दीपावली के त्यौहार के अवसर पर उच्च शिक्षितों का रोजगार छीन रही है मोहन सरकार*

दीपावली से ठीक पहले मध्य प्रदेश के 68 प्रधानमंत्री कॉलेजों से सैकड़ों उच्च शिक्षित अतिथि विद्वानों का रोजगार छिन गया है। सरकार ने उनकी जगह 535 प्रोफेसरों के ट्रांसफर कर दिए हैं, जिससे ये शिक्षित विद्वान बेरोजगार हो गए हैं। संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों का कहना है कि यह “यूज एंड थ्रो” नीति जैसी स्थिति है।

दीपावली के त्यौहार के अवसर पर उच्च शिक्षितों का रोजगार छीन रही है मोहन सरकार*

अजय राज केवट माही

प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस भोपाल मध्य प्रदेश 

' फॉलेन आउट के दंश से सैकड़ों अतिथि विद्वानों की दीवाली रहेंगी फीकी '

दीपावली से पहले 68 प्रधानमंत्री कॉलेजों से सैकड़ों अतिथि विद्वानों की सेवाएं समाप्त, सरकार के फैसले से शिक्षित परिवारों में छाई मायूसी

अतिथि विद्वानों के बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ेगा असर '
पिछले 25 सालों से तो प्रदेश हजारों अतिथि विद्वानों के भविष्य के साथ सरकार छल करती आ रही है। लेकिन अब दीपावली के त्यौहार से पहले ही प्रदेश के 68 प्रधानमंत्री कॉलेजों के उच्च शिक्षित अतिथि विद्वानों का रोजगार छीन लिया गया है। उनकी जगह 535 प्रोफेसरों का ट्रांसफर कर देने से वे अब सड़क पर आ गए हैं। इसमें ऐसे सहायक प्रोफेसर भी है जिनके विरूद्ध शिकायतें थीं और सिगंल पद होने के बावजूद रसूखदारों, प्राचार्य, अतिरिक्त संचालक आदि की मिली भगत से पिछले 10 माह से रिडिप्लायमेंट कैंसिल नहीं होने दिया और अब ट्रांसफर लिस्ट में नाम भी शामिल करवा लिया। यहां तक कि पूर्व कॉलेज से अपना कार्यमुक्ति पत्र भी व्हाट्सएप पर मंगवा लिया।
ऐसी स्थिति में फॉलेन आउट अतिथि विद्वानों पर और उनके परिवार पर संकट मंडरा गया है। अब उनके बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी और आर्थिक परेशानी के कारण दीपावली का त्यौहार भी फीका रहेगा।
सरकार के खोखले नियमों से इन उच्च शिक्षितों की जिंदगी बर्बाद हो गई है। जब चाहे उच्च शिक्षा विभाग इनको ट्रांसफर और नवीन नियुक्ति से फॉलेन आउट का दंश दे देता है। यह व्यवस्था पिछले 25 सालों से चल रही है। इनके लिए पिछली शिवराज सरकार में पंचायत करवाई गई थी। जिसमें इन्हें फॉलेन आउट जैसे शब्द से मुक्ति देने और 50 हजार फिक्स वेतन देने की घोषणा तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में हुई थी।
मध्य प्रदेश अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुरजीत सिंह भदौरिया ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए बताया कि अतिथि विद्वानों को सरकार ने यूज एंड थ्रो बना रखा है। हमारी सालों की मेहनत का मजाक बना दिया गया है। अतिथि विद्वान पंचायत में सार्वजनिक मंच से बड़ी - बड़ी डिगें मारी गई थी। वे सब मोहन सरकार में खोखली साबित हो गई है।
संघर्ष मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता शंकरलाल खरवाडिया ने भी इस बारें कहा है कि दीपावली के अवसर पर भविष्य संवारने की बजाय मोहन सरकार उल्टा हमारा रोजगार छीन रही है। प्रधानमंत्री कॉलेजों के सैकड़ों अतिथि विद्वानों का एक झटके में रोजगार छीन लेना सरकार की करनी और कथनी में अंतर बताता है।