हनी ट्रैप केस में कमलनाथ को हाईकोर्ट से राहत, सीबीआई जांच की मांग खारिज
हनीट्रैप मामले में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को बड़ी राहत मिली है. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय पूर्व सीएम के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग को लेकर लगाई गई जनहित याचिका को खारिज कर दिया

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को हाई कोर्ट की इंदौर बेंच से बड़ी राहत मिली है। हनी ट्रैप मामले की सीडी को लेकर उनके खिलाफ दायर जनहित याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि किसी राजनेता के राजनीतिक बयान को गंभीरता से नहीं लिया जा सकता। याचिकाकर्ता ने समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के आधार पर याचिका दायर की थी।
MP Honey Trap Case: मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने कुख्यात ‘हनी ट्रैप' कांड की कथित सीडी को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मंत्री गोविंद सिंह के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज कर दी है. याचिका में कांग्रेस के दोनों नेताओं के कथित बयान के आधार पर दावा किया गया था कि ‘हनी ट्रैप' कांड की कथित सीडी उनके पास है. याचिका में गुहार की गई थी कि इस मामले की निष्पक्ष तहकीकात के लिए दोनों नेताओं को निर्देशित किया जाना चाहिए कि वे पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) को सीडी सौंप दें. याचिका इंदौर के वकील भूपेंद्र सिंह कुशवाह ने वर्ष 2023 में दायर की थी. न्यायमूर्ति विवेक रुसिया और न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी ने मामले के तथ्यों पर गौर करते हुए बृहस्पतिवार (10 जुलाई) को याचिका खारिज कर दी.
कोर्ट ने क्या कहा?
खंडपीठ ने कहा कि ‘हनी ट्रैप' कांड के मामले में निचली अदालत में आरोप-पत्र बहुत पहले ही दाखिल हो चुका है और मुकदमा विचाराधीन है.
खंडपीठ ने रेखांकित किया कि यह कानून का स्थापित सिद्धांत है कि कोई अदालत बिना किसी ठोस सबूत के अखबार में प्रकाशित समाचारों पर संज्ञान नहीं ले सकती.
पुलिस ने इस मामले में अदालत में 16 दिसंबर 2019 को पेश आरोप पत्र में कहा था कि यह संगठित गिरोह मानव तस्करी के जरिये भोपाल लाई गई युवतियों के इस्तेमाल से धनवान व्यक्तियों और ऊंचे ओहदों पर बैठे लोगों को अपने जाल में फांसता था. आरोप पत्र में कहा था कि फिर गिरोह अंतरंग पलों के खुफिया कैमरे से बनाये गये वीडियो, सोशल मीडिया चैट के स्क्रीनशॉट आदि आपत्तिजनक सामग्री के आधार पर ऐसे लोगों को ब्लैकमेल करके उनसे धन ऐंठता था. सूबे की सियासत में तूफान लाने वाले इस मामले की विस्तृत जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था.