राहुल गांधी और खरगे स्वतंत्रता दिवस पर नहीं पहुंचे लाल किला, BJP बोली- देश और सेना का अपमान

79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर तिरंगा फहराया, लेकिन विपक्ष के दो बड़े नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे इस राष्ट्रीय समारोह से गैरहाज़िर रहे। बीजेपी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए राहुल गांधी पर सेना और संविधान के अपमान का आरोप लगाया। शहज़ाद पूनावाला ने सोशल मीडिया पर उनकी अनुपस्थिति की आलोचना की।

राहुल गांधी और खरगे स्वतंत्रता दिवस पर नहीं पहुंचे लाल किला, BJP बोली- देश और सेना का अपमान

राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे की गैरमौजूदगी पर BJP का हमला, बोली- देशभक्ति और सेना के सम्मान पर सवाल

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जब लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरंगा पहराया तो उस समय कांग्रेस पार्टी से किसी बड़े नेता ने शिरकत नहीं की। इसको लेकर विवाद खड़ा हो गया है। भारतीय जनता पार्टी के शहजाद पूनावाला का कहना है कि नेता विपक्ष का पद संवैधानिक पद होता है। इस कार्यक्रम में उनका शामिल होना संवैधानिक कर्तव्य है।

आपको बता दें कि इस कार्यक्रम में ना तो लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी दिखे और ना ही राज्यसभा में विपक्षी दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे। सोनिया गांधी भी इस दौरान नहीं दिखीं।

बीजेपी का हमला और आरोप-प्रत्यारोप

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने राहुल गांधी की अनुपस्थिति पर निशाना साधते हुए X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि मोदी विरोध में राहुल गांधी देश और सेना का भी अनादर कर रहे हैं. उन्होंने इसे शर्मनाक व्यवहार बताते हुए सवाल उठाया कि क्या यही संविधान और सेना का सम्मान है.

पिछले साल का बैठने की व्यवस्था विवाद

पिछले वर्ष स्वतंत्रता दिवस समारोह में राहुल गांधी, जिन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है को लाल किले में परंपरा और प्रोटोकॉल के विपरीत दूसरी आखिरी पंक्ति में बैठाया गया था. इस दौरान भारतीय ओलंपिक पदक विजेताओं को सम्मान देने के लिए बैठने की व्यवस्था में बदलाव किया गया था. राहुल गांधी को पांचवीं पंक्ति में ओलंपियनों के पीछे बैठाया गया, जबकि उस समय के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, निर्मला सीतारमण और एस जयशंकर जैसी हस्तियां आगे की पंक्ति में थीं.

रक्षा मंत्रालय ने तब स्पष्ट किया था कि सीट आवंटन वरीयता और प्रोटोकॉल के आधार पर होता है और इस बार ओलंपिक पदक विजेताओं को सम्मानित करने का निर्णय लिया गया था. हालांकि कांग्रेस ने इस तर्क को खारिज कर दिया और सवाल उठाया कि जब कुछ कैबिनेट मंत्री आगे बैठ सकते हैं तो विपक्ष के नेता को क्यों पीछे बैठाया गया.

राजनीतिक संदेश और रणनीति

राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे की इस साल की अनुपस्थिति को कांग्रेस समर्थक एक मौन विरोध के रूप में देख रहे हैं, जबकि भाजपा इसे राष्ट्र उत्सव से दूरी और प्रोटोकॉल का अनादर बताकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही है. यह घटना एक बार फिर यह दिखाती है कि राष्ट्रीय आयोजनों में भी राजनीतिक मतभेद और प्रोटोकॉल से जुड़े विवाद किस तरह सुर्खियों में आ सकते हैं.