बना कर कक्ष निर्धारित करेंगे जहां से सामाजिक महापुरुषों की विचारधारा और उनके जीवन में उन्होंने समाज व देश के लिए क्या योगदान दिया है। वह जानकारी आने वाली पीढ़ी को प्राप्त हो।