अर्चना तिवारी के लापता होने का चौंकाने वाला सच सामने आया,शादी से बचने के लिए रची अपहरण की साजिश - रेल SP राहुल लोढ़ा का खुलासा

कटनी निवासी अर्चना तिवारी को जीआरपी भोपाल ले आई है। शुरुआती तफ्तीश के अनुसार, अर्चना इंदौर के एक लड़के के साथ काठमांडू घूमने गई थी। पुलिस ने युवक को भी हिरासत में लिया है।

अर्चना तिवारी के लापता होने का चौंकाने वाला सच सामने आया,शादी से बचने के लिए रची अपहरण की साजिश - रेल SP राहुल लोढ़ा का खुलासा

अर्चना तिवारी अपने ही अपहरण की मास्टमाइंड निकली. इसका खुलासारेल SP राहुल कुमार लोढ़ा ने किया है.

अर्चना तिवारी लापता मामला में आज पुलिस ने बड़ा खुलासा किया। GRP की प्रेस कॉन्फ्रेंस में रेल एसपी राहुल कुमार लोढ़ा ने बताया कि अर्चना तिवारी के लिए लगातार शादी के रिश्ते आ रहे थे, लेकिन अर्चना तिवारी शादी नहीं करना चाहती थी. शुजालपुर के रहने वाले सारांश से अर्चना की इंदौर में दोस्ती हुई थी. एक ही ट्रेन में उस दिन दोनों यात्रा कर रहे थे.

रेल एसपी राहुल कुमार लोढ़ा ने बताया कि सारांश ने कुछ लीगल एडवाइज ली थी. इस बीच अर्चना के घर वालों ने पटवारी के साथ रिश्ता तय कर दिया था और घर वालों ने अर्चना पर पढ़ाई छोड़कर शादी का दबाव बनाया. अर्चना ने सारांश से हरदा में ढाबे पर बैठक बात की और भागने की प्लानिंग बनाई, लेकिन बाद में भागने की प्लानिंग कैंसल कर दी और गुमशुदगी की साजिश रची. अर्चना को लगा था कि GRP मिसिंग पर इतना ध्यान नहीं देगी.

पुलिस जांच में सामने आया कि अर्चना के परिवार वाले उनकी शादी के लिए रिश्ते ला रहे थे, जिसमें एक पटवारी लड़के से उनका रिश्ता तय किया गया था, लेकिन अर्चना इससे खुश नहीं थी. उसे पढ़ाई छोड़कर शादी के लिए तैयार होने को कहा गया.

इस दौरान इंदौर में पढ़ाई के वक्त उनकी मुलाकात सारांश नाम के लड़के से हुई. अर्चना ने सारांश और तेजिंदर नाम के ड्राइवर के साथ मिलकर 6 अगस्त को हरदा में गायब होने की योजना बनाई

प्लान के मुताबिक, अर्चना ने ट्रेन से गायब होने का नाटक किया, क्योंकि वह वकील होने के नाते जानती थी कि GRP में मामला दर्ज होने पर गहन जांच की संभावना कम होगी. तेजिंदर ट्रेन में इटारसी तक अर्चना के साथ गया और उसे अर्चना के कपड़े और मोबाइल दिए गए, ताकि वह मिडघाट के जंगल में इन्हें फेंककर पुलिस को गुमराह कर सके.

उधर, सारांश अपनी कार से इटारसी पहुंचा और अर्चना को वहां से ले गया. दोनों ने ऐसा रास्ता चुना, जहां टोल टैक्स या CCTV से बच सकें. वे शुजालपुर से बुरहानपुर, फिर हैदराबाद, जोधपुर, दिल्ली और अंत में नेपाल पहुंचे.

नेपाल में सारांश ने अर्चना को छोड़ दिया और वह शुजालपुर लौट आया. अर्चना ने अपनी कानूनी जानकारी का इस्तेमाल कर सावधानीपूर्वक योजना बनाई थी. उसने 10 दिन पहले ही मोबाइल का उपयोग बंद कर दिया था और नया फोन या सिम मध्य प्रदेश से नहीं लिया. यही नहीं, यात्रा के दौरान वह कार की सीट पर लेटी रही, ताकि CCTV में न दिखे. 

लापता होने में इंदौर के करीबी दोस्त की भूमिका

जीआरपी सूत्रों के अनुसार, अर्चना के लापता होने में उसके एक करीबी दोस्त ने पूरी मदद की। उक्त युवक इंदौर में रहता है और अर्चना उससे शादी करना चाहती थी। अर्चना के परिजन इस बात से वाकिफ थे, इसलिए वे उसकी शादी जल्द से जल्द अपनी बिरादरी में करना चाहते थे। करियर बनाने की बात कहकर अर्चना अब तक शादी टालती आ रही थी, लेकिन जब परिजन उसे और समय देने के लिए तैयार नहीं हुए, तो उसने लापता होने की योजना बनाई

दूसरे मोबाइल से संपर्क में थी अर्चना

सूत्रों के मुताबिक, अर्चना के पास एक स्मार्टफोन था, जो उसके परिजनों ने उपलब्ध कराया था। इस नंबर की जानकारी परिजनों और रिश्तेदारों के पास थी। इसके अलावा अर्चना के पास एक कीपैड मोबाइल भी था, जिसके जरिए वह अपने इंदौर निवासी करीबी दोस्त से संपर्क में रहती थी। लापता होने के बाद भी अर्चना इसी कीपैड मोबाइल से उससे संपर्क में थी। इस मोबाइल के बारे में अर्चना के परिजनों को जानकारी नहीं थी।

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि, कटनी निवासी अर्चना तिवारी इंदौर के सत्कार छात्रावास में रहकर सिविल जज की तैयारी कर रही थी। रक्षाबंधन पर वो अपने घर जाने के लिए इंदौर से नर्मदा एक्सप्रेस के एसी कोच की बी-3 सीट पर बैठकर यात्रा कर रही थी। भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के पास तक वो अपनी सीट पर नजर आई, लेकिन इसके बाद से उसका कही कोई पता नहीं चला। उसका फोन भी बंद हो गया। सहयात्रियों ने पुलिस पूछताछ में बताया कि, युवती वॉशरूम जाने की कहकर सीट से उठी थी। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि वह रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर उतर गई थी, लेकिन वापस ट्रेन में सवार नहीं हुई।

8 अगस्त की सुबह उमरिया में रहने वाले अर्चना के मामा उमरिया स्टेशन पहुंचे और उन्होंने ट्रेन के भीतर जाकर देखा तो उन्हें संबंधित सीट पर अर्चना का पर्स मिला, जिसमें बच्चों के लिए खिलौने, कुछ सामान और राखी रखी थी। एक बैग में उसके कपड़े भी सुरक्षित रखे मिले, लेकिन अर्चना अपनी सीट पर नहीं थी। यात्रियों ने मामा को बताया कि, रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के बाद से ही अर्चना अपनी सीट पर नहीं आई थी।