दिग्विजय सिंह का बड़ा खुलासा,बोले- सिंधिया की बात मान लेते तो बच जाती कमलनाथ सरकार : डिनर मीटिंग और लिस्ट का राज खोला

5 साल पहले यानी साल 2020 के मार्च महीने में मध्य प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा भूचाल आया था, जब 15 साल बाद सत्ता में आई कांग्रेस की सरकार 15 महीने में ही गिर गई थी. इस पर पहली बार कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने खुलकर अपनी बात रखी है.

दिग्विजय सिंह का बड़ा खुलासा,बोले- सिंधिया की बात मान लेते तो बच जाती कमलनाथ सरकार : डिनर मीटिंग और लिस्ट का राज खोला

दिग्विजय ने पहली बार यह भी बताया कि साल 2020 में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार कैसे गिरी थी..

मध्य प्रदेश की राजनीति में पांच साल पहले हुई सत्ता पलट की कहानी एक बार फिर सुर्खियों में है। राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पहली बार खुलकर स्वीकार किया है कि 2020 में कमलनाथ सरकार के पतन की असली वजह अंदरूनी टकराव था।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि ये बात सही है कि उनकी कोशिशों के बाद भी कमलनाथ सरकार नहीं बच पाई. हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनका ना माधवराव सिंधिया (ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता) से कोई विवाद था ना ही ज्योतिरादित्य सिंधिया से कोई विवाद था. 

MP में 2018 में सत्ता में लौटी थी कांग्रेस

मध्य प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 15 साल बाद सत्ता में वापसी की थी और कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन पार्टी के भीतर नाराजगी लगातार बनी रही। महज 15 महीने बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत कर दी और बीजेपी में शामिल हो गए।

उनके साथ कई विधायक भी कांग्रेस छोड़कर चले गए, जिससे कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई और कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा।

सियासी हलकों में लंबे समय तक यह कहा जाता रहा कि दिग्विजय और सिंधिया की आपसी लड़ाई के कारण कांग्रेस सरकार गिरी। इस पर दिग्विजय ने साफ कहा कि ये प्रचारित किया गया कि मेरी और सिंधिया की लड़ाई से सरकार गिरी, लेकिन सच यह नहीं है। मैंने पहले ही चेताया था कि ऐसा हो सकता है। दुर्भाग्य से मुझ पर हमेशा वही आरोप लगाए जाते हैं, जिनमें मैं दोषी नहीं होता।

दिग्विजय सिंह ने एक इंडस्ट्रियलिस्ट के घर हुई उस डिनर मीटिंग का जिक्र भी किया, जिसमें कमलनाथ और सिंधिया को साथ लाने की कोशिश की गई थी। उन्होंने बताया-"मैंने उस इंडस्ट्रियलिस्ट से कहा कि देखिए, इन दोनों की लड़ाई से हमारी सरकार गिर जाएगी। फिर उनके घर डिनर रखा गया, मैं भी मौजूद था। बातचीत के दौरान एक लिस्ट बनी कि ग्वालियर-चंबल संभाग में जैसा हम दोनों कहेंगे वैसा होगा। हमने विशलिस्ट तैयार करके हस्ताक्षर भी किए, लेकिन उसका पालन नहीं हुआ।"

दिग्विजय ने साफ कहा कि कमलनाथ ने सिंधिया से किए गए समझौते का पालन नहीं किया। यही वजह थी कि मामला सुलझ नहीं पाया और कांग्रेस सरकार गिर गई। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि-"मेरा न तो माधवराव सिंधिया से विवाद था और न ही ज्योतिरादित्य सिंधिया से। समस्या समझौते के अमल न होने की थी।"

दिग्विजय के इन बयानों ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि 2018 में मिली कांग्रेस की जीत और सत्ता की वापसी क्यों महज 15 महीनों में ध्वस्त हो गई। उनका आरोप साफ है-अगर कमलनाथ समय रहते समझौते की शर्तें मान लेते, तो कांग्रेस आज भी मध्य प्रदेश की सत्ता में हो सकती थी।

मुझे अंदाजा था ऐसी घटना होगी- दिग्विजय सिंह

दिग्विजय सिंह से जब सवाल किया गया कि ये माना जाता है कि ये सब आपके सलाह के बाद हुआ, इस पर उन्होंने कहा, "ये गलत है, ये प्रचारित किया गया, लेकिन इसके विरुद्ध मैंने ये चेताया था कि ये घटना हो सकती है, और एक उद्योगपति के घर बैठक भी हुई, जहां मैंने ये कहा कि देखिए, इन दोनों की लड़ाई में हमारी सरकार गिर जाएगी तो आप संभालिए क्योंकि आपके दोनों के साथ संबंध अच्छे हैं. लेकिन, काफी बातचीत के बाद भी जो काम करने की दिक्कतें थीं, उसका पालन नहीं हुआ, और मेरे सतत प्रयासों के बाद भी नहीं हो पाया."

छोटे-मोटे मुद्दों पर बनी असहमति- दिग्विजय सिंह

हालांकि दिग्विजय सिंह ने उद्योगपति का नाम अज्ञात रखा. वहीं उनसे जब पूछा गया कि किन मुद्दों पर बात नहीं बन पाई, जिसके जवाब में उन्होंने कहा, "छोटे-मोटे मुद्दे जो भी होते हैं.. जैसे- क्या होना चाहिए? क्या नहीं होना चाहिए? तो इस पर ये तय हुआ कि ग्वालियर-चंबल संवाद में जैसा हम दोनों कहेंगे वैसा वो कर देंगे. अगले दिन हम लोगों ने एक विश लिस्ट बनाकर दे दी. मैंने भी दस्तखत किए. लेकिन उसका पालन नहीं हुआ, जिसके बाद तनाव और बढ़ गया."

बता दें कि ये पहली बार है कि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने 5 साल पहले हुए राजनीतिक अलगाव के बारे में खुलकर जिक्र किया हो. दरअसल, साल 2020 के मार्च में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का 18 साल का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था. 2021 के कैबिनेट विस्तार में उन्हें केंद्र सरकार के कैबिनेट में जगह मिली. फिलहाल वे भारत के संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री हैं.