साधु-संतों की तुलना कुत्तों से करने पर फूटा संत समाज का गुस्सा, निरंजनी अखाड़े से निष्कासन की उठी मांग
महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरि महाराज ने स्पष्ट किया कि इस मामले पर 13 अखाड़ों के अध्यक्ष जो निर्णय लेंगे, वह सर्वमान्य होगा। लेकिन जब समूचे संत समाज का अपमान हुआ है, तो योगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि महाराज को पूरे देश के संतों से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए।

संत समाज से सार्वजनिक माफी मांगे योगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि महाराज : वैराग्यानंद गिरि महाराज
भोपाल। कनखल स्थित वात्सल्य गंगा आश्रम के उद्घाटन समारोह के दौरान निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर योगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि महाराज द्वारा साधु-संतों की तुलना कुत्तों से किए जाने पर देशभर के संत समाज में भारी बवाल मचा हुआ है। संतों ने इस टिप्पणी को सनातन धर्म, संत परंपरा और भगवा की गरिमा के विरुद्ध बताते हुए योगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि महाराज को निरंजनी अखाड़े से निष्कासित करने की मांग की है।
इस विवाद पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पंचायती श्रीनिरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरि महाराज ने कहा, योगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि महाराज की उम्र बहुत अधिक हो गई है। अब उन्हें केवल भगवान का भजन करते हुए मौन रहने की आवश्यकता है, न कि अपशब्दों का प्रयोग करने की। उन्होंने कहा कि जब उम्र बढ़ती है, तब जीभ लड़खड़ा जाती है और व्यक्ति क्या कह देता है, इसका अनुमान भी नहीं रहता। फिर भी यह वक्तव्य अत्यंत निंदनीय और संत समाज के अपमान को दर्शाता है।
महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरि महाराज ने स्पष्ट किया कि इस मामले पर 13 अखाड़ों के अध्यक्ष जो निर्णय लेंगे, वह सर्वमान्य होगा। लेकिन जब समूचे संत समाज का अपमान हुआ है, तो योगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि महाराज को पूरे देश के संतों से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बयान से न केवल संतों की गरिमा को ठेस पहुंची है, बल्कि आदि गुरु शंकराचार्य की परंपरा, भक्ति परंपरा, और राष्ट्र चेतना को भी आघात लगा है। वैराग्यानंद गिरी महाराज ने यह भी सवाल उठाया कि जब योगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि महाराज संतों पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे थे, उस समय वहां उपस्थित दीदी मां ऋतंभरा हँस रही थीं। स्वामी वैराग्यानंद गिरी महराज ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह एक गंभीर बयान था, उस पर हँसी नहीं, विरोध होना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि “जब समर्थ कोई होता है तो उसके अनुचित बयानों पर भी चुप्पी साध ली जाती है, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए। ऐसे बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी अपमान हैं, क्योंकि उन्हीं की वजह से राम मंदिर ट्रस्ट में योगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि महाराज को प्रमुख भूमिका मिली थी।
साध्वी ऋतंभरा की चुप्पी पर सवाल :
स्वामी वैराग्यानंद गिरि महाराज ने यह कहते हुए साध्वी ऋतंभरा की चुप्पी पर भी सवाल उठाए कि, जब देश और धर्म का अपमान हो रहा हो, तब चुप रहना समझ से परे है। अगर उनके सामने कोई ऐसा बयान हो रहा है, तो उनका कर्तव्य है कि उसका विरोध करें। उन्होंने दो टूक कहा, मैं केवल सच कहने वाला संन्यासी हूं और राष्ट्र व सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए समय-समय पर मुखर होता रहा हूं। मेरी यही सलाह है कि अब योगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि महाराज को प्रवचन बंद कर, आश्रम में भजन-पूजन करते हुए मौन रहना चाहिए, क्योंकि उनकी उम्र बहुत ज्यादा हो गई है।