संविधान से डर किसे लगता है – शैलेन्द्र शैली व्याख्यान माला में बादल सरोज का संबोधन
आड़ेगांव, जिला नरसिंहपुर में आयोजित शैलेन्द्र शैली व्याख्यान माला में मुख्य वक्ता अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव व वामपंथी विचारक बादल सरोज ने “संविधान से डर किसे लगता है” विषय पर संबोधित किया। उन्होंने संविधान के इतिहास, उसके महत्व और उसे कमजोर करने वाली ताकतों पर विस्तार से चर्चा की। बादल सरोज ने कहा कि आजादी के बाद संविधान ने सभी को समान अधिकार, शिक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी, लेकिन आज कुछ शक्तियां मनुस्मृति आधारित व्यवस्था लागू करने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने आर्थिक नीतियों, किसानों-मजदूरों के संघर्ष और विदेशी दबावों के उदाहरण देकर चेताया कि लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए जनता को एकजुट रहना होगा।

मूलचन्द मेंधोनिया
आड़ेगांव, नरसिंहपुर में शैलेन्द्र शैली व्याख्यान माला के तहत बादल सरोज ने कहा – संविधान को खत्म करने वाली ताकतों से सावधान रहना होगा, जनता इसके बचाव में डटी है"
आडे़गांव जिला नरसिंहपुर,कामरेड शैलेन्द्र शैली वामपंथी विचारक और देश के प्रखर वक्ताओं में से एक थे, प्रतिवर्ष 24जुलाई से 7अगस्त तक प्रदेश भर में उनके नाम पर देश और प्रदेश की गंभीर परिस्थितियों से संबंधित विषयों पर व्याख्यान माला आयोजित की जाती है। आज देश में संविधान को खत्म करने वाली शक्तियां काम कर रही हैं इसलिए *संविधान से डर किसे लगता है* विषय पर मध्य प्रदेश में कई जगह व्याख्यान दिए जा रहे हैं। इस विषय पर अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव वामपंथी विचारक कामरेड बादल सरोज ने आड़ेगाव जिला नरसिंहपुर में अपना व्याख्यान दिया।
कामरेड बादल ने बताया संविधान पहले नहीं था, 26 जनवरी 1950को लागू हुआ है, हमें यह समझने की जरूरत है कि संविधान बनाने की जरूरत क्यों पड़ी ,इन 75 साल में क्या फर्क पड़ा और संविधान को खत्म करने वाले संविधान से क्यों डरते हैं, हमारे वैज्ञानिकों ने खोज की है कि हमारे पुरखे पहले कबीलों में रहते थे लगभग 10000 साल पहले लोगों ने खेती करना , जानवर पालना एवं जहां हम बैठे हैं गेहूं की खेती करना सीख लिया था ,हमारे ही भोपाल के पास भीमबेटका है जहां 20 ,25000 साल पहले लोग कैसे रहते थे वहां पर मिलता है ,7000 साल पहले लोगों ने व्यवस्थित रहना सीख लिया ,अनाज भंडार करना आदि, उस दौरान लोग लिखना भी नहीं जानते थे लिखा भी था तो उसे कोई पढ़ भी नहीं पाए, उस दौरान हमारे देश में हर नस्ल के लोग आए हमारा क्षेत्र दक्षिण एशिया का क्षेत्र कहलाता है, हमारे क्षेत्र में ठंडी वर्षा गर्मी मनुष्यों को रहने लायक वातावरण दुनिया में सबसे बेहतर है ,जैसे दुनिया के कई क्षेत्रों में अधिक बर्फ कहीं अधिक वर्षा और भूमध्य रेखा के पास वाले देश में अति गर्मी की वजह से लोग नहीं रह पाते हैं,यही कारण है की हमारे भारत की आबादी जो आज 140 करोड सबसे अधिक है जो दुनिया की आबादी की 40% है ।दुनिया के लोग यहां आकर बसे। वैज्ञानिकों ने ही पता लगाया कि दक्षिण अफ्रीका में ही हमारे सबके पुरखे हैं जिनकी अस्थियां आज भी सुरक्षित मौजूद है जिन्हें वैज्ञानिकों ने खोजा कि जिसे हम आज डीएनए कहते हैं उसमें जो जीन होती है मां-बाप की शक्लें शरीर से मिलती जुलती होती है और जिससे पता लगते हैं कि यह व्यक्ति का डीएनए इससे मिलता है,यहां की आबादी मुख्य रूप से आदिवासी और द्रविड़ रही है । यहां कुश मंगोल से लेकर कई लोग आए कई भाषाएं विकसित हुई , लगभग 19569भाषाएं हैं, 40हजार से ज्यादा बोलियां हैं हमारे संविधान ने 22 भाषाओं को मान्यता दी है। इतिहास बताता है इसी दौरान कविता कहानी वेद पुराण शास्त्र लिखे गए जिसमें तमिल भाषा सबसे पुरानी बताई जाती है ,भारत में भारत का संविधान यह पहली किताब मिलेगी जो की भेदभाव या उच्च नीच धर्म जाति धर्म संप्रदाय के नाम पर भेदभाव नहीं होगा जो करेगा वह दंडित होगा ऐसा नहीं होगा कि राजा का चुनाव उसका बाप या रानी के पेट से पैदा हुए बच्चे को ही मिले बल्कि अमीर गरीब के हिसाब से नहीं सबके वोट की कीमत एक होगी पढ़ने का अधिकार सभी को होगा समानता का अधिकार इस संविधान की किताब में दिया गया जो किसी भी वेद पुराण शास्त्र में नहीं मिलेगा।