युगनायक धर्मशिरोमणि संयम सारथी की सान्निध्यता में ज्ञान पंचमी महोत्सव सम्पन्न

सूरत स्थित श्री जिनकुशलसूरी दादावाड़ी में युगनायक धर्मशिरोमणि संयम सारथी आचार्य श्री जिन पीयूषसागरसूरीश्वरजी म.सा. एवं प.पू.सा. श्री प्रमोदिता श्रीजी म.सा. की सान्निध्यता में ज्ञान पंचमी एवं लाभ पंचमी महोत्सव श्रद्धा और उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ।

युगनायक धर्मशिरोमणि संयम सारथी की सान्निध्यता में ज्ञान पंचमी एवं लाभ पंचमी महोत्सव सूरत में सम्पन्न

सूरत, युगनायक धर्मशिरोमणि संयम सारथी, अजमेर दादावाड़ी जिनोद्वार निश्रादाता
पूज्यपाद आचार्य श्री जिन पीयूषसागरसूरीश्वरजी म.सा. आदि ठाणा 8
एवं प.पू.सा. श्री प्रमोदिता श्रीजी म.सा. आदि ठाणा 3 की पावन सान्निध्यता में
श्री जिनकुशलसूरी दादावाड़ी, कुशल दर्शन, पर्वत पाटिया, सूरत में लाभ पंचमी एवं ज्ञान पंचमी महोत्सव श्रद्धा, भक्ति और उत्साहपूर्वक सविधि सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर पूज्य आचार्य भगवंत के सान्निध्य में
51 खमासना चैत्यवंदन, पाँच ज्ञान कथा वाचन एवं महामांगलिक का आयोजन हुआ।
श्रावक-श्राविकाओं ने ज्ञान और लाभ के इस दिव्य संगम का अनुभव करते हुए
आत्मिक शांति, संयम और श्रद्धा की भावना से आराधना की।
ज्ञान पंचमी के अवसर पर पूज्य आचार्य श्री जिन पीयूषसागरसूरीश्वरजी म.सा. ने
पाँच ज्ञानों —
 1. मतिज्ञान2. श्रुतज्ञान,
 3. अवधिज्ञान,
4. मनःपर्यय ज्ञान, एवं
 5. केवलज्ञान —
की महिमा का वर्णन करते हुए पंच ज्ञान चैत्यवंदन कराया।
श्रावक-श्राविकाओं ने 28 + 14 + 6 + 2 + 1 = 51 खमासना की विधिवत आराधना कर
ज्ञान, संयम और आत्मप्रकाश का संकल्प लिया।
इस पावन अवसर पर आर्यपुत्र खरतरगच्छाधिपति
श्री जिन उदयसागरसूरिश्वरजी म.सा. की 30वीं पुण्यतिथि पर
गुणानुवाद एवं वंदन का आयोजन अत्यंत श्रद्धा और भाव-विभोरता के साथ किया गया। 
विक्रम संवत 2015 (लगभग 67 वर्ष पूर्व) पूज्य श्री उदयसागरसूरिश्वरजी म.सा.
ने बाड़मेर जिले के गाँव-गाँव में धर्म आराधना के बीज बोए। उन्होंने हरसाणी, बाड़मेर, चोहटन आदि स्थानों पर मंदिरों की प्रतिष्ठाएँ कराईं, अनेक धार्मिक कार्यक्रम संपन्न किए और पूरे बाड़मेर क्षेत्र में खर्तरगच्छ की धर्मध्वजा को ऊँचा फहराया। उनकी तप, साधना और धर्मप्रवर्तक प्रवचनों ने बाड़मेर की भूमि को
आध्यात्मिक चेतना से आलोकित किया।
बाड़मेर जैन श्रीसंघ के वरिष्ठ सदस्य श्री चंपालाल बोथरा ने बताया कि
“आज ज्ञान पंचमी की पूजा विधिवत संपन्न हुई,
जिसमें अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने तप, उपवास और आत्मपरिष्कार के संकल्प लिए।
विशेष रूप से पूज्य श्री उदयसागरसूरिश्वरजी म.सा. की पुण्यतिथि पर
उनके जीवन के महान गुणों का गुणानुवाद कर श्रद्धापूर्वक वंदन किया गया।
उनकी प्रेरणादायी जीवनगाथा आज भी साधना, संयम और सेवा के पथ पर
सभी के लिए मार्गदर्शक बनी हुई है।”

संकलन 
चम्पालाल बोथरा सूरत