बिक्री में 25-30 प्रतिशत की भारी गिरावट, तैयार माल के दाम टूटे; सूरत में उत्पादन में भारी कटौती, कारीगर वापस वतन लौटने को मजबूर: चम्पालाल बोथरा
देशभर के प्रमुख कपड़ा बाज़ारों में टेक्सटाइल व गारमेंट व्यापार गंभीर मंदी से जूझ रहा है। CAIT के अनुसार दीवाली और शादी सीज़न के बाद भी मांग नहीं बढ़ी, जिससे सूरत, तिरुपुर, लुधियाना सहित सभी बड़े टेक्सटाइल क्लस्टरों में कारोबार 25–30% तक गिर गया
देशभर के कपड़ा बाज़ारों में भारी मंदी, भुगतान चक्र टूटने से टेक्सटाइल व्यापारी चिंतित: CAIT
कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) की टेक्सटाइल एवं गारमेंट कमेटी के राष्ट्रीय चेयरमैन श्री चम्पालाल बोथरा ने देश के प्रमुख कपड़ा बाज़ारों की मौजूदा स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने एक समीक्षा जारी करते हुए बताया कि देशभर में टेक्सटाइल व्यापार भारी मंदी के दौर से गुज़र रहा है।
CAIT की टेक्सटाइल & गारमेंट कमेटी की समीक्षा के अनुसार, दीवाली और शादी सीज़न के बाद भी बाज़ार में अपेक्षित तेज़ी नहीं आई है। सूरत, तिरुपुर, लुधियाना, भीलवाड़ा और पानीपत , जोधपुर , बालोतरा, पाली जयपुर , बेंगलोर, इरोड़ , मालेगांव , भिवंडी , इचलकरंजी , इंदौर , जबलपुर, कोलकत्ता सहित सभी प्रमुख टेक्सटाइल क्लस्टरों में कपड़ा और गारमेंट कारोबार में 25 से 30 प्रतिशत तक की भारी गिरावट दर्ज की गई है। मांग (Demand) में लगातार कमी के कारण, बाज़ार में तैयार माल (Ready Stock) के मूल्यों (Rates) में भारी गिरावट आई है, जिससे कई व्यापारियों को गंभीर नुकसान उठाना पड़ रहा है।
श्री बोथरा ने बताया कि इस मंदी ने संपूर्ण कपड़ा व्यापार की भुगतान प्रणाली (Payment Cycle) को पूरी तरह से तोड़ दिया है। नकदी संकट (Cash Crunch) इतना गंभीर है कि रिटेलर थोक विक्रेता को, और थोक विक्रेता MSME मैन्युफैक्चरर को भुगतान नहीं कर पा रहा है। इस कारण पूरी सप्लाई चेन गंभीर संकट में फँस गई है।
बोथरा ने बताया कि घरेलू टेक्सटाइल उद्योग दोतरफ़ा आयात दबाव का सामना कर रहा है, जिसके कारण भारतीय गारमेंट उद्योग को काफ़ी मंदी की मार पड़ रही है:
1. चीन से सस्ते फैब्रिक की प्रचुरता: भारतीय गारमेंट निर्माता फिनिश्ड गारमेंट (finished garments) बनाने के लिए चीन से आयातित सस्ते फैब्रिक को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह फैब्रिक लागत के मामले में घरेलू रूप से उत्पादित फैब्रिक से प्रतिस्पर्धा करता है, जिससे भारतीय फैब्रिक निर्माताओं (जैसे सूरत के MSMEs) को भारी नुकसान होता है।
2. बांग्लादेश/वियतनाम से तैयार माल की डंपिंग: 'एन्ड-एन लाइन' (End-N line) बाजारों में बांग्लादेश और वियतनाम से आने वाले सस्ते तैयार गारमेंट्स की प्रचुरता के कारण भारतीय कपड़ा मंडियों में कीमतों और बिक्री दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
सूरत, तिरुपुर और लुधियाना का हाल:
• सूरत (मैन-मेड फैब्रिक हब): सूरत के कपड़ा उद्योग में मांग में कमी के कारण उत्पादन में भारी कटौती हो रही है। संख्याबंद मिलें उत्पादन बंद कर रही हैं, और हज़ारों दिहाड़ी मजदूर काम न मिलने के कारण अपने वतन लौट रहे हैं।
• तिरुपुर (निट गारमेंट्स): रेडीमेड गारमेंट की घरेलू और निर्यात दोनों मांगें प्रभावित हैं।
CAIT टेक्सटाइल & गारमेंट कमेटी के चेयरमैन श्री चम्पालाल बोथरा ने स्थिति की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा, “आज हर कपड़ा मंडी में एक ही स्थिति है—माल है, ग्राहक नहीं है; ऑर्डर हैं, भुगतान नहीं है। यदि तुरंत राहत नहीं दी गई, तो छोटे व्यापारी और MSME इकाइयाँ बंद होने के कगार पर पहुँच जाएँगी।”
CAIT ने विदेशी प्रतिस्पर्धा पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए, घरेलू व्यापार को बचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है:
1. MSME राहत: MSME और छोटे व्यापारियों के लिए विशेष कार्यशील पूंजी और ब्याज राहत की व्यवस्था।
2. एंटी-डंपिंग कार्रवाई: चीन से आयातित फैब्रिक/यार्न पर सख्त एंटी-डंपिंग शुल्क लागू करना।
3. आयात मानक: बांग्लादेश-वियतनाम से आने वाले गारमेंट्स पर कड़े गुणवत्ता और आयात मानक लागू करना।
4. प्रोत्साहन पैकेज: घरेलू मांग बढ़ाने के लिए टेक्सटाइल-विशेष प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा।
5. नीति क्रियान्वयन: टेक्सटाइल ट्रेड प्रोटेक्शन पॉलिसी का शीघ्र क्रियान्वयन करना।
CAIT टेक्सटाइल & गारमेंट कमेटी ने निष्कर्ष निकाला है कि यदि भुगतान चक्र को तुरंत सहारा नहीं दिया गया और आयात पर संतुलन नहीं बनाया गया, तो भारत का कपड़ा व्यापार गंभीर नुकसान में चला जाएगा।
प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस